जानवर सामूहिक रूप से पृथ्वी की सतह को आकार देने के लिए सालाना कम से कम 76,000 गीगाजूल ऊर्जा का योगदान करते हैं।  फोटो साभार: आईस्टॉक
वन्य जीव एवं जैव विविधता

धरती के निर्माण में जीव-जंतुओं ने किस तरह निभाई अहम भूमिका, अध्ययन में खुलासा

अपनी तरह के पहले वैश्विक विश्लेषण में 603 प्रजातियों, वंशों या परिवारों की पहचान की गई है जो पृथ्वी की सतह की प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं।

Dayanidhi

जानवर केवल प्राकृतिक दुनिया के निवासी नहीं हैं, वे इसके निर्माता भी हैं। इस बात का दावा लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन में किया गया है। कैसे सैकड़ों प्रजातियां उन परिदृश्यों को आकार देती हैं जिन पर हम निर्भर हैं, अंतरिक्ष से दिखने वाले विशाल दीमक के टीलों से लेकर पानी की निकासी व्यवस्था बनाने वाले दरियाई घोड़ों और पूरे दलदली जमीन बनाने वाले बीवर तक इसमें शामिल हैं।

अपनी तरह के पहले वैश्विक विश्लेषण में 603 प्रजातियों, वंशों या परिवारों की पहचान की गई है जो पृथ्वी की सतह की प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं। मिट्टी को बदलने वाली छोटी चींटियों से लेकर नदी के तल को नया आकार देने वाले सैल्मन तक, अध्ययन सभी मीठे या ताजे पानी और स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों में जानवरों के प्रभाव की विविधता और पैमाने पर प्रकाश डालता है।

इन प्राकृतिक इंजीनियरों की सामूहिक ऊर्जा का आकलन करके, शोध से पता चलता है कि उनका भूमि को आकृति देने के योगदान सैकड़ों हजारों बड़ी बाढ़ों के योगदान के बराबर है।

अप्रत्याशित विविधता: बीवर और सैल्मन जैसे प्रतिष्ठित उदाहरणों के अलावा, अध्ययन में सैकड़ों प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनमें कीड़े, स्तनधारी, मछली, पक्षी और सरीसृप शामिल हैं जो कई तरीकों से परिदृश्य को आकार देते हैं।

मीठे या ताजे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र पर गौर करना: ग्रह की सतह के केवल 2.4 फीसदी हिस्से को कवर करने के बावजूद, मीठे पानी के आवास इन सभी प्रजातियों में से एक तिहाई से अधिक की मेजबानी करते हैं।

प्रभावशाली ऊर्जा उत्पादन: जानवर सामूहिक रूप से पृथ्वी की सतह को आकार देने के लिए सालाना कम से कम 76,000 गीगाजूल ऊर्जा का योगदान करते हैं। यह आंकड़ा सैकड़ों हजारों भयंकर बाढ़ों के बराबर है। हो सकता है यह अनुमान एकदम सही न हो, क्योंकि अहम जानकारी की कमी हैं, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जहां जैव विविधता सबसे अधिक है लेकिन शोध सीमित हैं।

दिलचस्प उदाहरण: दीमक ब्राजील में टीलों का विशाल नेटवर्क बनाते हैं, जिनमें से कुछ हजारों वर्ग किलोमीटर में फैले होते हैं, जबकि सैल्मन स्पॉनिंग से सालाना बाढ़ के बराबर तलछट स्थानांतरित हो सकती है। यहां तक कि चींटियां भी अपनी छोटी-छोटी लेकिन अनगिनत गतिविधियों के जरिए मिट्टी की संरचना और जल निकासी को बदल देती हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि पृथ्वी के परिदृश्य को आकार देने में जानवरों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। ऊदबिलाव द्वारा दलदली जमीन बनाने से लेकर चींटियों द्वारा मिट्टी के टीले बनाने तक, ये विविध प्राकृतिक प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण हैं, फिर भी जैव विविधता में गिरावट के कारण इनके गायब होने का खतरा है।

पहचानी गई प्रजातियों में से लगभग 30 फीसदी दुर्लभ, स्थानीय या संकटग्रस्त हैं, जिसका अर्थ है कि महत्वपूर्ण भू-आकृति प्रक्रियाएं उनके पूर्ण महत्व को समझे जाने से पहले ही बंद हो सकती हैं। इस नुकसान का पारिस्थितिकी तंत्र और उनके द्वारा समर्थित परिदृश्यों पर गहरा असर हो सकता है।

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित यह शोध जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र बहाली के लिए नई जानकारी प्रदान करता है। रिवाइल्डिंग और प्रजाति पुनरुत्पादन परियोजनाएं, जैसे कि दलदली जमीन को बहाल करने के लिए बीवर का पुनरुत्पादन, दिखाती हैं कि इन प्राकृतिक प्रक्रियाओं का उपयोग कैसे कटाव और बाढ़ जैसी पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकता है।