

फसल बीमा योजना के तहत किसानों को भुगतान में देरी से राजस्थान सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।
2022-23 से 2024-25 तक किसानों ने 10,518.95 करोड़ रुपए का प्रीमियम भरा।
फसलों का नुकसान होने पर 56,151 करोड़ रुपए के दावे स्वीकृत किए गए
लेकिन 52,869.78 करोड़ रुपए का ही भुगतान हुआ।
राजस्थान के किसानों का 162.55 करोड़ रुपए का भुगतान लंबित है।
सरकार ने देरी के लिए राज्य सरकार की सब्सिडी में देरी और बैंकों की गलतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी स्थितियों वाले समय में देश के किसानों का सहारा बनने वाली बीमा योजनाएं दरअसल बेअसर साबित हो रही हैं।
संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया गया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2022-23 व 2024-25 के दौरान कुल 10,518 करोड़ रुपए के किसानों के प्रीमियम के मुकाबले 56,151 करोड़ रुपए के दावे स्वीकृत किए गए, जिनमें से किसानों को 52,869 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। वहीं अभी 3,282.10 करोड़ रुपये का भुगतान शेष है।
संसद (राज्यसभा) में सासंद विवेक के. तन्खा के द्वारा पूछे गए प्रश्न “बीमा भुगतान में देरी व राज्य वर बीमा लंबित आंकड़े” पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने 5 दिसंबर 2025 को जवाब दिया।
संसद में दिए गए जवाब के आंकड़ों के मुताबिक, सर्वाधिक बीमा करवाने वालों में राजस्थान अव्वल रहा लेकिन बीमा भुगतान के विलंब होने के मामले में भी इसी राज्य का नाम सूची में सबसे ऊपर है।
राजस्थान के किसानों ने कुल 2,840.90 करोड़ रुपए का प्रीमियम भरा, जिसमें 9950 करोड़ रुपए के दावे स्वीकृत हुए, लेकिन इसमें से 9,787.70 करोड़ रुपए का ही भुगतान हुआ। किसानों का 162.55 करोड़ रुपए का भुगतान अभी लंबित है।
सरकार ने बीमा राशि विलंब होने की वजह में बताया कि राज्य सरकार अपने हिस्से की स्वीकृत सब्सिडी देने में देरी करते है। इसके अलावा बैंकों द्वारा बीमा प्रस्तावों को गलत व विलंब करना व राज्य व बीमा कंपनियों के मध्य विवाद इत्यादि है।
सरकार ने कुल 20 बीमा कंपनियों को फसल बीमा योजना में सूचीबद्ध कर रखा है, जिनमें पांच सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य कंपनी है और 15 निजी क्षेत्र की बीमा कंपनिया है। बीमा करने में व लंबित राशि में सबसे अधिक हिस्सेदारी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड व रिलायंस जनरल कंपनी का है।
बीमा कंपनियों के द्वारा किसानों के खातों में हास्यापद न्यूनतम भुगतान राशि के संदर्भ में सवाल व कंपनियों पर कारवाई के बारे में भी पूछा गया, जिसका कृषि मंत्रालय ने जवाब नहीं दिया।
जारी है मौसमी नुकसान
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बताया कि वर्ष 2025-26 में (27 नवंबर 2026 तक) जल संबंधी आपदाओ के कारण 166.6046 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है। संसद (राज्यसभा) में सासंद शक्तिसिंह गोहिल व रंजीत रंजन के द्वारा पूछे गए प्रश्न “असामयिक वर्षा के कारण फसल का नुकसान” के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने 5 दिसंबर 2025 को जवाब दिया।
जवाब के मुताबिक, सर्वाधिक फसल प्रभावित क्षेत्र में महाराष्ट्र व कर्नाटक राज्य का नाम है। महाराष्ट्र राज्य के किसानों का कुल 75.42 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसल तबाह हुई है वही कर्नाटक राज्य के किसानों की कुल 14.81 लाख हेक्टेयर में फसल तबाह हुई है।
लेकिन सबसे चौंकाने वाले आंकड़े पंजाब के हैं, जहा इस वर्ष बाढ़ से काफी क्षेत्र तबाह हो गया था। लेकिन आंकड़ों में वहा पर कुल क्षेत्रफल 1.93 लाख हेक्टेयर में फसल प्रभावित हुई है। वही राजस्थान, बिहार व पश्चिम बंगाल सहित 15 राज्यों को कोई नुकसान नहीं हुआ।
इसके अलावा सरकार ने एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए बताया, खरीफ सीजन 2025 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा के लिए कुल आवेदन करने वाले किसानों की संख्या, स्वीकृत राशि व कुल भुगतान राशि के आंकड़े जारी किए है।
आंकड़ों के मुताबिक, खरीफ सीजन 2025 में कुल 746.7 लाख किसानों ने बीमा के लिए आवेदन किया व इसके लिए 127.8 करोड़ स्वीकृत हुए। लेकिन किसानों को 119.9 करोड़ रुपए भुगतान हुए। सबसे ज्यादा आवेदन राजस्थान के किसानों ने किए लेकिन भुगतान के नाम पर एक रुपए का भी भुगतान नहीं हुआ। सबसे अधिक भुगतान उत्तरप्रदेश (98.2 करोड़) के किसानों को हुआ।
फसल बीमा योजना को लेकर देश के अनेक राज्यों में शिकायत दर्ज की गई है। बीते माह राजस्थान, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र राज्य के किसानों ने बीमा कंपनियों की मनमानी पर आंदोलन भी किया था। केंद्र व राज्य सरकार भी बीमा कंपनियों की मनमानी पर अभी तक ठोस कारवाई नहीं की है।