तैरते बाग में होती है खेती, जलवायु परिवर्तन का भी नहीं होता है असर

जलवायु परिवर्तन से बाढ़ की आशंका को देखते हुए, तैरते बगीचों को स्थायी कृषि के रूप में अपनाया जा सकता हैं, ये खाद्य सुरक्षा को बेहतर कर सकते हैं।
Photo : Wikimedia Commons, Floating garden
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बाढ़ के मौसम के दौरान फसल उगाने के लिए बांग्लादेश में अस्थायी बाग बनाए गए हैं, जलवायु परिवर्तन के चलते यह दुनिया के कुछ हिस्सों के लिए एक स्थायी समाधान हो सकता है। अध्ययन से पता चलता है कि तैरते बगीचे (फ्लोटिंग गार्डन) केवल खाद्य असुरक्षा को कम करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि दुनिया भर में खासकर बांग्लादेश के बाढ़ग्रस्त इलाकों में ग्रामीण परिवारों के लिए आय जुटाने का साधन भी बन सकते हैं।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर और सह-अध्ययनकर्ता क्रेग जेनकिंस ने कहा कि हम बदलती जलवायु में उन लोगों के लिए काम कर रहे हैं, जो इसके शिकार हैं, लेकिन जिनका जलवायु परिवर्तन को बढ़ाने में कोई हाथ नहीं है। बांग्लादेश कार्बन उत्सर्जन की समस्या के लिए के बराबर जिम्मेवार है और फिर भी यह पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर रहा है।

बांग्लादेश के तैरते हुए बगीचे सैकड़ों साल पहले शुरू हुए थे। बागानों को देशी पौधों से बनाया जाता है, जो परंपरागत रूप से नदियों में तैरते हैं। ये जल जलकुंभी और राफ्ट की तरह काम करते हैं, पानी के साथ बढ़ते और गिरते हैं। ऐतिहासिक रूप से, उनका उपयोग बरसात के मौसम में फसल उगाना जारी रखने के लिए किया जाता था जब नदियों में पानी भर जाता था।

किसान या उनके परिवार पौधों को लगभग तीन फीट गहरे परतों में रखते हैं, जो कि बिस्तर की तरह बाग का एक संस्करण बनाते हैं जो पानी में तैरते हैं। फिर वे उन राफ्ट के अंदर सब्जियां लगाते हैं। जैसे-जैसे ये पौधे सड़कर ख़त्म होते हैं, वे वहां पोषक तत्व छोड़ते हैं, जो वनस्पति पौधों को उगाने में मदद करते हैं। उन वनस्पति पौधों में आमतौर पर भिंडी, लौकी, पालक और बैंगन शामिल हैं। कभी-कभी, वे हल्दी और अदरक जैसे मसाले वाले पौधों को भी शामिल करते हैं।  

म्यांमार, कंबोडिया और भारत के कुछ हिस्सों में तैरते बाग उपयोग में हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने बांग्लादेश के तैरते हुए बगीचों का नाम वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली रखा है।

जैसा कि जलवायु परिवर्तन ने उन नदियों में पानी की मात्रा को प्रभावित किया है, या तो इनको अत्यधिक बढ़ा दिया है जहां बाढ़ जाती है, और कहीं नदियां सूख गए हैं। अस्थायी बाग ग्रामीण किसानों के लिए अप्रत्याशित मौसम के दौरान फसल को बचा कर रखने का एक तरीका बन गए हैं। जलवायु परिवर्तन से मौसम की चरम सीमा और बाढ़ खतरे और सूखा भी बढ़ता है।

जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर, फूड एंड एनवायरनमेंट में हाल ही में प्रकाशित किए गए इस अध्ययन में शोधकर्ता यह समझना चाहते थे कि क्या बांग्लादेश के तैरते बगीचों को स्थायी कृषि के रूप में अपनाया जा सकता हैं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन से बाढ़ और सूखे की आशंका बनी रहती है और यह देखने के लिए कि क्या तैरते बगीचे बेहतर खाद्य सुरक्षा लाते हैं।

शोध वैज्ञानिक जेनकिन्स ने कहा कि वे विशिष्ट फसलों को उगाने में सक्षम हो गए हैं जो कम से कम मिट्टी के साथ जीवित रह सकते हैं। जेनकिन्स ओहियो स्टेट मेरशॉन सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी स्टडीज के पूर्व निदेशक हैं। छोटे किसान जो आमतौर पर धान की फसलों पर निर्भर थे, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और वैकल्पिक फसलों के बेहतर प्रतिफल के कारण ये उन फसलों से दूर होते जा रहे हैं।

इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने खेती करने वाले परिवारों का साक्षात्कार लिया, जो तैरते हुए बगीचों का उपयोग कर रहे थे, इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले कि तैरते हुए बाग स्थिरता प्रदान करते हैं, बदलती जलवायु के कारण पैदा हुई अस्थिरता के बावजूद ग्रामीण आबादी को खिलाने के लिए भोजन उपलब्ध कराते हैं और इससे किसान परिवार की आय भी होती है।

उन्होंने पाया कि किसान आमतौर पर हाइब्रिड बीजों का उपयोग करते हैं, जिन्हें प्रत्येक वर्ष फिर से खरीदना पड़ता है, ताकि तैरते हुए बगीचों में सब्जियों की एक विविध श्रेणी विकसित हो सके। बाग कीटों के लिए भी अतिसंवेदनशील होते हैं, इसलिए किसान कीटनाशकों और उर्वरकों पर कुछ पैसा खर्च करते हैं। लेकिन यहां उन खर्चों के साथ, उन्होंने पाया कि लागतों से अधिक लाभ मिलता है।   

शोधकर्ताओं ने पाया कि आम तौर पर, पूरे परिवार बगीचों में काम करते हैं, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग रोपाई करते हैं और बगीचे बनाने के लिए जलीय पौधों को इकट्ठा किया जाता है। पुरुष बागानों की खेती करते हैं और उन्हें हमलावरों से बचाते हैं। कुछ परिवार अपने तैरते हुए बगीचों के आस-पास पानी में मछली भी रखते हैं।

एक किसान ने शोध दल को बताया कि वह पारंपरिक धान की फसल की तुलना में बगीचों से चार गुना अधिक पैसा कमाता है।

शोधकर्ताओं ने कहा फिर भी इस प्रणाली में सुधार करने की जरूरत है। किसान अक्सर तैरते बगीचों के निर्माण और पौधों को लगाने के लिए अधिक ब्याज पर ऋण लेते हैं। जिम्मेदार सरकारी या गैर-सरकारी संगठनों से कम ब्याज वाले ऋण लेकर उस बोझ को कम किया जा सकता है।

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