हर पांचवे परिवार और हाशिए पर खड़ी महिलाओं को नहीं है वन नेशन वन राशन कार्ड के पोर्टेबिलिटी की जानकारी : अध्ययन

अध्ययन यह भी बताता है कि खाद्य सुरक्षा के लिए अंतर्राज्यीय पोर्टेबिलिटी की सुविधा और अपने पसंद की उचित कीमत वाली राशन दुकान (एफपीएस) का चयन करने की सुविधा 58 फीसदी प्रवासी श्रमिकों के जरिए उठाई जा
हर पांचवे परिवार और हाशिए पर खड़ी महिलाओं को नहीं है वन नेशन वन राशन कार्ड के पोर्टेबिलिटी की जानकारी : अध्ययन
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जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) के सफलता की प्रमुख कुंजी मानी जाने वाली वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के बारे में अब भी पांचवा परिवार पोर्टेबिलिटी की सुविधा के फायदे से अनजान है। साथ ही  सोशल इंपैक्ट एडवाइजरी ग्रुप डालबर्ग के जरिए एक अध्ययन में यह बात कही गई है। 

6700 निम्न आय परिवारों और 1500 पीडीएस डीलर्स को सर्वे में शामिल करते हुए यह अध्ययन आंध्र प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य में किया गया है। इन राज्यों की पीडीएस में हिस्सेदारी 40 फीसदी है और इन्हीं राज्यों ने सबसे पहले ओएनओआरसी को अपनाया था।

अध्ययन में कहा गया है कि ओएनओआरसी खासतौर से प्रवासियों को लाभ पहुंचाने के लिए डिजाईन की गई थी। हालांकि,  हाशिए पर रहने वाली महिलाएं अनाज हासिल करने का ज्यादा लाभ नही ले पा रही हैं। 

वहीं, अध्ययन यह भी बताता है कि खाद्य सुरक्षा के लिए अंतर्राज्यीय पोर्टेबिलिटी की सुविधा और अपने पसंद की उचित कीमत वाली राशन दुकान (एफपीएस) का चयन करने की सुविधा 58 फीसदी प्रवासी श्रमिकों के जरिए उठाई जा रही है। प्रवासी श्रमिकों के अलावा ओएनओआरसी योजना गैर प्रवासी श्रमिकों में भी सकारात्मक प्रभाव छोड़ रही है और ज्यादातर प्रवासी पोर्टेबिलिटी का लाभ ले रहे हैं।

ओमिडयार नेटवर्क इंडिया के सहयोग से किए गए सर्वे अध्ययन में कहा गया है कि ओएनओआरसी ट्रांजेक्शन विफलता के पीछे एफपीएस पर तकनीकी का विफल होना औऱ स्टॉक खत्म होने का डर प्रमुख कारण पाया गया है। इस बात का ख्याल भी नहीं रखा जा रहा है कि ट्रांजेक्शन फेल होने के बावजूद भी राशन मुहैया कराने का सरकारी आदेश तक दिया गया है। ज्यादातर पीडीएस डीलर्स इस बात से अनजान है कि ऐसे मौकों पर क्या कदम उठाया जाना चाहिए। 

सर्वे अध्ययन की खास बातें ः 

48 फीसदी लाभार्थी पोर्टेबिलिटी को लेकर पूरी तरह जानकार हैं और 31 फीसदी आंशिक तौर पर जबकि 20 फीसदी परिवार पोर्टेबिलिटी के बारे में जानने को इच्छुक हैं लेकिन उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं

88 फीसदी परिवार राशन के लिए पोर्टेबिलिटी का इस्ते्ाल कर रहे हैं, जबकि 4 फीसदी परिवार ऐसा करने में विफल हैं 

12 फीसदी परिवारों को ट्रांजेक्शन विफलता का अनुभव हुआ  

20 फीसदी प्रवासी परिवार ने पोर्टेबिलिटी सुविधा का लाभ लिया जबकि 12 फीसदी परिवारों ने हाल ही में राशन कार्ड का इस्तेमाल किया जबकि 14 फीसदी भविष्य में करना चाहते हैंॉ

2 फीसदी लाभार्थियों ने अपना राशन कार्ड आधार से लिंक किया

विधवा, तलाकशुदा महिलाएं राशन कार्ड अपडेट के लिए ज्यादा परेशान हो रही हैं

97 फीसदी पीडीएस डीलर्स राशन पोर्टेबिलिटी के बारे में जानते हैं लेकिन सिर्फ 74 फीसदी ही अंतर्राज्यीय पोर्टेबिलिटी सुविधा के बारे में जानकारी रखते हैं

32 फीसदी पीडीएस डीलर्स डिमांड बढ़ने और स्टॉक खत्म होने के डर से इसे बेहतर नहीं मानते 

डलबर्ग एडवाइजर्स की स्वेथा टोटापल्ली ने कहा कि महामारी से पहले वन नेशन वन राशन कार्ड योजना ने कई लोगों को लाभ पहुंचाया है। पहली बार प्रवासी मजदूर किसी भी शहर में अपना राशन हासिल कर सकती है। योजना के बारे में जागरुकता की कमी को दूर करके इस योजना को और बेहतर बनाया जा सकता है। 

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