सब्जी-दूध की सप्लाई नहीं करेंगे मध्यप्रदेश के किसान, सरकार कर रही है मनाने की कोशिश

दो अलग-अलग किसान संगठनों ने 29 मई से 5 जून तक हड़ताल की घोषणा की है और चेतावनी दी है कि वे सब्जियों और दूध की आपूर्ति नहीं करेंगे।
सब्जी-दूध की सप्लाई नहीं करेंगे मध्यप्रदेश के किसान, सरकार कर रही है मनाने की कोशिश
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मध्यप्रदेश के किसान एक बार फिर अपनी मांगों को मंगवाने के लिए हड़ताल का रास्ता अपनाने जा रहे हैं। दो अलग-अलग किसान संगठनों ने 29 मई से 5 जून तक हड़ताल की घोषणा की है और चेतावनी दी है कि वे सब्जियों और दूध की आपूर्ति नहीं करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के मध्यप्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि मध्यप्रदेश में किसानों को कर्जमाफी का लाभ पूरी तरह नहीं मिला है। दूसरा, किसान उपज में समर्थन मूल्य बढ़ाने की भी मांग कर रहे हैं।

वहीं, भारतीय किसान यूनियन का तीन दिवसीय हड़ताल समाप्त होते ही मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय किसान महासंघ ने पांच दिनी हड़ताल की घोषणा की है, जो एक जून से शुरू होगी। महासंघ ने केंद्र और राज्य सरकारों से अपनी अलग-अलग मांगें रखी हैं।

भारतीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा 'कक्काजी' ने बताया कि इस बार देश के 180 किसान संगठनों से जुड़े किसान नेता इस हड़ताल में सहयोग कर रहे हैं। इस संगठन को राष्ट्रीय किसान महासंघ के नाम से जाना जाता है। वे चार प्रमुख मांगों के साथ केंद्र सरकार के साथ महीनों से वार्ता करने की कोशिश कर रहे हैं। उनमांग है कि स्वामीनाथन रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को लागू कर किसानों को लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिया जाए। साथ ही, उनकी शत प्रतिशत उपज खरीदने की भी व्यवस्था की जाए।

महासंघ की दूसरी मांग किसानों को ऋण मुक्त करने की है। इसके साथ दूध, फल और सब्जियों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाया जाए। केंद्र सरकार से चौथी मांग के बारे में शिव कुमार बताते हैं कि ऐसे कई किसान हैं, जिनके पास जमीन का काफी छोटा टुकड़ा होता है और वे खेती के सहारे अपना जीवन यापन नहीं कर सकते। उनके लिए न्यूनतम आय की गारंटी भी हो। शिव कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने लगातार प्रयासों के बाद भी उनसे वार्ता नहीं की, हालांकि मध्यप्रदेश सरकार का रुख अभी तक सकारात्मक है। मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें 29 मई को उनकी मांगों को पर विचार करने के लिए मिलने का समय दिया है।

मध्यप्रदेश सरकार से की गई मांगों के बारे में शिव कुमार बताते हैं कि भावांतर योजना में हजारों किसानों का भुगतान बाकी है। इस योजना के तहत भाव में अंतर आने पर मंडियों द्वारा बाद में भुगतान किया जाता है। किसान जल्दी भुगतान चाहते हैं। इसके अलावा मंदसौर गोली कांड में दो किसानों की पीट पीटकर हत्या हुई थी जिसके दोषियों को सजा दिलाने की मांग भी किसानों ने मध्यप्रदेश सरकार के सामने रखी है। शिव कुमार शर्मा बताते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार ने सात हजार किसानों पर हुए मुकदमों को वापस लेने की बात की थी जिसे अभी तक अमल में नहीं लाया गया। इसके अलावा मंडियों में मूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता भी है। किसानों के दो लाख तक की कर्जमाफी योजना का क्रियांन्वयन भी महासंघ की मांगों में शामिल है।

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