क्या आप यकीन करेंगे कि कुछ रसायनों के सहारे सरसों के आकार के हुबहू दाने बनाए जा सकते हैं और उन्हें कृषि मंडियों में बेचा जा सकता है। इतना ही नहीं सहकारी समितियों के माध्यम से राजस्थान राज्य भंडार व्यवस्था निगम में भी इस नकली सरसो को भेजा जा रहा है।
अब तक हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, भरतपुर, मालपुरा, सीकर, बीकानेर एवं जयपुर जिलों में नकली सरसों के मामले सामने आ चुके हैं। दरअसल सरसों के दानों पर जब व्यापारियों को शक हुआ तो उन्होंने इन दानों को पानी में डालकर हिलाया और वह चकित रह गए, सारे दाने पानी में घुल गए।
ताजा मामला मामला हनुमानगढ़ जिले का है, जहां 25 अक्तूबर, 2024 को भादरा तहसील के निनाण गांव में एक तेल मिल मालिक को हरियाणा के कुछ लोग 16 क्विंटल 65 किलोग्राम नकली सरसों बेच गए। मिल मालिक रामप्रकाश को सरसों के नकली होने का पता तब चला, जब उसने उस सरसों को पहले से पड़ी सरसों में मिलाकर मशीन में डाल दिया। इससे काले रंग का तेल एवं काले रंग की खल निकली। यह तेल अच्छी सरसों में मिल जाने से करीब दस लाख रुपये का बढ़िया तेल भी खराब हो गया। मिल मालिक की रिपोर्ट पर भिरानी थाने की पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
श्रीगंगानगर जिले में सूरतगढ़ में व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय सोनी बताते हैं, ‘‘29 जून को सूरतगढ़ में राजस्थान भंडार व्यवस्था निगम के गोदाम में एक ट्रक में 550 थैले सरसों लाई गई थी। हमें किसी ने सरसों के नकली होने की सूचना दी तो हमने मौके पर जा कर सरसों को पानी में डाला तो दाने घुल गए। पानी मटमैला हो गया। भला सरसों के दाने पानी में कैसे घुल सकते हैं?’’
राज्य में नकली सरसों का पहला मामला इस साल अप्रैल में भरतपुर जिले के वैर कस्बे की मंडी में सामने आया। वैर में कृषि उपज मंडी समिति के सचिव घमंडीलाल मीणा बताते हैं, ‘‘मंडी में उस दिन एक ट्रैक्टर ट्रॉली भरकर सरसों बेचने लाई गई थी। उस सरसों पर अकस्मात थोड़ा पानी गिर गया तो वह घुलने लगी। इस पर व्यापारियों ने सरसों को पानी में डाला तो वह घुल गई। पोल खुलने पर सरसों लेकर आया व्यक्ति भाग निकला। हमने इस मामले में स्थानीय पुलिस थाने में रिपोर्ट दे दी थी। इसके बाद पुलिस ही इस मामले को देख रही है।’’
इसके बाद मई और जुलाई महीने में भी राजस्थान के जयपुर में ऐसा ही मामला सामने आया।
श्रीगंगानगर और डीग जिले के कामां में भी नकली सरसों मंडियों में आ चुकी है। हाल में सीकर जिले के धोद पुलिस थाने में मनोज कुमार नामक व्यापारी ने नकली सरसों बेचकर धोखाधड़ी करने के आरोप में एफआइआर दर्ज कराई है। व्यापारी का आरोप है कि जयपुर की एक फर्म ने उससे ग्यारह लाख रुपये ले लिए और नकली सरसों सप्लाई कर दी।
इसके अलावा जयपुर जिले के किशनगढ़ रेनवाल की कृषि मंडी में खाद्य सुरक्षा विभाग ने 125 बोरियों में भरी हुई 7 हजार 650 किलो नकली सरसों सीज की है। अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा ने बताया कि जैसे ही सरसों को हाथ में लिया गया, वह मिट्टी की तरह हो गई। नमूने को जांच के लिए जयपुर में खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला में भिजवाया गया है।
श्रीगंगानगर के प्रमुख व्यापारी और नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष संजय महिपाल कहते हैं, ‘‘यकीनन, इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह सक्रिय है। वह इतने शातिर हैं कि सरसों को इस तरह बना देते हैं कि लैब में जांच कराने पर उसमें तेल की मात्रा भी पूरी आती है। इससे व्यापार और तेल मिलों के कारोबार पर संकट आएगा। सबसे बड़ा खतरा जन स्वास्थ्य पर है। यह नकली सरसों असली में मिलाकर बेची जाती रहेगी तो इससे निकला तेल लोगों के स्वास्थ्य न जाने कितने दुष्प्रभाव लाएगा।’’ वह इसकी जांच के लिए एसओजी की मांग कर रहे हैं।
राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड मुख्यालय में सहायक निदेशक ओमप्रकाश शर्मा कहते हैं कि कृषि उपज मंडी समितियों का काम केवल नीलामी कराना है। मंडियों में जो जिंसं आती हैं, मंडी समितियां उनकी नीलामी करा देती हैं। नकली सरसों के मामलों को खाद्य विभाग, पुलिस और प्रवर्तन विभागों को देखना चाहिए।
किसानों के संगठन किसान महा पंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट कहते हैं, ‘‘मैं इन मामलों को जालसाजी के कोई छोटे-मोटे मामले नहीं मानता हूं। यह ‘सरसों को बदनाम करने का षड्यंत्र’ है ताकि लोग सरसों को नकली मानकर उससे मुंह मोड़ लें और अन्य तेलों को भरा-पूरा बाजार मिल जाए।’’
जाट कहते हैं कि 1998 में देश के उत्तरी राज्यों में ड्रॉप्सी रोग फैला था। तब तुरत-फुरत में इसके लिए सरसों के तेल को जिम्मेदार ठहरा दिया गया जबकि हकीकत यह नहीं थी। जाट कहते हैं कि हमारे देश में सरसों का तेल सदियों से खाया जा रहा है। कई कंपनियां सरसों तेल को बाजार से हटा कर सोया और अन्य तेलों को चलाना चाहती हैं। इसलिए ड्रॉप्सी के नाम पर डरा कर लोगों को सरसों तेल से दूर करने की कोशिश की गई। अब नकली सरसों भी इसी कुचक्र का हिस्सा है।