60 तूफान के खतरे वाली प्रजातियां हैं जो केवल एक द्वीप पर एक ही स्थान पर रहती हैं, इनमें से हर एक के लिए अगला खतरनाक उष्णकटिबंधीय चक्रवात उनका आखिरी हो सकता है।  फोटो साभार: आईस्टॉक
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द्वीप समूह में रहने वाली कई प्रजातियों के लिए आने वाला चक्रवात आखिरी हो सकता है

शोध में दुनिया भर में जमीन पर रहने वाले स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों और सरीसृपों की विविधता पर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों द्वारा उत्पन्न खतरों को मापा गया।

Dayanidhi

जब कोई बड़ा चक्रवात किसी द्वीपीय देश से होकर गुजरता है, तो सभी प्रयास लोगों को बचाने और आजीविका को बहाल करने को लेकर होते हैं। हालांकि इन तूफानों का अन्य प्रजातियों पर स्थायी प्रभाव पड़ता है, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

जैसे-जैसे दुनिया गर्म होती जा रही है, चक्रवातों के अधिक बार आने, तीव्र और अप्रत्याशित होने के आसार ज्यादा हैं। जैव विविधता पर वैश्विक प्राधिकरण, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने तूफानों को प्रजातियों के लिए खतरा पैदा करने वाले कारणों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है। लेकिन यह कितना खतरा है, यह अभी भी बहुत कम ही समझा जा सका है।

जैव विविधता पर चक्रवातों के प्रभावों को आसानी से नजरअंदाज किया जा सकता है क्योंकि नुकसान अचानक, अलग-अलग हिस्सों में होता है जिसे मापना मुश्किल होता है। विलुप्तियां अचानक हो सकती हैं और किसी पर गौर नहीं जा सकता। बड़े पैमाने पर अनदेखा किए जाने वाले विलुप्त होने का यह संकट जलवायु परिवर्तन के साथ और भी बदतर होने के आसार हैं।

बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में प्रकाशित एक नए अध्ययन में, दुनिया भर में जमीन पर रहने वाले स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों और सरीसृपों की विविधता पर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों द्वारा उत्पन्न खतरों को मापा गया।

शोध में 1972 से 2022 के बीच आए सभी गंभीर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का मानचित्रण किया गया और इस बात की जांच की गई कि कितने ऐसे क्षेत्रों आपस में जुड़े हुए हैं जिन्हें व्यापक रूप से प्रजातियों में असाधारण रूप से समृद्ध माना जाता है, जिन्हें अन्यथा जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में जाना जाता है।

शोध में केवल गंभीर चक्रवातों पर गौर किया गया जिनकी हवा की गति 130 मील प्रति घंटे से अधिक थी, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से, ये वे चक्रवात हैं जिनके कारण प्रजातियां गंभीर रूप से कम हुई हैं या विलुप्त हो गई हैं

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि सभी गंभीर चक्रवातों में से तीन-चौथाई ऐसे हॉटस्पॉट पर आए जो पूरी तरह से द्वीपों से बने थे। यह चिंताजनक लग रहा था। द्वीपों में वैसे भी विलुप्त होने का खतरा स्वाभाविक रूप से बहुत अधिक है क्योंकि वे कई ऐसी प्रजातियों का पोषण करते हैं जो कहीं और नहीं पाई जाती हैं। इन प्रजातियों की आबादी अक्सर बहुत कम होती है और आपदा आने पर इनके भागने के लिए कोई जगह नहीं होती है।

इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि द्वीपीय जैव विविधता हॉटस्पॉट पर आने वाले 95 फीसदी से अधिक भयंकर चक्रवातों ने एक ही प्रजाति के पांच को प्रभावित किया। चक्रवात आवृत्ति के अवरोही क्रम में ये हैं - जापान, पोलिनेशिया-माइक्रोनेशिया, फिलीपींस, मेडागास्कर और हिंद महासागर के द्वीप और कैरिबियन द्वीप।

शोध में शोधकर्ताओं ने स्पष्ट रूप से बहुत ज्यादा खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान की है, लेकिन वहां रहने वाले पशु प्रजातियों के लिए इसका क्या मतलब है? यह जानने के लिए उन्होंने संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची देखी, जिसे आईयूसीएन द्वारा संकलित और नियमित रूप से अपडेट किया जाता है, ताकि यह देखा जा सके कि कितनी कशेरुकी प्रजातियां तूफानों के प्रति कमजोरी के लिए दर्ज की गई हैं।

विलुप्त होने से एक चक्रवात दूर

सबसे भयंकर चक्रवातों का सामना करने वाले हॉटस्पॉट जरूरी नहीं कि वे हों जिनमें सबसे ज्यादा संकटग्रस्त प्रजातियां हों। उदाहरण के लिए, जापान में सबसे ज्यादा तूफान आते हैं लेकिन सबसे कम प्रजातियां खतरे में हैं, जबकि कैरिबियन में कम तूफान आते हैं लेकिन 128 से ज्यादा प्रजातियां उनसे खतरे में हैं। इससे पता चलता है कि अकेले चक्रवातों की आवृत्ति प्रत्येक क्षेत्र की जैव विविधता के लिए खतरे का निर्धारण नहीं करती है।

अन्य पहलू भी भूमिका निभा सकते हैं। विशेष रूप से, आंकड़ों से पता चलता है कि बहुत सारे छोटे द्वीपों से बने द्वीप जैव विविधता हॉटस्पॉट में प्रजातियां स्थानीय या वैश्विक विलुप्त होने के खतरे में अधिक हैं।

खतरों से निपटने के लिए तैयारी

शोध में कहा गया है कि जागरूकता बढ़ाने और संरक्षणवादियों को अपने प्रयासों को प्राथमिकता देने में मदद करने के लिए, शोधकर्ताओं ने उन प्रजातियों की एक निगरानी सूची तैयार की है जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से सबसे अधिक खतरे में हैं। इसमें 60 तूफान के खतरे वाली प्रजातियां शामिल हैं जो केवल एक द्वीप पर एक ही स्थान पर रहती हैं।

इन 60 प्रजातियों में से प्रत्येक के लिए, अगला खतरनाक उष्णकटिबंधीय चक्रवात उनका आखिरी हो सकता है। इन प्रजातियों के फैले होने और स्थिति की बेहतर समझ केवल शुरुआत है। संरक्षणवादियों को योजना बनाने की जरूरत है कि उन्हें अचानक खत्म होने से कैसे बचाया जाए।

शोध में कहा गया है कि जितनी जल्दी हो काम शुरू किया जाना चहिए। सूची में शामिल 60 प्रजातियों में से मात्र 24 ही किसी सक्रिय संरक्षण प्रयास का हिस्सा हैं और केवल छह ही कैप्टिव ब्रीडिंग प्रोग्राम में हैं।

मिले-जुले प्रयास ही सबसे अच्छी शर्त है और बेहतर तैयारी, तेज प्रतिक्रिया और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की अनुमति देने के लिए आईयूसीएन के तहत शोधकर्ताओं के द्वारा एक टास्क फोर्स का प्रस्ताव रखा गया है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि सही जानकारी और दूरदर्शिता के साथ, भविष्य की पीढ़ियों को दोबारा हासिल कर पारिस्थितिक अस्तित्व सुनिश्चित किया जा सकता हैं।