यह बात सरकार और वैज्ञानिकों के मंथन में कई बार कही गई है कि जब तक किसानों के फसल कटाई के बाद के नुकसान (पोस्ट हार्वेस्ट लॉस) को कम नहीं किया जाएगा तब तक न ही किसानों की आय सुधरेगी और न ही कृषि क्षेत्र की उन्नति होगी, लेकिन क्या 2024 का बजट वाकई अन्नदाता के लिए पेश किया गया है ?
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीएचईटी) की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक सालाना 92,650 करोड़ रुपए का पोस्ट हार्वेस्ट लॉस होता है। ऐसे में भंडारण की क्षमता और कृषि की आधारभूत संरचनाएं ही इस नुकसान को कम कर सकती हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 का बजट जारी करते हुए कृषि अवसरंचना को बढावा देने वाले फंड में 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। यह बीते वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित बजट के बराबर ही है।
हालांकि चिंताजनक यह है कि पोस्ट हार्वेस्ट लॉस को कम करने वाले एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का पैसा खेती-किसानी में नहीं बल्कि दूसरे मदों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
कोरोना के जटिल दौर में 2020 में कृषि अवसंरचना कोष योजना को शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य फसल कटाई के बाद प्रबंधन अवसंरचना के विकास के लिए नुकसान को कम करना, किसानों को बेहतर मूल्य दिलाना, कृषि में नवाचार और कृषि अवसंरचना के निर्माण के लिए निवेश आकर्षित करना है। इस योजना के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से 2025-26 तक ₹ 1 लाख करोड़ की कुल राशि उपलब्ध कराई जानी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने 28 जून, 2024 को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि कृषि अवसंरचना कोष के तहत 67,871 परियोजनाओं के लिए ₹43,000 करोड़ स्वीकृत किए जा चुके हैं। वहीं, इसके लिए ₹72,000 करोड़ के निवेश को जुटाया गया है।
यानी अब तक एक लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य में 50 फीसदी से भी कम फंड जुटाया गया है। वहीं, आम बजट में इसके साल-दर-साल प्रावधान को देखें तो वह न सिर्फ कम है बल्कि उसका इस्तेमाल दूसरे कामकाज के लिए किया जा रहा है।
बजट 2024 के खर्च संबंधी दस्तावेज से पता चलता है कि 2023-24 में आवंटित किए गए कृषि अवसरंचना कोष का अधिकांश फंड प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में लगा दिया गया।
इससे पहले अतंरिम बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा " कृषि क्षेत्र में वैल्यू एडिशन से किसानों की आय बढेगी साथ ही अन्य योजनाएं फसल कटाई के बाद के नुकसान (पोस्ट हार्वेस्ट लॉस) को कम करेंगी।
किसानों की आय को दोगुना करने वाली सिफारिशी समिति जिसे हम दलवई समिति भी कहते हैं उस रिपोर्ट के मुताबिक देश में किसान जितना पैदा करते हैं उसे बाजार में बेच नहीं पाते। खासतौर से हॉर्टीकल्चर से संबंधित किसानों को सबसे बड़ी क्षति उठानी पड़ती है यानी उन्हें मौद्रिक फायदा नहीं मिलता। फलों को पैदा करने वाले किसान 34 फीसदी माल नहीं बेच पाते वहीं, 44.6 फीसदी सब्जी पैदा करने वाले किसान नहीं बेच पाते।
पोस्ट हार्वेस्ट लॉस की प्रमुख वजह कोल्ड चेन की कमी, खराब आधारभूत संरचना, भंडारण क्षमता की कमी, परिवहन सरंचना से जुड़ी समस्याएं हैं।