कीटनाशक भारत में विषाक्तता का प्रमुख कारण है। विषाक्तता के हर तीन में से दो मामलों में कीटनाशक ही जिम्मेदार होता है जो कि या तो जानबूझकर या अनजाने में उपभोग किया गया होता है।
भारत में विभिन्न प्रकार के विषाक्तता के प्रसार पर एक नया शोध इस बात को उजागर करता है।
जनवरी 2010 और मई 2020 के बीच किए गए 134 शोध अध्ययनों के विश्लेषण से यह पता चला कि कृषि और घरेलू गतिविधियों के लिए कीटनाशकों के व्यापक उपयोग के कारण 63 प्रतिशत के समग्र प्रसार के साथ कीटनाशक विषाक्तता का सबसे अहम कारण था। इन सभी शोधों में 50,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भागीदारी की थी।
24 मई, 2021 को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार वयस्क आबादी में कीटनाशक विषाक्तता का प्रसार 65 प्रतिशत और बच्चों में 22 प्रतिशत था।
कीटनाशक के अलावा अन्य प्रकार के विषाक्तता में संक्षारक, विष, दवाएं और विविध एजेंट शामिल थे। विषाक्तता का दूसरा सबसे आम कारण विविध (मिसलेनियस) एजेंट थे, इसके बाद दवा, विष और संक्षारक थे।
अध्ययन के अनुसार विषाक्तता प्रसार के क्षेत्रवार वितरण के विश्लेषण से पता चला कि यह उत्तर भारत में सबसे अधिक 79 प्रतिशत (विषाक्तता के कुल मामलों के तीन-चौथाई से अधिक) था। इसके बाद दक्षिण भारत (65.9 प्रतिशत), मध्य भारत (59.2 प्रतिशत) का स्थान था। वहीं, पश्चिम भारत (53.1 प्रतिशत), उत्तर पूर्व भारत (46.9 प्रतिशत) और पूर्वी भारत में 38.5 प्रतिशत विषाक्तता प्रसार पाया गया है।
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि कीटनाशकों की विषाक्तता का कारण गरीबी, खेती और कीटनाशकों की आसान उपलब्धता है।
इस अध्ययन के बाद एक बार फिर देश में कीटनाशकों के बेरोकटोक उपयोग का मुद्दा सामने आया है क्योंकि यह कारण अब भी मानव स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
खतरनाक कीटनाशकों के असुरक्षित उपयोग के कारण हर साल हजारों किसान और खेत मजदूर मर जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक और बिहार सहित अन्य राज्यों में कीटनाशकों के सेवन से किसानों और आम जनता की मौत ने कीटनाशकों के सीमित उपयोग किए जाने की जरुरत पर ध्यान केंद्रित किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक कीटनाशकों तक आसान पहुंच और इसकी खपत ने इसे दुनिया भर में आत्महत्याओं का प्रमुख कारण बना दिया है।
शोध में कहा गया है " विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके सदस्य देशों ने कीटनाशकों की सुरक्षित पहुंच का एक कार्यक्रम शुरू किया था, जिसके परिणाम के तौर पर दुनिया भर में घातक विषाक्तता के प्रसार में 10 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया और चीन सहित दक्षिण एशियाई देशों में कीटनाशक विषाक्तता का प्रमुख कारण बना हुआ है।”
साथ ही यह भी बताया कि कई अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकला है कि कानूनी तंत्र या नीतिगत कार्रवाइयों द्वारा अत्यधिक घातक कीटनाशकों के सख्त प्रतिबंध से मौतों में बड़ी कमी आई है।