'पीले सोने' की कीमत 8,000 रुपए प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं किसान

मध्य प्रदेश के किसान सोयाबीन को पीला सोना मानते हैं, जिसकी लगातार घटती कीमत ने किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर कर दिया है
फोटो: आईस्टॉक
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“पिछले साल सोयाबीन 5,500 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था, लेकिन कीमत कम थी, इसलिए यह सोचकर गोदाम में रख दिया कि जब कीमत सही होगी, तब बेचेंगे, लेकिन कीमत बढ़ने की बजाय कम होती चली गई तो अभी हाल ही में 4,400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 20 क्विंटल सोयाबीन बेचनी पड़ी।” 

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के किसान चंदन सिंह बड़वाया उन किसानों में शामिल हैं, जो इन दिनों सोयाबीन की कीमतें राज्य में कम से कम 8,000 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। 

बड़वाया संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े हैं। संयुक्त किसान मोर्चा प्रदेश सरकार से मांग कर रही है कि सोयाबीन की कीमतों को लेकर मंडियों में ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे किसानों को सोयाबीन की बिक्री पर कम से कम 8,000 रुपए प्रति क्विंटल का रेट मिले। 

किसानों का कहना है कि एक बीघा में ढाई से तीन क्विंटल सोयाबीन की पैदावार होती है और एक बीघा में सोयाबीन लगाने का खर्च नौ से 10 हजार रुपए आ जाता है। अगर हमें 4,000 रुपए का रेट मिलता है तो 11 से 12 हजार ही रुपए मिल पाते हैं। यानी मात्र एक से दो हजार रुपए अतिरिक्त मिलते हैं, इसमें उनकी मेहनत शामिल नहीं है। 

बड़वाया कहते हैं कि वर्तमान समय में सोयाबीन की जितनी कीमत मिल रही है, इतनी कीमत 2013-14 में मिलती थी, जबकि तब इतना खर्च भी नहीं आता था। 

संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े बबलू जाघव बताते हैं कि इससे पहले एक साल सोयाबीन की कीमत 12,000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गई थी, लेकिन इसके बाद 7,000 से लेकर 8,000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों सोयाबीन बेचा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से कीमत लगातार कम हो रही है। 

जाघव के मुताबिक व्यापारियों का तर्क है कि सरकार विदेशों से तेल का आयात कर रही है, जिस वजह से सोयाबीन की मांग कम हो रही है। 

मध्य प्रदेश के इंदौर, मालवा निमाड़ क्षेत्र में   सोयाबीन को पीला सोना के नाम से जाना जाता है। यहां खरीफ सीजन में किसानों के द्वारा काफी मात्रा में सोयाबीन की मुख्य फसल बोई जाती है। लेकिन अब किसान इतने परेशान हैं कि सोयाबीन की खेती का विकल्प तलाश रहे हैं।  

जाधव बताते हैं कि सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4850 रुपए प्रति क्विंटल है जबकि किसानों को फिलहाल प्रति क्विंटल पर 1000 से 1300 रुपये का सीधा नुकसान हो रहा है।

8,000 रुपए प्रति क्विंटल की मांग क्यों? 

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि वह किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सी2+50% के अनुसार फसल के दाम दिलाएगी। सी2प्लस 50% का मतलब है फसल में लगने वाला खाद, बीज, सिंचाई ,मेहनत, पूंजी का ब्याज,मजदूरीआदि को जोड़कर उस का डेढ़ गुना। यदि यह सब जोड़ा जाए तो सोयाबीन के भाव 8,000 से भी ऊपर होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में आधी कीमत मिल रही है जो किसानों के आक्रोश बढ़ा रही है।

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