अमेरिका से आने वाले सेब पर आयात शुल्क में कटौती, हिमाचल-कश्मीर के बागवान नाराज

चार साल पहले सरकार ने कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी थी, जिसके बाद विदेशी सेब की आवक कम हो गई थी और देशी सेब की मांग बढ़ी थी
केंद्र सरकार ने अमेरिया से आयात होने वाले सेब पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत की कटौती की है। फोटो: रोहित पराशर
केंद्र सरकार ने अमेरिया से आयात होने वाले सेब पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत की कटौती की है। फोटो: रोहित पराशर
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अमेरिका से सेब के आयात शुल्क को 20 फीसदी कम किए जाने पर देश में सेब बागवानी के क्षेत्र में अग्रणी राज्य हिमाचल और जम्मू एवं कश्मीर के बागवानों में भारी रोष पैदा हो गया है। बागवानों का मानना है कि इससे देश में भारत के सेब के दामों में भारी गिरावट आएगी।

जहां एक तरफ हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के बागवान केंद्र सरकार से विदेश से सेब के आयात शुल्क को दोगुना करने की मांग कर रहे थे, वहीं इसमें कटौती किए जाने से अब ये बागवान केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में भी जुट गए हैं।

बागवानों का कहना है कि अमेरिका दुनिया में सेब उत्पादन का सबसे बड़ा देश है और आयात शुल्क कम होने की वजह से वो कम दामों में भारत में अपना सेब बेच पाएगा, जिसका सीधा असर यहां के बागवानों को भुगतना पड़ेगा। आयात शुल्क में कटौती से उनके सेब की डिमांड तो कम होगी।

चार वर्ष पहले कस्टम डयूटी बढ़ने के बाद जब विदेशी सेब को भारत में आना कम हुआ था, लेकिन अब इसमें वृद्धि होगी। 

संयुक्त किसान मंच के सह संयोजक व बागवान संजय चौहान ने डाउन टू अर्थ को बताया कि केंद्र सरकार ने बागवानों के साथ धोखा किया है। हम आयात शुल्क को दोगुना करने की मांग कर रहे थे] लेकिन सरकार ने इसे घटा दिया।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से केंद्र में हिमाचल के बागवानों की मांगों को पुरजोर तरीके से रखने की मांग की है और इसके बदले में बागवान उन्हें आगामी चुनावों में सहयोग करेंगे।

प्रगतिशील बागवान संजीव चौहान ने बताया कि भारत में सेब की सबसे अधिक मांग रहती है और व्यापारी हिमाचल के सेब को कोल्ड स्टोर के लिए ज्यादा खरीदते थे, लेकिन अब अमेरिकी बाजार से सस्ते दामों में सेब मिलने से हिमाचल के सेब की खरीद पर असर पड़ेगा और इसके दाम भी कम मिलेंगे।

यंग एडं युनाइटेड ग्रोवर्स एसोसिएशन के महासचिव और युवा बागवान प्रशांत सेहटा ने डाउन टू अर्थ से कहा कि विदेशों में बागवानी आधुनिक तरीके से की जाती है। विदेशी सेब देखने में भी काफी आकर्षक होता है। जबकि भारत में सेब की बागवानी काफी चुनौतीपूर्ण है इसलिए इसके दाम भी विदेशी दाम से अधिक होंगे। ऐसे में विदेशी सेब कम दामों में मिलने से यहां के बागवानों की आर्थिकी पर गहरा असर पड़ेगा।

जम्मू एडं कश्मीर के कुलगांम जिले के बागवान सोहल खान ने डाउन टू अर्थ को बताया कि यह फैसला बागवानों के खिलाफ है। विदेश से आने वाले सेब की वजह से क्षेत्रिय मंडियों में सेब के दाम गिर जाते हैं। जैसे-जैसे विदेशी सेब आयात बढ़ रहा है, वैसे-वैसे दाम कम होते जा रहे हैं और इसे देखते हुए क्षेत्र के कई बागवानों ने सेब बागवानी को त्यागकर कुछ और काम धंधे शुरू कर दिए हैं।

गौरतलब रहे कि प्रदेश में 100 से अधिक वेरायटी का सेब उगाया जा रहा है और गर्म और कम उंचाई वाले इलाकों के लिए सेब की नई वेरायटी के आने से प्रदेश के सभी जिलों में सेब बागवानी शुरू हो गई है।

हिमाचल प्रदेश में 5 लाख से अधिक बागवान सीधे तौर पर सेब बागवानी से जुड़े हुए हैं और प्रदेश में हर साल लगभग 4 करोड़ सेब की पेटियों के उत्पादन से 5 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है। ऐसे में सेब के आयात शुल्क कम होने से इसका असर बागवानी क्षेत्र में स्पष्ट तौर पर देखने को मिलेगा।

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