ग्रीन स्कूल अवार्ड 2018 - एक मुलाकात चेंज मेकर्स के साथ

सीएसई का ग्रीन स्कूल कार्यक्रम देशभर के छात्रों के पर्यावरणीय गतिविधियों का लेखाजोखा है। ये गतिविधियां स्कूली छात्रों व शिक्षकों द्वारा की जाती हैं
चेंजमेकर “येलो टू ग्रीन” डीएवी इंटरनेशनल स्कूल, अमृतसर, पंजाब (ग्रीन स्कूल अवार्ड 2018 )
चेंजमेकर “येलो टू ग्रीन” डीएवी इंटरनेशनल स्कूल, अमृतसर, पंजाब (ग्रीन स्कूल अवार्ड 2018 )
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सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट (सीएसई) का ग्रीन स्कूल कार्यक्रम (जीएसपी) पर्यावरणीय गतिविधियां हैं जो स्कूलों में छात्रों व शिक्षकों द्वारा की जाती हैं। यह जागरुकतापूर्ण गतिविधियां पूरी तरह से पर्यावरणीय कार्य करने व उसके प्रभावों पर केंद्रित होती हैं। इन गतिविधियों द्वारा वैचारिक व सतत अभ्यास संबंधी कार्यों के माध्यम से स्कूलों में पर्यावरणीय शिक्षा प्रदान की जाती है। मूलत: यह कार्यक्रम वायु, ऊर्जा, भोजन, भूमि, जल और अपशिष्ट भागों में बंटा हुआ है।

प्रति वर्ष जीएसपी ऑनलाइन जुलाई में शुरू होता है और देशभर के स्कूल इसे अक्टूबर तक पूरा करके जमा करते हैं। ध्यान रहे कि यह कार्यक्रम स्वैच्छिक व नि:शुल्क है। इस कार्यक्रम का परिणाम एक रिपोर्ट में दर्ज होता है। यह स्कूल समुदाय के पर्यावरण संबंधी व्यवहार का लेखा-जोखा रखती है। फिर इनका उपयोग स्कूलों द्वारा अगले वर्ष में अपने पर्यावरण संबंधी व्यवहार को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। ऑडिट प्रस्तुत करने वाले स्कूलों को पर्यावरण के लिए उनके योगदान के आधार पर रेट और प्रमाणित किया जाता है। यह ऑडिट वे जीएसपी के वेब पोर्टल www.greenschoolsprogramme.org के माध्यम से ऑनलाइन रिपोर्ट के रूप में भेजते हैं।

वर्तमान में जीएसपी नेटवर्क में देश भर के 5,000 से अधिक स्कूल हैं। इनमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों से हैं। इनमें से 1,600 से अधिक स्कूलों ने ऑनलाइन रिपोर्ट को पूरा किया और प्रस्तुत किया।



प्रति वर्ष इस ऑनलाइन िरपोर्ट का समापन एक समारोह के साथ होता है, जब परिणाम घोषित होते हैं। इसके बाद स्कूल पर्यावरण को बेहतर और स्वस्थ बनाने के प्रयासों के उपलक्ष्य में साथ मिलकर समारोह में हिस्सा लेते हैं। पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं के आधार पर स्कूलों को ग्रीन, येलो, ऑरेंज और रेड के रूप में दर्जा दिया गया है। इस साल जीएसपी समारोह 6 फरवरी, 2019 आयोजित हुआ, जहां शिक्षकों की बातचीत, जलवायु परिवर्तन प्रश्नोत्तरी, पुस्तक विमोचन और पुरस्कारों की घोषणा जैसे कार्यक्रम आयोजित हुए।

इस अवसर पर जीएसपी प्रकाशन “पेविंग द पाथ” पूरे भारत के उन स्कूलों की एक चुनी हुई सूची लेकर आया है, जिन्होंने पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने की अपनी कोशिश में उल्लेखनीय बुद्धिमत्ता और कुशलता प्रदर्शित की है। ऐसा करने में उन्होंने एक ऐसा रास्ता भी दिखाया है जो सिद्धांत से आगे की चीज है। यह पुस्तक स्कूल प्रशासकों और शिक्षकों के लिए बेहद उपयोगी होगी। किताब सकारात्मक उदाहरणों से भरी एक कॉम्पैक्ट टूलकिट है जिसकी मदद से विद्यालय अपनी स्वयं की गतिविधियां चुन सकते हैं। यह छात्रों के लिए और भी उपयोगी होगी और उन्हें इस बदलाव का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करेगी।

इसके साथ ही एक और प्रकाशन भी रिलीज हुआ, “हम जलवायु परिवर्तन के बारे में क्या जानते हैं”। इसमें जलवायु परिवर्तन के इतिहास के साथ साथ इसके सामाजिक प्रभावों की भी चर्चा की गई है।

इसमें दिलचस्प सवाल और जवाब हैं जो बच्चों की जलवायु परिवर्तन (जिसे हमारे समय का सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है ) के बारे में समझ विकसित करने में मदद करेंगे। यह प्रकाशन सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने जारी किया।

वर्ष 2019 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले स्कूलों को इन श्रेणियों के तहत मान्यता प्रदान की गई है।

राज्यों कि हिस्सेदारी: आंध्र प्रदेश का सर्वाधिक जीएसपी पंजीकरण और जमा किया।

अन्य ग्रीन स्कूल (109) जिन्हें स्कूल परिसर में संसाधन दक्षता के समग्र प्रदर्शन के कारण “ग्रीन” दर्जा दिया गया है, को भी प्रमाण पत्र दिए गए।

ये पुरस्कार पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं जैसे वर्षा जल संचयन, ऊर्जा दक्षता, गतिशीलता प्रथाओं, स्कूल में हरित क्षेत्र के अनुपात, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन और स्वच्छता प्रथाओं, स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले भोजन की उपलब्धता जैसी विभिन्न श्रेणियों के विस्तृत मूल्यांकन के आधार पर दिए गए हैं।

इस कार्यक्रम में मीडिया, पर्यावरण और शिक्षा विभागों के राज्य सहयोगियों, शिक्षाविदों, नागरिक समाज के सदस्यों और सीएसई की टीम के अलावा 250 से अधिक बच्चों और शिक्षकों ने भागीदारी की।

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