“मैंने खरीफ सीजन में दो बीघे में धान की खेती की थी। जब धान को काटने की बारी आई, तो बारिश और आंधी ने फसल बर्बाद कर दी। एक किलो धान भी खेत से नहीं निकल सका,” बिहार के सारण जिले के पानापुर ब्लॉक की महम्मदपुर पंचायत के रहने वाले अनिल कुमार ने डाउन टू अर्थ को बताया। “उम्मीद थी कि गेहूं की फसल लग जाएगी, लेकिन खेत में अब तक पानी लगा हुआ है। मुझे नहीं लगता कि इस सीजन में कोई फसल लगा पाऊंगा,” उन्होंने कहा।
महम्मदपुर पंचायत में वे अकेले नहीं हैं, जो जलजमाव के कारण फसल नहीं लगा पा रहे हैं। अनिल कुमार ने बताया कि पंचायत क्षेत्र के 50 प्रतिशत खेतों में जलजमाव के कारण अब तक बुआई शुरू नहीं हो पाई है। पानापुर ब्लॉक की बकवा पंचायत में भी करीब 50 प्रतिशत खेतों में अब तक बुआई शुरू नहीं हुई है।
पंचायत के स्थानीय निवासी विजेंद्र सिंह कहते हैं, “ऐसा पहली बार हुआ है कि बाढ़ खत्म हो जाने के बाद बारिश हुई और खेतों में जलजमाव हो गया। बाढ़ का पानी रुकता तो था, लेकिन रबी की बुआई तक पानी निकल जाता था। इस बार पानी अब भी खेतों में है।” उन्होंने बताया कि उनकी पंचायत में मुख्य रूप से गेहूं और गन्ने की खेती की जाती है।
समस्तीपुर के किसान ओम प्रकाश यादव चार बीघा खेत में अब तक गेहूं की बुआई नहीं कर पाये हैं क्योंकि खेत में पानी लगा हुआ है। उन्होंने कहा, “मैंने 9 बीघा में गोभी और बैगन लगाया था, लेकिन बारिश का पानी जम जाने से सब्जियां बर्बाद हो गईं। रबी सीजन में गेहूं की बुआई करना चाहता था, लेकिन जलजमाव के कारण पांच बीघे में ही बुआई कर पाये हैं। चार बीघा खेत यों ही पड़ा हुआ है।”
उल्लेखनीय है कि इस साल बाढ़ के कारण 6,63,776 हेक्टेयर में लगी खरीफ फसल को नुकसान हुआ है जबकि भारी बारिश के कारण 1,41,227 हेक्टेयर खेत में खरीफ सीजन में बुआई नहीं हो पाई थी। बुआई नहीं कर पाने वाले किसानों के लिए पहली बार बिहार सरकार ने मुआवजे की घोषणा की थी और इसके लिए 96 करोड़ रुपए आवंटित किया था।
औसत से कम हो रही बुआई
बिहार के कृषि विभाग के मुताबिक, बिहार में रबी सीजन की बुआई नवम्बर के मध्य से शुरू होती है और दिसम्बर के मध्य तक खत्म हो जाती है। इस साल बिहार सरकार ने रबी सीजन के लिए 45.10 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा है। चूंकि बिहार में रबी की मुख्य फसल गेहूं है, इसलिए गेहू का लक्ष्य सबसे ज्यादा रखा गया है। बिहार में 23 लाख हेक्टेयर में गेहूं, 5 लाख हेक्टेयर में मक्का, 12 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
लेकिन आंकड़े बताते हैं कि बुआई काफी धीमी चल रही है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले हफ्ते बिहार में महज 2.150 लाख हेक्टेयर में ही गेहूं की बुआई हो पाई, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले आधा है और साल 2019-2020 के मुकाबले एक तिहाई है। साल 2020-2021 में बिहार में इस अवधि में 5.250 लाख हेक्टेयर और साल 2019-2020 में 7.110 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई थी।
इसी तरह दलहन की बुआई में भी सुस्ती देखी जा रही है। पिछले एक हफ्ते में राज्य में दलहन की बुआई महज 1.620 लाख हेक्टेयर में हो सकी है। पिछले रबी सीजन में इसी अवधि में 2.19 लाख हेक्टेयर, रबी सीजन 2019-2020 में 2.44 लाख हेक्टेयर और रबी सीजन 2018-2019 में 2.83 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई थी।
दाल उत्पादन के लिए मशहूर मोकामा क्षेत्र के किसान बाल्मीकि कुमार 8000 रुपए प्रति बीघा पर 100 बीघा खेत लेकर खेती करते हैं। इस बार मोकामा क्षेत्र में जलजमाव इतना लम्बा खिंच गया कि वे ज्यादातर खेतों में दाल की बुआई नहीं कर पाये।
उन्होंने डाउन टू अर्थ को बताया, “70 बीघा खेत में बुआई करना बाकी है। हफ्ते भर पहले खेत का पानी सूख गया है, लेकिन कीचड़ अब भी है। पूरी तरह सूखने में एक हफ्ता और लग जाएगा, लेकिन तब तक बुआई का सीजन खत्म हो जाएगा।”
दलहन की बुआई का सबसे बढ़िया सीजन अक्टूबर होता है। बाल्मीकि कुमार कहते हैं, “30 बीघा में पानी कम हो गया था, लेकिन कीचड़ था, तो 600 रुपए प्रति बीघा मजदूरी देकर 30 बीघा खेत में जुताई किये बिना बीज डलवाया है। सिर्फ मजदूरी पर 18000 रुपए खर्च हो गये। नहीं पता कि बाकी 70 बीघा में इस बार बुआई हो पाएगी कि नहीं।”
उधर, मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ें बताते हैं कि मॉनसून सीजन के बाद 1 अक्टूबर से 9 दिसंबर 2021 के बीच बिहार में 35 जिलों में बहुत ज्यादा (सामान्य से 60 फीसदी से अधिक) बारिश हुई है। जबकि शेष तीन जिलों में ज्यादा (सामान्य से 20 से 59 फीसदी के बीच) बारिश हुई है। अगर आंकड़ों की बात करें तो इस अवधि के दौरान सामान्य तौर पर 68.2 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए, जबकि 189.6 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 178 प्रतिशत अधिक है।
खाद की किल्लत से भी किसान परेशान
बिहार में खाद की भी घोर किल्लत है। इस वजह से भी बुआई पर असर पड़ रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रबी सीजन के लिए बिहार को 2 लाख 30 हजार मेट्रिक टन डीएपी, 4 लाख 35 हजार मेट्रिक टन यूरिया और 1 लाख टन एनपीके फर्टिलाइजर की जरूरत थी, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से डेढ़ लाख टन डीएपी, तीन लाख 27 हजार टन यूरिया और 72 हजार टन एनपीके दिया गया है।
सीतामढ़ी के किसान सुधीर सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया, “मैं खाद के लिए सुबह से लगा हुआ था, लेकिन शाम को किसी तरह खाद मिल पाया, तो मैंने गेहूं की बुआई कर दी है, लेकिन मेरे सामने ही 200 किसान बैरंग लौट गये थे।”
उन्होंने कहा, “दुकानों में खाद की इतनी ज्यादा किल्लत है कि दुकानदार बचे खुचे खाद को ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं। जो खाद 1200 रुपए बोरा मिलता था, वो अभी 1600-1700 रुपए में मिल रहा है।”
सीतामढ़ी के ही एक अन्य किसान संजय सिंह का कहना है कि उन्हें पांच एकड़ खेत में गेहूं बोना है, लेकिन खाद नहीं मिलने से वे बुआई नहीं कर पा रहे हैं।
जिला स्तर पर खाद की सप्लाई करने वाली बिहार स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर आरपी सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया, “सरकार हमें खाद आवंटित करती है और हमलोग जिलों को उनकी जरूरत के अनुसार आवंटित करते हैं। लेकिन पिछले एक महीने से खाद की किल्लत होने के चलते हम मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं।”
खाद की किल्लत के मद्देनजर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को अधिकारियों के साथ एक बैठक की। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार के साथ बातचीत के बाद खाद की आपूर्ति बढ़ाई गई है और अधिकारियों से कहा गया है कि वे केंद्र सरकार के संपर्क में रहें ताकि खाद की आपूर्ति में दिक्कत न हो।