एसपीओ मिशन पहली बार सूरज के उत्तर और दक्षिण ध्रुवों की सीधी और विस्तृत तस्वीरें लेगा, अब तक सभी अवलोकन पृथ्वी की कक्षा से ही सीमित थे।
एसपीओ का उद्देश्य तीन महत्वपूर्ण सवालों का हल ढूंढना है: सौर डायनामो कैसे काम करता है?, तेज सौर पवन कैसे उत्पन्न होती है? तथा अंतरिक्ष मौसम कैसे फैलता है?
वैश्विक मिशनों के साथ सहयोग : जिनमें एसडीओ, आईआरआईएस, सौर ऑर्बिटर (ईएसए), भारत का आदित्य-एल1, चीन का एएसओ-एस और आगामी एल5 मिशन यह मिलकर पूरे सूर्य का अवलोकन संभव बनाएंगे
सूरज हमारे सौरमंडल का केंद्र, आज भी कई रहस्यों से भरा हुआ है। वैज्ञानिकों ने इसके सतह, वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र के बारे में बहुत जानकारी हासिल की है, लेकिन अब तक ज्यादातर अवलोकन पृथ्वी की कक्षा यानी एक्लिप्टिक प्लेन से किए गए हैं। इस कारण हम सूरज के ध्रुवीय क्षेत्रों को सीधी नजर से नहीं देख पाए हैं।
लेकिन सूरज के ये ध्रुवीय क्षेत्र (उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव) बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये ना सिर्फ सूरज के चुंबकीय चक्र के केंद्र में हैं, बल्कि तेज सौर हवा का भी मुख्य स्रोत माने जाते हैं। यह हवा अंततः अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करती है, जो पृथ्वी और उपग्रहों पर असर डाल सकता है। यह शोध चायनीज जर्नल ऑफ स्पेस साइंस में प्रकाशित किया गया है।
क्यों जरूरी हैं सूरज के ध्रुव?
ध्रुवों पर सक्रिय घटनाएं कम दिखती हैं, लेकिन उनका महत्व कहीं ज्यादा है। यहां का चुंबकीय क्षेत्र सूरज के वैश्विक चुंबकीय डायनामो को प्रभावित करता है, जो हर 11 साल में सूरज की चुंबकीय ध्रुवीयता को उलट देता है।
ध्रुवों से निकलने वाली कोरोनल होल्स से तेज सौर हवा जन्म लेती है, जो पूरे सौर मंडल में फैलती है। लेकिन अभी भी वैज्ञानिक यह नहीं समझ पाए हैं कि ये तेज हवा किस प्रक्रिया से उत्पन्न होती है, क्या यह चुंबकीय पुनः संयोजन (मैग्नेटिक रेकनेक्शन) के कारण होती है, या प्लाज्मा की तरंगों से?
ध्रुवीय इलाकों को बेहतर तरीके से समझना तीन बड़े वैज्ञानिक सवालों का जवाब देने के लिए जरूरी है:
1. सूरज का चुंबकीय चक्र कैसे काम करता है? हर 11 साल में सूरज का चुंबकीय ध्रुव बदल जाता है। यह चक्र ‘सौर डायनामो’ से नियंत्रित होता है, जो सूरज के अंदर की अलग-अलग घूर्णन और मध्याह्न प्रवाह से जुड़ा है। लेकिन गहराई में इस प्रवाह को लेकर अभी भी भ्रम है। ध्रुवीय अवलोकन से इन रहस्यों को सुलझाया जा सकता है।
2. तेज सौर हवा कैसे उत्पन्न होती है? यह मुख्य रूप से ध्रुवीय कोरोनल छिद्र से निकलती है। क्या यह घने प्लूम्स से आती है या उनके बीच की जगह से?कौनसी प्रक्रिया, तरंगें या चुंबकीय पुनः संयोजन इसे गति देती है? सीधी ध्रुवीय तस्वीरें ही इस बहस को सुलझा सकती हैं।
3. अंतरिक्ष में मौसम कैसे फैलता है? सूर्य की सतह से निकली घटनाएं जैसे सौर ज्वालाएं और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) पूरे सौर मंडल में यात्रा करती हैं। ये पृथ्वी के संचार, जीपीएस और पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकती हैं। अगर हम ध्रुवों से देख सकें, तो इन घटनाओं की दिशा और प्रभाव का बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
एसपीओ मिशन: सूरज को नए नजरिए से देखने की तैयारी
सौर ध्रुवीय-कक्षा वेधशाला (एसपीओ) मिशन, जनवरी 2029 में लॉन्च होगा। इसका उद्देश्य सूरज के ध्रुवों का सबसे सीधा और नजदीकी अवलोकन करना है। यह मिशन जुपिटर ग्रेविटी असिस्ट (जेजीए) का उपयोग करेगा ताकि अपनी कक्षा को एक्लिप्टिक प्लेन से ऊपर ले जा सके।
सौर ध्रुवीय-कक्षा वेधशाला (एसपीओ) मिशन की खास बातें
कक्षा की अधिकतम झुकाव: 75 से 80 डिग्री, कुल अवधि: 15 साल (8 साल का विस्तारित मिशन), हर 1.5 साल में सूरज की परिक्रमा, 1000 से अधिक दिनों की ध्रुवीय अवलोकन अवधि।
सौर ध्रुवीय-कक्षा वेधशाला (एसपीओ) के उपकरण: दूरस्थ जांच (रिमोट सेंसिंग): चुंबकीय क्षेत्र और प्लाज्मा प्रवाह मापने के लिए। चरम पराबैंगनी दूरबीन (ईयूटी) और एक्स-रे इमेजिंग टेलीस्कोप (एक्सआईटी) - ऊपरी वायुमंडल की तस्वीरें लेने के लिए। विस्कोर और व्लाकोर – कोरोना और सौर हवा की निगरानी के लिए इसमें शामिल हैं। जगह की जांच: चुंबकीय क्षेत्र मापने वाला यंत्र और कण संवेदक सीधे सौर हवा का अध्ययन करेगा
दुनिया भर में सूरज पर शोध
सौर ध्रुवीय-कक्षा वेधशाला (एसपीओ) अकेला नहीं होगा। यह कई अन्य अंतरराष्ट्रीय सौर मिशनों के साथ मिलकर काम करेगा, जिनमें एसडीओ, आईआरआईएस, सौर ऑर्बिटर (ईएसए), भारत का आदित्य-एल1, चीन का एएसओ-एस और आगामी एल5 मिशन यह मिलकर चार पाई (4π) कवरेज देंगे जिससे सूरज का लगभग पूरा दृश्य पहली बार संभव होगा।
सौर ध्रुवीय-कक्षा वेधशाला (एसपीओ) मिशन, सूरज की गहराइयों में छिपे रहस्यों को उजागर करने जा रहा है। इससे न केवल हमारी वैज्ञानिक समझ बेहतर होगी, बल्कि पृथ्वी की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
यह मिशन सौर चक्र की बेहतर पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगा। अंतरिक्ष के मौसम का सटीक पूर्वानुमान देकर सैटेलाइट्स, पायलट्स और पावर ग्रिड की रक्षा करेगा। साथ ही, अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और अंतरिक्ष अभियानों की योजना को भी सशक्त बनाएगा।
सौर ध्रुवीय-कक्षा वेधशाला (एसपीओ) के माध्यम से हम पहली बार सूरज को ऊपर से देख सकेंगे और यह मानवता के लिए एक नई दृष्टि की शुरुआत होगी।