विश्लेषण: क्या इस बार भी 200 रुपए प्रति किलो की दर से बिकेगा टमाटर?

पिछले साल जुलाई अगस्त में टमाटर की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, इस साल भी हालात सही नहीं लग रहे हैं
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इन दिनों टमाटर की कीमतों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। जनवरी से मार्च 2024 के पहले सप्ताह तक, टमाटर की कीमत में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

यहां तक कि खुदरा बिक्री में कीमतें 50 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, इसके लिए मौसम की बाधाओं को बड़ा कारण माना जा रहा है। इससे पहले, जुलाई और अगस्त 2023 में टमाटर की कीमतें रिकॉर्ड-उच्च स्तर पर पहुंच गई थी।

उस समय कुछ क्षेत्रों में थोक कीमतें 100 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक हो गईं, जबकि खुदरा कीमतें 200 रुपए प्रति किलोग्राम को पार कर गई थी।

इसलिए वर्तमान समय में टमाटर की फसल की स्थिति और कीमतों का विश्लेषण करना अनिवार्य है। खासकर आने वाले समय को देखते हुए इस अपरिहार्य सब्जी के कीमतों के निर्धारण के लिए जरूरी कारकों का गहराई से अध्ययन करना ही चाहिए।

क्या हुआ था पिछले साल
पिछले साल हमने टमाटर की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी। पश्चिम बंगाल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में इसके दामों में अच्छी खासी वृद्धि हुई। बेमौसमी घटनाओं और किसानों द्वारा अधिक रिटर्न देने वाली फसलों की ओर स्थानांतरित होने की वजह से टमाटर की आपूर्ति में अचानक गिरावट आई। इसकारण जुलाई के अंत तक खुदरा कीमतें मामूली 20 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 200 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं।

टमाटर का उत्पादन आमतौर पर जुलाई-अगस्त और अक्टूबर-नवंबर के दौरान घट जाता है, जिससे बाजार में उपज की कमी हो जाती है। यह कमी टमाटर की मांग को पूरा करने में चुनौतियों को बढ़ा देती है।

हालांकि देश भर में टमाटर की कीमतों में हालिया उछाल के जवाब में केंद्र सरकार ने नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स, फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड सहित अपनी एजेंसियों को बाजारों से तेजी से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्यों में टमाटर खरीदने का निर्देश दिया है।

 स्रोत: एगमार्कनेट

वर्तमान फसल परिदृश्य का विश्लेषण
टमाटर का उत्पादन पूरे भारत में कई राज्यों में होता है, हालांकि अलग-अलग मात्रा में। दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्र सामूहिक रूप से देश की कुल टमाटर उपज का लगभग 56-58 प्रतिशत हिस्सा हैं। दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र क्षेत्र में टमाटर की आवक का प्राथमिक स्रोत हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पश्चिमी यूपी है, जिसका एक छोटा हिस्सा कर्नाटक के कोलार से आता है।

अब टमाटर की खेती की वर्तमान स्थिति और भविष्य की कीमतों पर अतिरिक्त कारकों के संभावित प्रभाव की बात करते हैं।

बुआई क्षेत्र: रिपोर्टों से पता चलता है कि दिल्ली-एनसीआर में टमाटर के बुआई क्षेत्रों में चिंताजनक कमी आई है, जिसका मुख्य कारण अब तक के महीनों में लगातार कम कीमतें देखी गई हैं। हालांकि, चालू वर्ष के लिए कुल टमाटर उत्पादन में मामूली वृद्धि हुई है, जिसका अनुमान 20.81 मिलियन टन है, लेकिन कम बुआई क्षेत्र संभावित आपूर्ति की कमी के बारे में चिंता पैदा करता है।

बेमौसम बारिश का संकट: हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और विनाशकारी ओलावृष्टि ने हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में रबी टमाटर की खड़ी फसलों पर कहर बरपाया है। प्रभावित क्षेत्रों में 50-60 प्रतिशत तक फसल की क्षति हुई है। जिसका असर आने वाले महीनों में आपूर्ति पर दिखाई देगा।

रोग का प्रकोप: पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में कई अन्य समस्याएं बनी हुई हैं। यहां अगेती झुलसा रोग के प्रकोप ने टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचाया है, जिसके परिणामस्वरूप टमाटरों की संख्या कम हो गई है और गुणवत्ता में भी असर पड़ा है। इसके अलावा, कई इलाकों में अप्रैल के मध्य तक रबी फसलों की समय से पहले समाप्ति की वजह से आपूर्ति के घटने की आशंका है।

विलंबित रोपाई की चुनौतियां: मध्य प्रदेश में मौसम के कारण खरीफ टमाटर की फसलों की रोपाई में बाधा आ रही है, जिससे बुआई दर कम हो गई है। यानी कि इससे आने वाले महीनों में टमाटर की आपूर्ति में कमी रहने की आशंका है।

वर्तमान कीमतों की जांच करना: जब हम टमाटर की वर्तमान कीमतों को देखते हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्र के आधार पर भिन्नताएं मौजूद हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में औसत थोक कीमतें 18-20 रुपए प्रति किलोग्राम पर अपेक्षाकृत स्थिर रहती हैं, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मासिक औसत थोड़ा कम देखा जाता है, जो लगभग 18 रुपए प्रति किलोग्राम है।

भविष्य के रुझानों पर विचार: टमाटर की खेती में आने वाली चुनौतियों और कीमतों में उतार-चढ़ाव की ऐतिहासिक प्रवृत्ति को देखते हुए ऐसी संभावना है कि आगामी खरीफ टमाटर फसल के मौसम में आपूर्ति की तंग स्थिति बनी रह सकती है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो हालात पिछले साल जैसे हो सकते हैं, जब दिल्ली-एनसीआर में जुलाई में खुदरा कीमतें 260 रुपए प्रति किलोग्राम तक बढ़ गईं।

टमाटर उत्पादन और मूल्य दृष्टिकोण के संबंध में ऊपर चर्चा की गई सभी बाधाओं को समझते हुए हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि टमाटर बाजार इस वर्ष भी स्थिर रह सकता है।

देरी से बुआई के बीच कम फसल बोया गया क्षेत्र, बारिश और ओलावृष्टि से हुई क्षति पिछले साल देखी गई कीमत की गतिशीलता को दोहरा सकती है।

(अरुण कुमार एक कृषि अर्थशास्त्री हैं। लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे डाउन टू अर्थ के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों)

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