
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कीर्ति आजाद की अध्यक्षता वाली रसायन और उर्वरक संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय से आग्रह किया है कि पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना (एनबीएस) में अतिरिक्त धन मांगा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों के लिए सब्सिडी योजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
उर्वरक समिति ने पोषक तत्व सब्सिडी योजनाओं के लिए कम धन मुहैया कराने के खिलाफ चेतावनी भी दी। रिपोर्ट में आधुनिक उर्वरकों के साथ चुनिंदा फसलों की वृद्धि में सुधार का भी उल्लेख किया गया है। साथ ही समिति ने केंद्र से घरेलू उत्पादन क्षमता विकसित करने का भी आग्रह किया है।
समिति ने केंद्र को उत्पादन इकाइयों की समय पर स्थापना सुनिश्चित करके नैनो यूरिया और नैनो डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की उत्पादन क्षमता का विस्तार करने की भी सिफारिश की है। इसके अतिरिक्त किसानों के बीच इन नैनो उर्वरकों को लोकप्रिय बनाने की रणनीति बनाने का भी आह्वान किया है।
समिति ने कहा कि केंद्र सरकार कच्चे माल और तैयार उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय उर्वरक कंपनियों और संसाधन संपन्न देशों में उनके समकक्षों के बीच समझौते की सुविधा प्रदान करती है लेकिन शोधन या उत्पादन के लिए खनन पट्टा समझौते को सुरक्षित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।
समिति ने केंद्र से घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए ऐसे समझौते करने का आग्रह किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भौतिक उपाय शुरू किए बिना और सरकारी, सार्वजनिक और निजी निवेश को बढ़ावा दिए बिना उर्वरकों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
समिति ने पाया कि उर्वरक विभाग ने 2025-26 में अपनी विभिन्न योजनाओं के लिए 1,84,704.63 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान लगाया था जबकि वित्त मंत्रालय ने इस आवंटन को 7.38 प्रतिशत घटाकर 1,71,082.44 करोड़ रुपए कर दिया था। समित ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना और विभाग की यूरिया सब्सिडी योजना दोनों में कटौती की गई है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कटौती से सब्सिडी योजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन पर विपरित असर पड़ेगा।
समिति ने 2024-25 के दौरान विभिन्न श्रेणियों में निधियों के कम उपयोग पर भी अपनी बात कही है। जैसे स्वदेशी फास्फोरस और पोटेशियम (पीके) उर्वरकों के तहत 20 प्रतिशत, आयातित पीके के तहत 12 प्रतिशत, स्वदेशी यूरिया के तहत 14.76 प्रतिशत और बाजार विकास सहायता (एमडीए) के तहत 59.57 प्रतिशत आदि शामिल हैं। समिति ने सिफारिश की है कि केंद्र विभिन्न मंत्रालयों के तहत निरंतरता के साथ योजनाबद्ध तरीके से आवंटन का पूरी तरह से उपयोग सुनिश्चित करे। खाद्यान्न उत्पादन में यूरिया के महत्व को देखते हुए समिति ने जोर देकर कहा कि यूरिया सब्सिडी योजना जारी रहनी चाहिए।
नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के साथ मिलाने पर फसल की पैदावार में वृद्धि का हवाला देते हुए समिति ने कहा कि मटर में सबसे अधिक उपज में सुधार (6.14 से 14.82 प्रतिशत) और गन्ने में सबसे कम (1.65 से 4 प्रतिशत) देखा गया है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नैनो डीएपी पर फील्ड ट्रायल से पता चला है कि बीज उपचार के लिए इसका उपयोग पारंपरिक दानेदार डीएपी की आवश्यकता को कम कर सकता है। इसलिए समिति सिफारिश करती है कि उर्वरक विभाग को भविष्य में बनने वाली इकाइयों की समय पर स्थापना सुनिश्चित करके नैनो यूरिया और नैनो डीएपी उत्पादन क्षमताओं का विस्तार करना चाहिए।