धान खरीद को लेकर मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में किसानों का प्रदर्शन

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अलग-अलग जगह किसान धरने पर बैठे हैं, किसानों का आरोप है कि उनका धान नहीं खरीदा जा रहा है
मध्यप्रदेश, रीवा जिले के दुआरी गांव में अपने धान के साथ धरनास्थल पर बैठे किसान शेषमणि: पंकज अग्निहोत्री
मध्यप्रदेश, रीवा जिले के दुआरी गांव में अपने धान के साथ धरनास्थल पर बैठे किसान शेषमणि: पंकज अग्निहोत्री
Published on

दुआरी गांव से पंकज अग्निहोत्री

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के आधा दर्जन गांवों में पिछले पांच दिनों से पांच हजार क्विंटल धान की खरीदी के लिए आमरण अनशन चल रहा है। अनशन स्थल पर कई प्रशासनिक अधिकारी आए लेकिन बातचीत सफ नहीं होने पर अधिकारी बैरंग लौट गए।

पिछले पांच दिन से धान खरीदी को लेकर चल रहे धरना स्थल पर सोमवार (दो मार्च, 2020) की सुबह 10 बजे अचानक अनुविभागीय अधिकारी शिशिर गेमावत,तहसीलदार सौरभ द्विवेदी,राजस्व निरीक्षक दुआरी जितेंद्र सिंह बघेल सहित कई पुलिस अधिकारी धरना स्थल पर पहुंचे। धरने पर बैठे किसान और सामाजिक कार्यकर्ता विश्वनाथ पटेल चोटीवाला से प्रशासनिक अधिकारियों ने बात की लेकिन बात नही बनी चोटीवाला किसानो की खरीदी केंद्र मे रखी हुई धान को खरीदी करने के लिए अड़े हुए हैं,जब तक किसानो की धान सरकार नही खरीदती, तब तक आन्दोलन समाप्त नही होगा। खरीदी केंद्र क्रमांक  2, 250033 पड़रिया (दुआरी) मे पांच हजार क्विंटल धान खरीदी के लिए खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई है। जिसे लेकर पांच दिन से धरना चल रहा है लेकिन सरकार सुनने को  तैयार नही है।

इस अवसर पर आसपासके दर्जनों किसान नीलेश पटेल, बृजभान पटेल पूर्व सरपंच,रामायण अग्निहोत्री,राजेश पटेल, पुष्पराज पटेल, शंकर पटेल, अंबिका मिश्रा, सुरेश तिवारी,रामरसीले कुशवाहा पूर्व सरपंच उमरिहा, राजेश पटेल सरपंच गौरा,हेमंत पटेल,रामखेलावन जयसवाल,कल्लू यादव,अंकित पटेल,शिवकुमार कुशवाहा,संतोष पटेल, रामनाथ केवट,जोखू पटेल,मोहन गर्ग, बिहारीलाल पटेल,रामलाल पटेल, नर्मदा पटेल,सहित काफी मात्रा में किसानों ने धरना स्थल मे मौजूद रहे। यह तो एक गांव की बात है इसी प्रकार से कई और गांवों में धान की खरीदी को धरना चल रहा है।

वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ राज्य के बेमेतरा, नवागढ़, जगलपुर, मुंगेली सहित कई स्थानों पर किसानों अनाज मंडी के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि मंडी में बारदाने (बोरा) उपलब्ध नहीं होने की वजह से धान तौला ही नहीं जा रहा। किसानों का का कहना है कि सरकार जानबूझ कर बारदाने की व्यवस्था नहीं की है। किसानों का कहना है कि नवंबर, 2019 में कुल धान का रकबा, पंजीकृत किसान व मात्रा तय था, ऐसे में कितना बारदाना लगेगा किसी निरक्षर से पूछ लिया गया होता तो वह बता देता, किसानों को जानबूझकर परेशान करने के लिए यह सब किया जा रहा है।

छतीसगढ़ देश का ऐसा पहला राज्य है जिसने केंद्र सरकार द्वारा जारी धान के समर्थन मूल्य 1,835 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक मूल्य यानी 2500 रुपए प्रति क्विंटल देने की  घोषणा नवंबर, 2019 में की थी। ऐसे में केंद्र सरकार कह रही है कि जो प्रदेश सरकार बोनस देगी उससे केंद्र सरकार चावल नहीं खरीदेगी। इस तरह किसानों के धान का पूरा पैसा राज्य सरकार को अपने खजाने से देना होगा। ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र से छूट देने की मांग की कि बोनस राज्य अपने खजाने से देगी लेकिन समर्थन मूल्य किसान का अधिकार है उसे मिलना चाहिए। इस नियम में रमन सरकार के दौरान भी मोदी सरकार ने छूट दी थी। लेकिन सरकार बदली तो केंद्र सरकार भी अपने पुराने फैसले से पलट गई।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in