दुनिया भर में किसानों को गर्म होती जलवायु का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती गर्मी खाद के रूप में उपयोग होने वाले पोषक तत्वों के प्रदूषण को बढाती है, साथ ही मौसम की अवधि पर भी इसका असर पड़ता है। लेकिन अब पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के साथ-साथ, मिट्टी की ऊपरी सतह की उर्वरा शक्ति को बढ़ा कर दोहरी फसल पैदा कर आय को भी बढ़ाया जा सकता है।
यह पेन स्टेट एग्रोइकोलॉजिस्ट की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक टीम का निष्कर्ष है। टीम ने इन प्रथाओं को अपनाने से इनका कृषि उत्पादन और पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभावों का मूल्यांकन किया।
कृषि विज्ञान महाविद्यालय में फसल उत्पादन, पारिस्थितिकी के सहयोगी प्रोफेसर हीथर कार्स्टन के मुताबिक यह शोध महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कृषि में उर्वरकों के उपयोग से, गर्म परिस्थितियों के चलते खाद से अमोनिया का वाष्पीकरण बढ़ जाएगा और लगातार अधिक खतरनाक तूफान बढ़गे। जिससे अधिक घुलनशील फास्फोरस का पवाह होगा। फसल वाले खेतों से नाइट्रोजन और फास्फोरस के नुकसान को सीमित करने के लिए नई रणनीतियों की आवश्यकता है।
अपने निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए, शोधकर्ताओं ने अमेरिकी कृषि विभाग के कृषि अनुसंधान सेवा के एक कृषि इंजीनियर सी. एलन रोट्ज़ द्वारा विकसित एकीकृत फार्म सिस्टम मॉडल का उपयोग करके कृषि प्रबंधन रणनीतियों को अपनाया। रणनीतियों को पेन स्टेट के रसेल ई. लार्सन कृषि अनुसंधान केंद्र में लंबे समय से चल रहे डेयरी क्रॉपिंग सिस्टम प्रयोग द्वारा तैयार किया गया था। उस सिमुलेशन ने वैज्ञानिकों को फसल की पैदावार, चारा उत्पादन, नाइट्रोजन की हानि, तलछट क्षरण और फास्फोरस के घुलनशील नुकसान, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जीवाश्म ऊर्जा के उपयोग और उत्पादन लागत पर प्रभावों को निर्धारित करने में सक्षम बनाया।
हाल ही में कृषि प्रणालियों में प्रकाशित निष्कर्षों में शोधकर्ताओं ने बताया कि ऊपरी सतह में खाद डालकर उर्वरा शक्ति को बढ़ा कर दोहरी फसल पैदा करने से नाइट्रोजन के होने वाले कुल नुकसान को 12 से 18 फीसदी और फास्फोरस के कुल नुकसान को 16 से 19 फीसदी तक कम कर दिया।
उन्होंने देखा कि इन रणनीतियों को अपनाने से घुलनशील फास्फोरस अपवाह में अनुमानित वृद्धि और बढ़ते तापमान और अधिक वर्षा के कारण अमोनिया उत्सर्जन को कम करके भविष्य की जलवायु में होने वाले बदलाव को कम करने और निपटने का दृष्टिकोण प्रदान करता है।
कार्स्टन ने बताया कि इन लाभों को कुल कृषि-उत्पादन लागत को बनाए रखने से हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा किसानों के बीच दोहरी फसल में रुचि बहुत बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि किसान महसूस कर रहे हैं कि उनके पास लंबी अवधि का मौसम है और वसंत ऋतु में अधिक वर्षा होती हैं, जो किसी भी काम को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। कार्स्टन ने कहा हमारे नतीजे बताते हैं कि भविष्य में इन रणनीतियों को अपनाने से कृषि से पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है। यह शोध 'एग्रीकल्चरल सिस्टम' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।