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स्वास्थ्य

आईआईटी मद्रास ने अपनी तरह का पहला कैंसर जीनोम डेटाबेस किया लॉन्च, रिसर्च में साबित होगा गेम चेंजर

भारत के हर नौंवें व्यक्ति को जीवन में कैंसर होने का खतरा रहता है। कैंसर पीड़ितों के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में 14,61,427 लोग इस घातक बीमारी से जूझ रहे हैं। वहीं 2022 से कैंसर के मामले 12.8 फीसदी की दर से बढे हैं

Lalit Maurya

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍‍थान (आईआईटी), मद्रास ने देश में अपनी तरह का पहला कैंसर जीनोम डेटाबेस लॉन्च किया है। इसे ‘भारत कैंसर जीनोम एटलस’ के नाम से तीन फरवरी 2025 को जारी किया गया है। उम्मीद है कि यह डेटाबेस कैंसर रिसर्च को आगे बढ़ाने में गेम चेंजर साबित होगा।

गौरतलब है कि कैंसर दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट से भी पता चला है कि दुनिया में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है।

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर नौंवें व्यक्ति को अपने जीवन में कैंसर होने का खतरा रहता है। वहीं यदि कैंसर पीड़ितों के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में 14,61,427 लोग इस घातक बीमारी से जूझ रहे हैं। वहीं 2022 से कैंसर के मामले 12.8 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं।

देखा जाए तो भले ही यह बीमारी देश में बेहद आम हो गई है, लेकिन इसके बावजूद भारत में कैंसर से जुड़े जीनोम पर उतना अध्ययन नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था। ऐसे में वैज्ञानिकों के पास इस बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है कि यह बीमारी भारतीयों को कैसे प्रभावित करती है।

इसका मतलब है कि भारत में पाए जाने वाले कैंसर के विशेष लक्षणों (वैरिएंट) को परीक्षणों और दवाओं में शामिल नहीं किया जाता है। इसकी वजह से न तो इन वैरिएंट की पहचान के लिए डायग्नोस्टिक किट बन पा रही हैं और न ही प्रभावी दवाओं का विकास मुमकिन हो रहा है।

इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए आईआईटी मद्रास ने 2020 में कैंसर जीनोम कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इसके तहत देशभर में ब्रेस्ट कैंसर के 480 मरीजों के टिश्यू सैम्पल से 960 जीनों की एक्सोम इंडेक्सिंग को पूरा किया है। आईआईटी ने इस डेटाबेस को दुनिया भर के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के लिए bcga.iitm.ac.in पर साझा किया है।

मुमकिन हो सकेगा कैंसर का प्रभावी उपचार

वैज्ञानिकों को भरोसा है कि कैंसर जीनोम एटलस देश में कैंसर-स्पेसिफिक बायोमार्कर की पहचान करने में मदद करेगी, जिससे ब्रेस्ट कैंसर सहित अन्य तरह के कैंसरों का जल्द से जल्द पता लगाया जा सकेगा।

इससे न केवल बीमारी का प्रभावी उपचार मुमकिन हो सकेगा साथ ही उसे किफायती भी बनाया जा सकेगा। इस तरह हर किसी को कम खर्च पर बेहतर उपचार मिल सकेगा।

आईआईटी मद्रास ने मुंबई के कर्किनोस हेल्थकेयर, चेन्नई ब्रेस्ट क्लिनिक और कैंसर रिसर्च एंड रिलीफ ट्रस्ट के साथ मिलकर आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इनकी मदद से उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में पाए जाने वाले आनुवंशिक बदलावों का सारांश तैयार किया है।

इस बारे में आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर प्रोफेसर वी कामकोटी ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि “हमें उम्मीद है कि इस एटलस से कैंसर के कारणों को गहराई से समझने में मदद मिलेगी और शुरूआती स्तर पर ही इस बीमारी की रोकथाम और इलाज मुमकिन हो सकेगा।“

उनके मुताबिक यह डेटाबेस भारत में विभिन्न प्रकार के कैंसर की जीनोम सम्बन्धी जानकारी में मौजूद अंतराल को भरने में मददगार साबित होगा।

आईआईटी मद्रास और इस प्रोग्राम से जुड़े प्रोफेसर एस महालिंगम ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि भारत कैंसर जीनोम एटलस (बीसीजीए) विभिन्न प्रकार के कैंसर का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं से कैंसर संबंधी आंकड़े एकत्र करेगा। इससे डॉक्टरों को कैंसर के शुरूआती लक्षणों का पता लगाने, उसके बढ़ने, उच्च जोखिम वाले समूहों की पहचान करने, बेहतर उपचार की रणनीति तैयार करने और यह देखने में मदद मिलेगी कि वे कितने कारगर हैं।