उमेश कुमार राय
पिछले साल जनवरी में बिहार में कड़ाके की सर्दी पड़ी थी और पाला (शीतलहर) गिरा था। पाले से मगही पान के किसानों के पान के पत्ते झुलस गए थे। उस वक्त राज्य के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने पान के कुछ खेतों का दौरा कर किसानों को आश्वासन दिया था कि उन्हें मुआवजा दिया जाएगा, ताकि प्राकृतिक आपदा हुए नुकसान की भरपाई हो जाए। इस आश्वासन के करीब डेढ़ साल के बाद कुछ किसानों को मुआवजा तो मिला है, लेकिन मुआवजे की रकम बेहद कम है और किसानों को लग रहा है कि सरकार ने उनके साथ मजाक किया है।
बिहार के मगध क्षेत्र में आनेवाले नवादा जिले के डफलपुरा गांव के मगही पान किसान धीरेंद्र चौरसिया ने 27 कट्ठा खेत में पान की खेती की थी। एक कट्ठे में बांस और फूस का बरेजा तैयार करने और पान बोने में 25 से 30 हजार रुपए खर्च हुए थे। इस हिसाब से उन्होंने 6 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिया था। पाला के कारण उनका पूरा पान बर्बाद हो गया था। लेकिन, मुआवजा मिला है महज दो हजार रुपए। अगर प्रति कट्ठा के हिसाब से देखा जाए तो हमें एक कट्टे के बदले केवल 74 रुपए ही मिले।
धीरेंद्र चौरसिया बताते हैं, “पान पूरी तरह तैयार हो गया था। हम लोग उसे तोड़ कर बनारस के मार्केट ले जाने वाले ही थे कि अचानक से सर्दी बढ़ गई और पाला गिर गया। इससे पूरा पान खराब हो गया। छह लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ, लेकिन सरकार ने मुआवजे के रूप में महज 2 हजार रुपए दिया है। 27 कट्ठा खेत में एक दिन काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी 2 हजार रुपए से ज्यादा होगी। पता नहीं, सरकार ने क्या सोचकर दो हजार रुपए दिया है।”
स्थानीय किसानों ने बताया कि जब कृषि मंत्री आए थे, तो उन्हें दो-तीन महीने के भीतर उचित मुआवजा दे देने का आश्वासन दिया था, लेकिन मुआवजा मिला, डेढ़ साल के बाद। किसानों का आरोप है कि सरकार ने मुआवजा देने के नाम पर खानापूर्ति की है। जिसको एक बीघा पान का नुकसान हुआ है, उसे भी दो हजार रुपए ही दिए गए और जिसको एक कट्ठा पान का नुकसान हुआ है उसे भी दो हजार रुपए ही मिले।
बिहार के डेढ़ दर्जन जिलों में पान की खेती की जाती है। इनमें से सबसे बढ़िया पान मगध क्षेत्र में आनेवाले चार जिलों नवादा, गया, औरंगाबाद और नालंदा में उगाया जाता है। यहां उगने वाले पान को मगही पान कहा जाता है। मगध क्षेत्र में लगभग 439 हेक्टेयर में मगही पान की खेती की जाती है।
डफलपुरा गांव के ही किसान रणवीर चौरसिया ने 2017 में 5 कट्ठे में मगही पान की खेती की थी. पाले के कारण उन्हें डेढ़ लाख रुपए का नुकसान हो गया था। वह कहते हैं, “सरकार ने बैंक अकाउंट में दो हजार रुपए भेजा है। हमारा डेढ़ लाख से अधिक का हो गया, दो हजार रुपए से क्या होगा? हमने तो मुआवजे की उम्मीद में ही कर्ज लेकर इस बार छह कट्ठे में पान की खेती कर ली है।”
पाला ने जब पान पर कहर बरपाया था, तो जांच करने आए अधिकारियों ने कृषि विभाग को जो आंकड़ा दिया था, उसके मुताबिक नवादा में कुल 1286 किसानों के 120.6730 एकड़ में लगी पान की फसल को नुकसान हुआ था। आंकड़ों के मुताबिक, पाला से सबसे ज्यादा नुकसान नवादा जिले को ही हुआ था।
अन्य जिलों में सारण, समस्तीपुर, शेखपुरा, वैशाली, औरंगाबाद, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, नालंदा, मुंगेर, पूर्वी चंपारण, गया, खगड़िया और बेगूसराय शामिल हैं। इन सभी जिलों को मिलाकर कुल 6878 पान किसानों के 1149.0358 एकड़ में लगी पान की फसल बर्बाद हो गई थी।
जिला अधिकारियों ने शीतलहर से प्रभावितों की सूची में उन्हीं किसानों को शामिल किया गया था, जिनके खेत में लगी पान की फसल का नुकसान 33 प्रतिशत से ज्यादा हुआ था। यानी कि ऐसे किसानों को इस स्कीम में शामिल ही नहीं किया गया, जिनका 33 प्रतिशत से कम नुकसान हुआ था।
दरअसल, पान किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिलता है। पहले बिहार में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलती थी। लेकिन, पिछले साल ही बिहार सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को राज्य में लागू न कर उसकी जगह मुख्यमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। कृषि विभाग से जुड़े एक अफसर ने कहा, “फसल बीमा योजना का लाभ फसलों को मिलता है, लेकिन पान को फसल की श्रेणी में नहीं रखा गया है। पान बागवानी फसल के अंतर्गत आता है और बागवानी फसल के लिए बीमा का कोई प्रावधान नहीं है।”
हालांकि, पूर्व में पान किसानों को राज्य सरकार की तरफ से 200 वर्ग मीटर की दर से 27000 रुपए की सब्सिडी मिलती थी, लेकिन पिछले 5 सालों से फंड की कमी का हवाला देकर सरकार ने सब्सिडी देना बंद कर रखा है। हालांकि, प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने पर पान किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिलता था। इस साल पहली बार मुआवजा मिला है, लेकिन मुआवजे की रकम को लेकर किसानों में नाराजगी है।
मगही पान उत्पादक समिति के सचिव रंजीत चौरसिया ने मुआवजे की रकम को लेकर नाराजगी जाहिर की। इस संबंध में जब राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री लक्ष्मेश्वर रॉय से बात की गई, तो उन्होंने कहा, ऐसा कैसे हो सकता है कि जिसको 27 कट्ठे का नुकसान हुआ है उसे भी दो हजार रुपए ही मिले और जिसको पांच कट्ठे का नुकसान हुआ है, उसे भी दो हजार रुपए ही दिया जाए। उन्होंने कहा, “ये जांच का विषय है और किसानों की तरफ अगर शिकायत की जाती है, तो जांच की जा सकती है, लेकिन अभी तक मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है।”