केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने के प्रस्ताव को किसान संगठनों के संयुक्त समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 जनवरी, 2020 को अस्वीकार कर दिया है। किसान संगठनों की ओर से देर रात जारी एक प्रेस बयान में कहा गया कि दिन के वक्त विभिन्न किसान यूनियनों की एक जनरल बॉडी ने बैठक की थी, उसके बाद यह निर्णय लिया गया है।
सरकार ने 20 जनवरी, 2020 को 55 से ज्यादा दिनों से आंदोलनरत किसान संगठनों के सामने एक प्रस्ताव रखा था कि हाल ही में लागू किए गए तीन कृषि बिलों का वह डेढ़ वर्ष के लिए स्थगन कर देंगे। साथ ही किसानों की किसी भी तरह की शंका पर वे सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दाखिल करने को तैयार हैं। इस बीच किसानों के साथ मिलाकर बनाई गई समिति किसान संगठनों से बातचीत भी करती रहेगी ताकि भविष्य में कृषि कानूनों को लागू रहने पर कोई रास्ता निकाला जा सके।
वहीं, किसान संगठनों ने कहा था कि वह 21 जनवरी, 2020 को बैठक करने के बाद प्रस्ताव पर अपना जवाब देंगे।
किसान नेताओं ने 21 जनवरी, 2020 को कहा है कि वह पूरी तरह से तीनों कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं साथ ही सभी किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू कराना चाहते हैं।
ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय समूह सदस्य किरण कुमार विस्सा ने कहा कि किसानों के नजरिए से इस प्रस्ताव को स्वीकार करने में कई तरह के जोखिम हैं। सरकार का रवैया ऐसा लगता है कि वे किसानों के जारी आंदोलन को खत्म कराना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि किसी भी तरह किसान अपने गांव वापस लौट जाएं। वहीं, सरकार का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है जिसमें कोर्ट ने ताजा कृषि कानूनों को दो महीनों के लिए स्थगित करने का आदेश दिया था।
विस्सा ने कहा कि यह वैसा नहीं है कि किसान इसमें अपनी पूरी तरह से जीत देखते हैं। यदि सरकार दोबारा डेढ़ साल बाद इन्हीं कृषि कानूनों को लागू करने का निर्णय लेती है तो दोबारा किसानों का ऐसा आंदोलन तैयार करने में बहुत ज्यादा कठिनाई होगी।
सरकार और केंद्र के बीच 22 जनवरी, 2020 को एक बार और बैठक होनी तय है।
वहीं, इस बीच सुप्रीम कोर्ट गठित समिति ने आठ राज्यों के 10 किसान यूनियनों से मुलाकात की। इनमें कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। अगली मुलाकात 27 जनवरी, 2020 को प्रस्तावित है।
साथ ही किसान यूनियन और दिल्ली पुलिस के बीच 21 जनवरी, 2020 को हुई बैठक बेनतीजा रही। यह बैठक गणतंत्र दिवस के दिन प्रस्तावित किसान ट्रैक्टर रैली को लेकर थी। किसानों ने रैली के लिए किसी अन्य वैकल्पिक रूट का चुनाव करने से इनकार कर दिया है।