आर्थिक सर्वेक्षण 2025: कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ा, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में घटा

सरकार ने पिछले साल के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा था कि बढ़ती कार्यशील आबादी को उत्पादक रूप से संलग्न करने के लिए 2030 तक सालाना औसतन 78.5 लाख गैर कृषि नौकरियां पैदा करनी होंगी
कृषि क्षेत्र में 40.8 फीसदी नियमित श्रमिकों और 51.9 फीसदी आकस्मिक श्रमिकों को नहीं मिल रहा न्यूनतम मेहनताना; फोटो: आईस्टॉक
कृषि क्षेत्र में 40.8 फीसदी नियमित श्रमिकों और 51.9 फीसदी आकस्मिक श्रमिकों को नहीं मिल रहा न्यूनतम मेहनताना; फोटो: आईस्टॉक
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आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में भले ही रोजगार की उजली तस्वीर पेश की गई है, लेकिन इसने सेवा और निर्माण क्षेत्र में रोजगार घटने और कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की बात कर यह साबित कर दिया है कि सरकार कृषि क्षेत्र के रोजगार को दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित करने में विफल साबित हुई है।

सरकार ने 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अपनी बढ़ती कार्यशील आबादी को उत्पादक रूप से संलग्न करने के लिए 2030 तक सालाना औसतन 78.5 लाख गैर कृषि नौकरियां पैदा करनी होंगी।

इसका मतलब यह है कि भारत को हर साल कृषि से लगभग 35 लाख लोगों को हटाने और गैर-कृषि क्षेत्रों में 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता है ताकि कृषि से गैर-कृषि रोजगार में परिवर्तन किया जा सके।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 बताता है कि सरकार कृषि क्षेत्र से लोगों को सेवा या निर्माण में स्थांनातरित नहीं कर पाई है। आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि कृषि क्षेत्र रोजगार में अब भी अग्रणी बना हुआ है। 2017-18 में रोजगार में इसकी हिस्सेदारी 44.1 प्रतिशत थी जो 2023-24 में बढ़कर 46.1 प्रतिशत हो गई है। यानी पिछले छह वर्षों के दौरान रोजगार के लिए कृषि पर निर्भरता दो प्रतिशत बढ़ी है। 2023 में 45.8 प्रतिशत रोजगार कृषि क्षेत्र में था।

यह आंकड़ा बताता है कि कृषि के अतिरिक्त दूसरे क्षेत्र रोजगार सृजन में कामयाब नहीं हो रहे हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 भी कहता है कि रोजगार में उद्योग और सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई है।

सर्वेक्षण दस्तावेज में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) 2023-24 की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 2017-18 के मुकाबले 2023-24 में रोजगार देने में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 12.1 प्रतिशत से घटकर 11.4 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 31.1 प्रतिशत से घटकर 29.7 प्रतिशत हो गई है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में यह भी कहा गया है कि कृषि क्षेत्र में महिला श्रमिकों की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह 2017-18 में 57 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 64.4 प्रतिशत हो गई है। इस अवधि में कृषि क्षेत्र में पुरुषों की भागीदारी 40.2 प्रतिशत से घटकर 36.3 प्रतिशत हुई है।

इस अवधि में कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का करीब साढ़े सात प्रतिशत बढ़ना और पुरुषों की भागीदारी करीब 4 प्रतिशत घटना यह भी संकेत है कि अन्य क्षेत्रों में रोजगार का अपेक्षित सृजन नहीं हो रहा है।

आर्थिक सर्वेक्षण यह भी कहता है कि महिला कृषि रोजगार 2017-18 में 73.2 प्रतिशत से 2023-24 में 76.9 प्रतिशत हो गया है जबकि पुरुष भागीदारी 55 प्रतिशत से घटकर 49.4 प्रतिशत हो गई है।

शहरी क्षेत्रों में महिलाएं मुख्य रूप से अन्य सेवाओं में काम करती हैं। इस क्षेत्र में उनकी हिस्सेदारी 44.4 प्रतिशत से कम होकर 40.1 प्रतिशत हो गई है। कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 46.1 प्रतिशत आबादी का भरण-पोषण करता है।

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