आर्थिक सर्वेक्षण 2024 : किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अपर्याप्त कृषि निवेश

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि निवेश में 12.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता लेकिन जीसीएफ में औसत वार्षिक वृद्धि 9.70 प्रतिशत ही
सरसों में लगातार दूसरे साल नुकसान उठाने वाला किसान, फोटो : आई स्टॉक
सरसों में लगातार दूसरे साल नुकसान उठाने वाला किसान, फोटो : आई स्टॉक
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केंद्र सरकार ने आम बजट 2024-25 से पहले आर्थिक समीक्षा 2024 जारी करते हुए कहा है कि कृषि में निवेश को बढ़ावा दिया गया है हालांकि, यह अब भी सार्वजनिक निवेश पर ही निर्भर है और किसानों की आय को दोगुनी करने के नजरिए से पर्याप्त नहीं है। लंबी अवधि के परिणाम और आधुनिकीकरण के लिए बड़े निजी निवेश की जरूरत है।  

केंद्र सरकार ने 2022-23 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा था।  2019-20 के अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था "2022 में जब हम 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे होंगे तब एक नए भारत का उदय होगा।...जहां किसानों की आय दोगुनी होगी।" हालांकि, अभी तक यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका है।

डबलिंग ऑफ फॉर्मर्स इनकम (डीएफआई) 2016 रिपोर्ट में बताया गया था कि 2016-17 से 2022-23 की अवधि में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए, कृषि क्षेत्र में आय में 10.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए कृषि निवेश में 12.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता होगी।

आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र में सुधार करने वाले ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (जीसीएफ) यानी सकल स्थायी पूंजी निर्माण में साल-दर-साल बढ़त हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक "2016-17 से 2022-23 तक जीसीएफ में औसत वार्षिक वृद्धि 9.70 प्रतिशत ही रही।"

जीसीएफ एक विशिष्ट अवधि में  भौतिक संपत्ति में किए गए कुल निवेश को कहा जाता है। यह नए और मौजूदा स्थायी संपत्तियों जैसे मशीनरी, भवन, भूमि सुधार, उपकरणों की खरीद और भंडारण में बदलाव में किया गया निवेश होता है। जीसीएफ कृषि के आधुनिकीकरण, उत्पादकता बढ़ाने और स्थिरता सुनिश्चित करने में निवेश का एक महत्वपूर्ण संकेतक भी है।

आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक "कृषि क्षेत्र का जीसीएफ और सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के प्रतिशत के रूप में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में जीसीएफ का हिस्सा लगातार बढ़ रहा है, जिसका मुख्य कारण सार्वजनिक निवेश में वृद्धि है।"आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक "कृषि क्षेत्र का जीसीएफ 2022-23 में 19.04 प्रतिशत की दर से बढ़ा और जीवीए के प्रतिशत के रूप में जीसीएफ 2021-22 में 17.7 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 19.9 प्रतिशत हो गया, जो कृषि में निवेश में वृद्धि का संकेत देता है। 2016-17 से 2022-23 तक जीसीएफ में औसत वार्षिक वृद्धि 9.70 प्रतिशत रही।"

रिपोर्ट में स्पष्टता देते हुए कहा गया है कि कृषि में निवेश का आशय  मुख्य तौर पर भूमि, लागत और उत्पादन संबंधी निवेश होता है। यह बाजार, भंडारण, परिवहन, ग्रेडिंग और फसल कटाई के बाद की सरंचनाओं के लिए निवेश को शामिल नहीं करता है। 

आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि "जीसीएफ में बढ़ती प्रवृत्ति के बावजूद खासतौर किसानों की आय दोगुना करने के संदर्भ में कृषि निवेश को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।" इसके अलावा रिपोर्ट इस बात पर जोर डालती है कि "छोटी जोत वाली कृषि भूमि एक बड़ी चुनौती है जो किसानों के निवेश को प्रभावित कर रही है। वहीं दूसरी तरफ इसमें निजी व्यावसायिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी कम है।" 

आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर खासतौर से फसल कटाई के बाद (पोस्ट हार्वेस्ट) की सुविधाओं का विकास किए जाने से अपशिष्ट में बड़ी कटौती की जा सकती है। साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता को भी बचाए रखा जा सकता है और किसानों की आय को भी बढ़ाया जा सकता है।   

समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक कृषि क्षेत्र में खासतौर से खाद और ऊर्जा के लिए सर्वाधिक सब्सिडी दी जा रही है, जिससे सार्वजनिक निवेश बढ़ा है। कृषि क्षेत्र में कुल सार्वजनिक निवेश का एक तिहाई सब्सिडी खाद और ऊर्जा के लिए ही दिया जा रहा है। वहीं, 2011-12 से 2020-21 तक यानी दस वर्षों में सब्सिडी दोगुनी हो चुकी है। 

रिपोर्ट के मुताबिक सब्सिडी के सहयोग से छोटी अवधि में किसानों की आय और उत्पादन में वृद्धि होती है। हालांकि, लंबी अवधि के लिए उच्च निवेश की जरूरत है ताकि क्षेत्र का आधुनिकीकरण किया जा सके। इसके लिए खासतौर से फसल कटाई के बाद की सुविधाओं को मजबूत करने के लिए प्राइवेट कॉर्पोरेट कंपनियों के सक्रिय सहभागिता की भी जरूरत होगी। 

रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि मौजूदा और नई नीतियों को बदले जाने की जरूरत है क्योंकि भारत में सरकारें किसानों की अच्छी तरह से देखभाल करने के लिए पर्याप्त संसाधन खर्च करती हैं। 

इससे पहले फरवरी, 2024 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार का 12वां और दूसरा अंतरिम बजट पेश किया था। जैसा संकेत था कि अंतरिम बजट एक चुनावी बजट होगा जिससे बड़ी उम्मीदें नहीं रखी गई थीं। इसमें किसानों की आय दोगुनी करने के मुद्दे पर चुप्पी बनी रही थी और आगे के लिए कोई ठोस निर्णय वाला ऐलान भी नहीं दिखा था।

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