साल 2021 के पहले दो महीने किसानों पर पड़े भारी, कहीं सूखा तो कहीं भारी बारिश

जनवरी-फरवरी माह में भारत में सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई, जबकि अधिकतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहा
फाइल फोटो: सीएसई
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"मौसम और किसान का तो बैर सा हो गया है। कभी बारिश होती है तो इतनी होती है कि फसल खराब हो जाती है और जब बारिश की जरूरत होती है, उस समय बारिश नहीं होती। इस बार जनवरी-फरवरी में बारिश ही नहीं हुई। किसी तरह मोटर-पंप का इंतजाम किया और गेहूं और मकई को बचाया, वर्ना तो दोनों फसल बर्बाद हो जाती।" यह कहना है, बिहार के मधेपुरा जिले के ब्लॉक ग्वालपाड़ा के गांव झटिकिसा कलौसा निवासी चिंटू का।

चिंटू ने अपने दस एकड़ के खेत में मकई और पांच एकड़ के खेतों में गेहूं लगाया है। वह कहते हैं कि जनवरी-फरवरी में बारिश नहीं हुई तो जमीन सख्त होने लगी। इससे खरपतवार, कीड़ें दिखाई देने लगे तो हम लोग सचेत हो गए और तुरत-फुरत मोटर पंप से पानी की सिंचाई शुरू की गई और हर पांच दिन के अंतराल में दवाई का स्प्रे करना पड़ा। वह बताते हैं कि इस बार फसल बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

वहीं महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में फरवरी में अचानक आई तेज बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद क्षेत्र के किसान अमित पारांडकर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि 18-19 फरवरी की रात को इतनी तेज बारिश हुई कि हमारी सारी फसल तबाह हो गई। उन्होंने चना लगाया था, जिसे काफी नुकसान पहुंचा। उन्हें कुल 1 लाख रुपए का नुकसान हुआ था। तब प्रशासन ने पंचनामा भी भरा था और कहा था कि मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन अब तक मुआवजा नहीं मिला। वह बताते हैं कि उनके इलाके में अंगूर की खेती बड़ी मात्रा में होती है। बारिश और ओलों की वजह से अंगूर के फाउंडेशन तक खत्म हो गए। अंगूर किसानों को दस लाख रुपए तक का नुकसान हुआ है। 

महाराष्ट्र के ही किसान जाकिर बताते हैं कि बीती सर्दी ही किसानों के लिए भारी रही। 2020 की दीवाली के बाद जब सर्दी का सीजन शुरू होता है तो उन्होंने अपने खेतों में हर साल की मौसम्बी फल के पेड़ों की पानी दिया था। लेकिन तब से लेकर अब तक इस सीजन में ठंड पड़ी ही नहीं। इससे मौसम्बी सही से नहीं हुई। बाकी कसर, एक दिन ओलों के साथ-साथ हुई तेज बारिश ने पूरी कर दी। ज्यादातर कच्ची मौसम्बी गिर गई। यही हाल उनके गांवों के गेहूं किसानों का हुआ। गेहूं के लिए भी सर्दी जरूरी है, लेकिन इस सीजन में ठंड नहीं हुई तो गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ। उनका अनुमान है कि इस सीजन में गेहूं के उत्पादन लगभग आधा रह जाएगा।

दरअसल, जनवरी और फरवरी का महीना मौसम के हिसाब से काफी खराब रहे। इन दो महीनों में दक्षिणी भारत को छोड़ कर शेष भारत में सामान्य से काफी कम बारिश हुई, जिसके चलते न केवल अधिकतम तापमान बढ़ गया, बल्कि रबी सीजन की फसल को लेकर भी किसानों की चिंता बढ़ गई है।

2 मार्च को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी व फरवरी में बारिश का दीर्घकालिक अवधि औसत (एलपीए) 40.8 मिलीमीटर रहता है, लेकिन 2021 के जनवरी-फरवरी महीने में देश में 27.8 मिलीमीटर बारिश हुई। जो औसत से लगभग 32 फीसदी कम रही। लेकिन अगर अकेले फरवरी माह की बात की जाए तो फरवरी में देश में 68 फीसदी बारिश कम हुई।

एक ओर पूर्वी और पूर्वोत्तर के राज्यों में काफी कम बारिश हुई, वहीं दक्षिण प्रायद्वीप के राज्यों में औसत से काफी अधिक बारिश हुई।

मौसम विभाग के मुताबिक, 1901 के बाद 2021 में सर्दी के मौसम (जनवरी-फरवरी) में चौथी बार सबसे अधिक बारिश हुई। यहां इस साल 56.1 एमएम बारिश हुई, जबकि इससे पहले 1901 में 61 एमएम, 1986 में 59.9 एमएम, 1984 में 59.2 एमएम बारिश हुई थी। वहीं पूर्वी व पूर्वोत्तर राज्यों में 78 फीसदी कम बारिश हुई। इस क्षेत्र में दीर्घकालिक अवधि के औसत (एलपीए) 52.1 एमएम है, जबकि इस साल जनवरी-फरवरी में केवल 11.5 फीसदी बारिश हुई। इसी तरह उत्तर पूर्व क्षेत्र में एलपीए से 51 फीसदी और मध्य भारत में 42 फीसदी कम बारिश हुई।

मौसम विभाग के ये आंकड़े बताते हैं कि रबी सीजन के दो महत्वपूर्ण महीनों में देश के ज्यादातर हिस्सों में काफी कम बारिश हुई। वहीं इन इलाकों में अधिकतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहा।

मौसम विभाग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी-फरवरी के दो माह का औसत अधिकतम तापमान 27.47 सेल्सियस रहा, जबकि सामान्य अधिकतम तापमान 26.70 सेल्सियस रहता है। इसी तरह इन दो महीनों में औसत न्यूनतम तापमान भी अधिक रहा।

यहां यह उल्लेखनीय है कि सामान्य तापमान या दीर्धकालिक अवधि तापमान (एलपीए) से आशय है कि 1981 से 2010 के औसत तापमान से है। इन सालों के औसत को मौसम विभाग सामान्य तापमान मानता है।

अगर फरवरी माह की बात की जाए तो इस माह में गर्मी अधिक रिकॉर्ड की गई और सामान्य तापमान के मुकाबले फरवरी 2021 में अधिकतम तापमान में अधिक वृद्धि हुई। खासकर उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहा। फरवरी माह में यहां का सामान्य तापमान 21.46 एमएम रहता है, लेकिन फरवरी 2021 में उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में अधिकतम तापमान 24.40 एमएम रहा, जो 2.94 एमएम अधिक रहा।

बारिश न होने और तापमान में वृद्धि के साथ-साथ तेज हवाएं चलने से किसानों को खासी मुसीबत का सामना करना पड़ा। रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं और जौ के लिए यह मौसम ठीक नहीं रहा।

मौसम को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) की ओर से लगभग हर दिन सलाह जारी की जाती है। फरवरी माह के दौरान आईसीएआर की ओर से किसानों को बार-बार सलाह दी गई कि वे गेहूं और जौ में लगातार सिंचाई करें और खरपतरवार नाशक का भी प्रयोग करें। 

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