बिहार: ठंड व कोहरे से खराब हुई फसलें, लेकिन गेहूं को फायदे की उम्मीद

ठंड और कोहरे की वजह से गोपालगंज, सारण, रोहतास, सीवान, कैमूर, बक्सर और भोजपुर में भारी नुकसान की सूचना है
बिहार: ठंड व कोहरे से खराब हुई फसलें, लेकिन गेहूं को फायदे की उम्मीद
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जनवरी 2024 में कोहरे और ठंड के लंबे दौर ने बिहार में आलू, सरसों और मसूर जैसी रबी फसलों को प्रभावित किया है। किसानों और कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका जताई है।

हालांकि, राज्य की प्रमुख रबी फसल गेहूं लंबी, अत्यधिक ठंड और कोहरे वाली रातों से प्रभावित नहीं होता है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसे मौसम से गेहूं को फायदा होता है, जिससे राज्य में फसल की बंपर पैदावार का अनुमान है।

विभिन्न जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिकों ने कई दिनों तक चली शीत लहर और शीत दिवस की स्थिति के कारण रबी फसलों के नुकसान की पुष्टि की है।

कृषि विज्ञान केंद्र, रोहतास के वैज्ञानिक रतन कुमार ने इस संवाददाता को बताया कि किसानों से जानकारी मिली है कि रोहतास जिले में आलू की फसल पिछले महीने खराब मौसम से सबसे अधिक प्रभावित हुई है। अनुमान है कि आलू की फसल 20 से 25 फीसदी और सरसों की फसल 10 फीसदी से ज्यादा खराब हो गई है। हालांकि गेहूं की फसल को ऐसी कोई क्षति नहीं हुई। 

कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में लंबे समय से चली आ रही उस मान्यता का जिक्र किया, जिसमें बढ़ी हुई पैदावार और पर्याप्त उत्पादन के लिए रबी फसलों की समय पर और जल्दी बुआई के महत्व पर जोर दिया गया है। उन्होंने विशेष रूप से बदलती जलवायु के साथ देर से बुआई से उपज और उत्पादन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "बुआई में देरी का सामना कर रहे किसान लंबे समय तक ठंड और कोहरे के कारण अधिक नुकसान की शिकायत करते हैं।"

औरंगाबाद जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अनूप कुमार चौबे ने इस संवाददाता को बताया कि ठंड और कोहरे से आलू, सरसों और मसूर की फसल को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, “देर से बोई गई आलू की फसल को 25 से 40 फीसदी तक नुकसान हुआ है, जबकि जल्दी बोई गई आलू की फसल को 15 फीसदी नुकसान हुआ है। सरसों की फसल को भी 10 से 15 फीसदी तक नुकसान हुआ है।''

वैज्ञानिक ने बताया कि किसानों के सामने चुनौती यह है कि वे दिसंबर तक धान की कटाई करते हैं और फिर दिसंबर के मध्य या जनवरी की शुरुआत में सरसों और आलू सहित रबी फसलों की बुआई शुरू करते हैं, जिससे उन्हें कड़कड़ाती ठंड का सामना करना पड़ता है।

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, विभिन्न जिलों के प्रारंभिक आकलन से संकेत मिलता है कि भीषण ठंड और कोहरे ने आलू और सरसों उसके बाद मसूर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, गेहूं की फसल को कोई खास नुकसान होने की खबर नहीं है।

विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने क्षति प्रतिशत की जानकारी देते हुए कहा, "हमें सरसों में 20 से 30 प्रतिशत और आलू में 30 से 40 प्रतिशत क्षति होने की जानकारी मिली है, इसके बाद मसूर में 10 से 15 प्रतिशत क्षति हुई है।"

ठंड और कोहरे ने अधिकांश जिलों में रबी फसलों को प्रभावित किया है। गोपालगंज, सारण, रोहतास, सीवान, कैमूर, बक्सर और भोजपुर में भारी नुकसान की सूचना है। कृषि विभाग ने सभी जिला कृषि अधिकारियों को लंबे समय तक कड़ाके की ठंड के कारण रबी फसलों को हुए नुकसान और उत्पादन पर इसके संभावित प्रभाव पर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

चौबे ने कहा कि आलू उगाने वाले किसान कम तापमान के कारण ठंड से पत्तियों के जलने की आम समस्या से जूझ रहे हैं, जिसे स्थानीय रूप से झुलसा रोग के रूप में जाना जाता है।

भागलपुर जिले के सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिक सुनील कुमार ने इस संवाददाता को बताया कि लंबे समय तक ठंड रहने और दिन में धूप कम होने से रबी फसलें प्रभावित हुई हैं। इन स्थितियों ने फसलों के विकास, फूल आने और उपज बनाने की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डाला है, जिससे आलू में झुलसा रोग की व्यापक रिपोर्टें सामने आई हैं। हालांकि, गेहूं की फसलें काफी हद तक अप्रभावित हैं।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने यह भी बताया कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जनवरी की शुरुआत से महीने के अंत तक ठंड की स्थिति और कोहरे की चेतावनी जारी की है। आईएमडी ने पिछले महीने कई जिलों के लिए शीत दिवस और शीत लहर की चेतावनी जारी की थी।

जैसा कि आईएमडी द्वारा परिभाषित किया गया है, शीत लहर तब होती है जब मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होता है या जब यह 10 डिग्री सेल्सियस से कम और सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस-6.4 डिग्री सेल्सियस नीचे होता है। इस बीच, जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है और अधिकतम तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस या अधिक नीचे चला जाता है तो ठंडा दिन घोषित किया जाता है।

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