40,000 से अधिक प्लाज्मिड्स के विश्लेषण से पाया गया कि बहुत कम संख्या के प्लाज्मिड्स ही दुनिया भर में मल्टीड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) फैला रहे हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

100 सालों के शोध से चला पता: कैसे कुछ प्लाज्मिड्स ने दुनिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध फैलाया

साल 1917 से शुरू हुई कहानी: प्लाज्मिड्स में समय के साथ एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन का विकास कैसे हुआ

Dayanidhi

  • 40,000 से अधिक प्लाज्मिड्स के विश्लेषण से पाया गया कि बहुत कम संख्या के प्लाज्मिड्स ही दुनिया भर में मल्टीड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) फैला रहे हैं।

  • 1917 के पुराने बैक्टीरिया में प्रतिरोध जीन नहीं थे। जैसे-जैसे लोगों ने एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बढ़ाया, प्लाज्मिड्स ने प्रतिरोध जीन को अपनाना शुरू किया।

  • 100 सालों के आंकड़ों से बना प्लास्मिड विकास मॉडल भविष्य में यह समझने में मदद करेगा कि नई संक्रमण की लहरें कब और कैसे आएंगी।

  • अब जब पता चल गया है कि कौन से प्लाज्मिड सबसे खतरनाक हैं, तो वैज्ञानिक उन्हें विशेष रूप से टार्गेट करके नई दवाएं और रणनीतियां विकसित कर सकते हैं।

दुनिया भर में दवाओं का असर न करने वाले संक्रमण (मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट इन्फेक्शन्स) एक गंभीर समस्या बन चुके हैं। हर साल कम से कम 10 लाख लोग ऐसी बीमारियों से मरते हैं जिन पर आम एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता है। लेकिन सवाल ये है ये स्थिति कैसे बनी? इसका जवाब हाल ही में प्रकाशित एक ऐतिहासिक और वैज्ञानिक शोध से मिला है।

ब्रिटेन केवेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट, बाथ विश्वविद्यालय और यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसके) के वैज्ञानिकों ने मिलकर 100 सालों के बैक्टीरिया और उनके आनुवंशिक आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इस अध्ययन को साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

क्या था इस अध्ययन में खास?

वैज्ञानिकों ने 1917 से लेकर आज तक के 40,000 से अधिक प्लाज्मिड्स का विश्लेषण किया। ये प्लाज्मिड्स दुनिया के छह महाद्वीपों से लिए गए थे और यह अब तक का सबसे बड़ा ऐसा डेटा सेट है।

प्लाज्मिड क्या होते हैं?

प्लाज्मिड्स बैक्टीरिया के अंदर मौजूद छोटे, गोल डीएनए अणु होते हैं, जो खुद नकल करके दूसरे बैक्टीरिया में जा सकते हैं। इनके जरिए बैक्टीरिया एक-दूसरे से आनुवंशिक जानकारी साझा करते हैं, खासकर एंटीबायोटिक प्रतिरोध जैसे महत्वपूर्ण गुण।

क्या है अहम खोज?

शोध में पाया गया कि बहुत कम संख्या में प्लाज्मिड्स हैं जो दुनियाभर में मल्टीड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) फैला रहे हैं। यानी अधिकांश संक्रमण इन्हीं कुछ प्लाज्मिड्स की वजह से दवाओं का असर नहीं होने देते।

शुरुआती प्लाज्मिड्स में एंटीबायोटिक प्रतिरोध नहीं था

साल 1917 के आसपास के प्लाज्मिड्स में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन नहीं थे, क्योंकि तब एंटीबायोटिक्स का उपयोग ही नहीं होता था। जैसे-जैसे लोगों ने एंटीबायोटिक दवाएं इस्तेमाल करनी शुरू की, वैसे-वैसे कुछ प्लाज्मिड्स ने प्रतिरोधी जीन को जोड़ना शुरू किया।

प्लाज्मिड्स के विकास के तीन रास्ते

वैज्ञानिकों ने प्लाज्मिड्स के विकास के तीन प्रमुख रास्तों की पहचान की, एएमआर जीन जोड़ना: पहले से मौजूद प्लाज्मिड में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन जोड़ दिए गए।

प्लाज्मिड का विलय: दो प्लाज्मिड्स मिलकर एक नया प्लाज्मिड बना, ये सबसे अधिक खतरनाक हैं क्योंकि ये बहुत अधिक बैक्टीरिया प्रजातियों में जा सकते हैं।

टूटना और दोबारा प्रयोग: कुछ प्लाज्मिड टूट गए लेकिन उनके टुकड़े अन्य प्लाज्मिड्स द्वारा ‘रीसायकल’ किए गए।

आज के खतरनाक प्लाज्मिड्स इन्हीं में से निकले हैं

आज जो प्लाज्मिड्स दवाओं के खिलाफ सबसे अधिक प्रतिरोध फैलाते हैं, वे इन्हीं दो रास्तों से बने, या तो प्रतिरोध जीन जुड़ने से, या दो प्लाज्मिड्स के मिलने से।

इस खोज का महत्व क्या है?

नई दवाएं और थेरेपी बनाने में मदद मिल सकती है। अब जब ये साफ हो गया है कि कुछ खास प्लास्मिड्स ही सबसे खतरनाक हैं, तो वैज्ञानिक इनको ध्यान में रखकर कर नई दवाएं या उपचार विकसित कर सकते हैं।

भविष्य में पूर्वानुमान लगाना संभव

100 सालों के प्लाज्मिड विकास का मॉडल तैयार करके वैज्ञानिक अब भविष्य में भी अंदाजा लगा सकते हैं कि कब और कैसे नए संक्रमण फैल सकते हैं। यह पब्लिक हेल्थ नीति बनाने में बहुत उपयोगी होगा।

एंटीबायोटिक उपयोग को नियंत्रित करने का सबूत

यह शोध एक बार फिर साबित करता है कि एंटीबायोटिक दवाओं का अनावश्यक या अधिक उपयोग किस तरह से बैक्टीरिया को और अधिक खतरनाक बना देता है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि कैसे प्लाज्मिड्स ने समय के साथ खुद को बदला और आज वो दुनिया भर में समस्या बन गए हैं। यह मानवजनित गतिविधियों के कारण हुए बैक्टीरियल विकास का एक सीधा उदाहरण है।

प्लाज्मिड्स का जीवन भी तरह-तरह का होता है, कोई धीरे-धीरे बदलता है, कोई दूसरे के साथ मिलकर नया बनता है, तो कोई खत्म होकर टुकड़ों में जीवित रहता है। यह शोध इन सभी रूपों को समझने में मदद करता है।

यह शोध न सिर्फ वैज्ञानिक रूप से अनोखा है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के भविष्य को लेकर सार्थक और जरूरी चेतावनी भी है। अब यह स्पष्ट है कि यदि हमें एंटीबायोटिक प्रतिरोध को रोकना है, तो हमें केवल नई दवाएं बनाने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें प्लाज्मिड्स को समझना और नियंत्रित करना भी सीखना होगा। इस शोध से न केवल बैक्टीरिया की पुरानी कहानी उजागर हुई है, बल्कि आने वाले समय की रणनीति भी तैयार हो सकती है।