अब मध्य प्रदेश के खेतों पर विदेशी आक्रमण!

एक साल पहले भारत आए विदेशी कीड़े फॉल आर्मी वर्म ने अब मध्य प्रदेश पर आक्रमण किया है, जिससे 6 जिलों की 60 फीसदी फसल के प्रभावित होने का खतरा बना हुआ है
आर्मी फॉल वर्म इस तरह से फसलों में अपना घर बना लेता है। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
आर्मी फॉल वर्म इस तरह से फसलों में अपना घर बना लेता है। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
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आर्मी की तरह मार्च कर चलने वाला आर्मी फॉल वर्म एक बार खेत में आ जाए तो सौ फीसदी फसल चट कर जाता है। एक रात में 100 किमी तक उड़ने की क्षमता रखने वाले इस फसल के दुश्मन की नजर अब मध्यप्रदेश पर है। पिछले कुछ दिनों से छिंदवाड़ा के किसान इस अटैक से परेशान है। हाल ही में चौरई विकासखंड के बांकानागनपुर में किसान नवीन रघुवंशी के लगभग 10 से 12 एकड में लगी तीन किस्मों के मक्के की जांच की, जिसमें तीनों में ही यह कीट पाया गया। छिंदवाड़ा के किसान दीपक सक्सेना की मक्के की नई फसल इस कीट की वजह से खराब हो गई। इनकी तरह सैकड़ों किसान इस कीट की वजह से नुकसान झेल रहे हैं।

हवा की दिशा में उड़ने की वजह से यह वर्म रोजाना 100 किलोमीटर की रफ्तार से आगे बढ़ते हुए मध्यप्रदेश के 6 जिलों छिंदवाड़ा, जबलपुर, सिवनी, हरदा और बैतूल को अपने चपेट में ले चुका है। कृषि विभाग के अनुमान के मुताबिक 6  जिलों की 60 प्रतिशत फसलों को आर्मी फॉल वर्म से नुकसान होने की आशंका है। छिदवाड़ा में सबसे अधिक 2,000 हैक्टेयर की फसल पर आर्मी फॉल वर्म का प्रभाव है। बैतूल में 1000, हरदा में 800 और सिवनी में 600 और हैक्टेयर की फसल इसकी चपेट में है।

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के सात वैज्ञानिकों की टीम ने इस कीट पर रिसर्च कर इससे निपटने के उपाय सुझाए। वैज्ञानिकों की टीम ने छिंदवाड़ा का दौरा भी किया। जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. एके भौमिक बताते हैं कि उन्होंने मध्यप्रदेश में पहली बार इस कीट को 18 मार्च 2019 में रिकॉर्ड किया था, हालांकि इसके आने की आशंका विश्वविद्यालय ने पहले से ही जाहिर की थी। दिसंबर 2018 से ही इसकी तैयारियां शुरू हो गई और किसानों को अलर्ट भी कर दिया गया था। उन्होंने आर्मी फॉल वर्म के बारे में बताते हुए कहा कि इसे सबसे अधिक पसंद मक्के की फसल है। यह वर्म फसल की बढ़त रोक देता है और तकरीबन 80 तरह की खरीफ फसलों पर इसका प्रभाव होता है।  

अमेरिका जैसै इंतजाम नहीं हुए तो तबाह हो जाएंगी फसले

भौमिक बताते हैं कि आर्मी फॉल वर्म ने पिछले साल 18 जुलाई को कर्नाटक में पहला हमला किया था। इसके बाद आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल तक ऐसे ही उड़कल पहुंचा। अब मध्यप्रदेश में इसका प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। इस कीट की तितली पंख के साथ हवा के बहाव की मदद से आगे बढ़ती है और एक बार  एक से डेढ़ हजार अंडे देती है। भौमिक मानते हैं कि रेत और सूखी मिट्टी या बुरादा से कीट की बढ़त रोकी जा सकती है लेकिन बड़े क्षेत्र में इसको रोकने के लिए कीटनाशक का छिड़काव ही उपाय है। उन्होंने कहा कि इस कीट पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अमेरिका जैसै उपाय यानि हेलीकॉप्टर से कीटनाशक का छिड़काव करना होगा, नहीं तो पूरे मध्यप्रदेश की फसलें चौपट हो जाएंगी।

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