हर साल 63 हजार करोड़ की उपज नहीं बेच पाते किसान

किसान अपनी उपज काट तो लेता है, लेकिन न तो मंडियों तक पहुंचा पाता है और ना ही कोल्ड स्टोरेज तक
किसान बड़ी तादात में अपनी उपज बेच नहीं पाते हैं। फोटो: सीएसई
किसान बड़ी तादात में अपनी उपज बेच नहीं पाते हैं। फोटो: सीएसई
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भारत के किसानों को हर साल लगभग 63 हजार करोड़ रुपए का नुकसान इसलिए हो जाता है, क्योंकि वे अपनी उपज बेच ही नहीं पाते। दिलचस्प बात यह है कि इस राशि से लगभग 30 फीसदी अधिक खर्च करके सरकार किसानों को इस नुकसान से बचा सकती है।

यह बात तीन साल पहले केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुना करने के लिए बनाई गई दलवाई कमेटी ने कही थी। कमेटी के मुताबिक फलों और सब्जियों के उत्पादन पर खर्च करने के बाद जब फसल को बेचने का समय आता है तो अलग-अलग कारणों के चलते यह फसल बर्बाद हो जाती है। कमेटी का अनुमान है कि ऐसा न होने पर किसानों को हर साल 63 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होता है। दिलचस्प बात यह है कि देश भर में कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर पर जितना खर्च किया जाना चाहिए, उसका 70 फीसदी नुकसान किसान को एक साल में हो जाता है।

दरअसल फल और सब्जियों की बर्बादी का कारण कोल्ड चेन (शीत गृह) की संख्या में कमी, कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर, कोल्ड स्टोरेज की कम क्षमता, खेतों के निकट कोल्ड स्टोरेज का न होना है। कमेटी के मुताबिक किसानों को लगभग 34 फीसदी फल, 44.6 फीसदी सब्जी और 40 फीसदी सब्जी व फल दोनों का जितना आर्थिक लाभ मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल पाता।

23 सितंबर 2020 को संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक देश भर में 8186 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिनकी क्षमता 374.25 लाख टन है। बावजूद इसके कोल्ड स्टोरेज तक किसानों की उपज नहीं पहुंच पाती और खराब हो जाती है। दलवाई कमेटी का कहना था कि पेक हाउस, रिफर ट्रक, कोल्ड स्टोरी और कटाई केंद्रों के बीच एकीकरण न होने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। कमेटी के मुताबिक, 89,375 करोड़ रुपए का निवेश करके पूरा नेटवर्क तैयार किया जा सकता है, जिससे किसानों को हर साल होने वाले इस नुकसान से बचा जा सकता है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि देश में फलों और सब्जियों का उत्पादन, खाद्यान्न से आगे निकल गया है। कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी एक बयान में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 के दौरान 320.48 मिलियन टन बागवानी फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3.13 फीसदी अधिक है। वर्ष 2018-19 में देश में 310.74 मिलियन टन बागवानी फसलों का उत्पादन हुआ था।

लेकिन इतना उत्पादन होने के बाद भी किसान को आर्थिक फायदा इसलिए नहीं मिल पाता, क्योंकि वे अपनी उपज बेच नहीं पाते और ना ही सुरक्षित रख पाते हैं। सरकार का दावा है कि भारत दुनिया में सब्जियों और फलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन यह गौर करने वाली बात है कि फसल पैदा होने के बाद होने वाली बर्बादी की वजह से फल और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता काफी कम है।

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