वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने पिछले साल 2019-20 में जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग की बात की थी, जिसकी खूब चर्चा भी हुई। यही वजह है कि 2020-21 के बजट में यह उम्मीद की जा रही थी कि नेचुरल फार्मिंग को लेकर कोई बड़ी घोषणा हो सकती है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विभिन्न मंचों पर जीरो बजट खेती और केमिकल मुक्त खेती की बात कर चुके हैं। इसके लिए परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत भी की गई है, इसमें लोगों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ऑर्गेनिक वेल्यू चेन डवलपमेंट फॉर नार्थ ईस्ट रीजन और नेशनल प्रोजेक्ट ऑन ऑर्गेनिक फार्मिंग नाम से भी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
आइए जानत हैं कि इन तीन योजनाओं में पिछले तीन सालों के दौरान कितना प्रावधान किया गया।
योजना |
2019-20 बजट अनुमान (करोड़ रुपए में)
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2019-20 संशोधित अनुमान (करोड़ रुपए में) |
2020-21 बजट अनुमान ( करोड़ रुपए में) |
नेशनल प्रोजेक्ट ऑन ऑर्गेनिक फार्मिंग |
2
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2 |
12.5
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पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ऑर्गेनिक वेल्यू चेन डवलपमेंट |
160
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160
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175
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परंपरागत कृषि विकास योजना |
325 |
299.36
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500 |
कुल |
487 |
461.36 |
687.5 |
बजट देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री और नीति आयोग द्वारा जैविक और प्राकृतिक खेती को लेकर जो बातें कही जा रही थी, उसका असर बजट में नहीं दिखाई दिया। अभी भारत में कुल 198.4 मिलियन (19 करोड़ 84 लाख) हेक्टेयर कुल कृषि भूमि है, इसमें से 140.1 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हो रही है। सरकार हर साल केमिकल खाद पर 70 से 80 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देती है।
उर्वरक सब्सिडी का लाभ उन किसानों को मिलता है जो केमिकल आधारित खेती करते हैं, लेकिन केमिकल फर्टिलाइजर मुक्त खेती करने वाले किसानों को सरकार की ओर से कोई फायदा नहीं मिलता। भारत में 52 प्रतिशत कृषि वर्षा आधारित है और वर्षा आधारित और पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों केमिकल उर्वरकों का बहुत कम उपयोग करते हैं। इसलिए ऐसे किसानों को बजट में घोषित उर्वरक सब्सिडी का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
2016 में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने नॉन केमिकल फार्मिंग एवं आर्गेनिक टास्क फोर्स का गठन किया था। इस टास्क फोर्स ने सिफारिश की थी कि जैविक कृषि (ऑर्गेनिक फार्मिंग) को बढ़ावा देने के लिए हर साल 12 हजार 500 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया जाना चाहिए। इस हिसाब से देखा जाए तो बजट 2020-21 में जैविक कृषि के लिए घोषित आवंटन काफी कम है। यहां यह उल्लेखनीय है कि दुनिया में भारत ऐसा सबसे बड़ा देश है, जहां जैविक कृषि करने वालों की संख्या सबसे अधिक है। दुनिया भर में जितने किसान जैविक कृषि करते हैं, अकेले भारत में इनकी संख्या 29 फीसदी है और दुनिया भर की कुल कृषि भूमि के मुकाबले भारत में 2.5 प्रतिशत हिस्से में जैविक कृषि होती है। ऐसे में यदि सरकार भारत के जैविक किसानों को सहयोग करती है तो केमिकल उर्वरक की वजह से वातावरण को हो रहे नुकसान को न केवल भारत बल्कि दुनिया में भी कमी लाई जा सकती है।