क्या छोटे किसानों को मिल रहा है भूमंडलीकरण का फायदा?

भूमंडलीकरण के बाद छोटे किसानों की स्थिति में बदलाव को लेकर एक व्यापक अध्ययन किया गया है
Photo: Vikas Choudhary
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क्या छोटे किसानों को वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण के फायदा मिल सकता है? क्या प्राकृतिक संसाधनों तक उनकी बेहतर पहुंच हो सकती है? पत्रिका सस्टेनेबलिटी के हालिया अध्ययन में पता चलता है कि किसानों की मदद के लिए आखिरकार ऐसी कितनी मध्यस्थ संस्थाएं हैं।

कुछ अध्ययन के मुताबिक दुनिया की आधी गरीब आबादी छोटे किसानों की है। इस अध्ययन के लेखक ने विकासशील देशों में किसानों के लिए बने 12 छोटे प्रणालियों का अध्ययन किया और उसमें उनकी अच्छाई और खामियों, संसाधनों और जीविका के लिए किसानों की मदद करने वाले लोगों की स्थिति देखी।

उदाहरण के लिए, इस अध्ययन में चीन के हेइलोंगजिअंग प्रांत के सोयाबीन उगाने वाले किसान के प्रतिद्वंदी ब्राजील और संयुक्त राष्ट्र के किसानों के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार के प्रभाव को दिखाया गया है। उन्हें बाजार से मूल्य कम या बढ़ने के संकेत मिलते हैं और उस तरह उनकी फसल पर बाजार का नियंत्रण होता है। वे अपनी जमीन पर अधिक उर्वरक इस्तेमाल कर बाजार में मूल्य के उतार चढ़ाव से उत्पादन बढ़कर अपनी आमदनी सुनिश्चित करते हैं, जिससे पर्यावरण पर भी असर होता है।

दूसरी तरफ, चीन के गांसू प्रांत के दो प्रदेश में खेती और पशुपालन से जुड़े छोटे किसानों को सरकार की तरफ से एक माहौल तैयार करके दिया गया है। इसके तहत उपज को स्थानीय बाजार मिलता है। इस वजह से मेडागास्कर में वैनिला की कीमत में उतार-चढ़ाव कम रहा, जिसके परिणामस्वरूप किसानों को उत्पादन से संबंधित बाजार के प्रवाह में बहने से बचने का मौका मिला।

इस बीच केन्या में नए किस्मों के बीजों को अपनाने की वजह से राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर फसल में उत्पादन की संभावनाओं में इजाफा हुआ। चीन के द्वारा साझा किए नए मल्चिंग पद्धति, जिसमें फसल की जड़ों को प्लास्टिक से ढका जाता है, अपनाने से किसानों को पानी की खपत कम कर मक्के की उपज बढ़ाने में मदद मिली।

मिशिगन विश्वविद्यालय ने सेंटर फोर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के पूर्व शोध सहायक यूए डुओ के कथन को शामिल करते हुए लिखा है, "किसानों को वैश्विक बाजार प्रदान कर ही उनकी स्थिति ठीक करना एकमात्र रास्ता नहीं है। छोटे स्तर पर काम करने वाले किसान भी आपस में खेती के संसाधन जैसे मजदूरों का आदान-प्रदान, पानी और तकनीक साझा करने जैसे काम कर स्थिति बेहतर कर सकते हैं। कुछ किसान दूर-दराज के बाजार के साथ आसपास के गांवों के बीच भी संपर्क रखते हैं जिससे परस्पर सहभागिता बनी रहे।

हालांकि वैश्विक बाजार में अकाई (एक प्रकार की बेर) के प्रचलित होने की वजह से नदी के आसपास रहने वाले किसानों को शहर के आसपास दूसरा घर बनाने की प्रेरणा मिली। इससे उनकी पहुंच अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा तक सुलभ हो पाई।

डुओ कहते हैं "हमने पाया कि छोटे किसानों का जुड़ाव आसपास के बाजार से अधिक और वैश्विक बाजार से कम होने की स्थिति में उनके आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसी स्थिति अच्छी आजीविका से बेहतर आर्थिक परिणाम पाने के साथ-साथ उनकी सामाजिक और पर्यावरण की स्थिति भी बेहतर होती है। 

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