दुनिया भर में भुखमरी से निपटने के लिए, हर साल 28 मई को विश्व भूख दिवस मनाया जाता है ताकि दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा सामना किए जा रहे मौन संघर्ष के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। साथ ही भुखमरी को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित किया जा सके।
तमाम तकनीकी विकास के बावजूद, दुनिया भर में भूख लगातार एक मुद्दा बनी हुई है। विश्व भूख दिवस संघ के अनुसार, 2022 में, 74 देशों में 34.3 करोड़ से अधिक लोग भारी खाद्य असुरक्षा के अनुभव से गुजरे, जो कि मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधाओं के कारण है।
भूख क्या है?
भूख खाली पेट से कहीं अधिक जटिल है। यह एक बहुआयामी समस्या है जिसके कई मूल कारण और दूरगामी प्रभाव हैं। दुनिया भर में भूख के संकट को समाप्त करने का पहला कदम यह समझना है कि यह क्या है और यह दुनिया में इतनी अधिक क्यों है।
विश्व भूख दिवस 2025 की थीम "लचीलेपन के हिसाब से बुवाई करना" है। जलवायु के अनुरूप ढलने वाला भविष्य बनाया जा सकता है। इस विश्व भूख दिवस पर, इस बात पर गौर किया जा सकता हैं कि जलवायु परिवर्तन से निपटने से सभी के लिए खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है। किसानों में निवेश करके, एक ऐसी दुनिया बनाई जा सकती है जहां स्वस्थ भोजन सुलभ हो और समुदाय फल-फूल सकें।
इस दिन का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्षों के बारे में जागरूकता पैदा करना है, जिनके पास उचित पोषण तक पहुंच नहीं है। यह दिन धरती से भूख को मिटाने के लिए सभी को एक साथ आने का आह्वान भी है। इस दिन को मनाने का सबसे अच्छा तरीका दान करना और स्थानीय खाद्य बैंक में स्वयंसेवा करना है।
विश्व भूख दिवस संघ के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चों में भूख और कुपोषण में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
विश्व भूख दिवस के इतिहास की बात करें तो साल 2011 में, हंगर प्रोजेक्ट ने पहली बार घोषणा की थी कि दुनिया भर में खाद्य संकट से निपटने के लिए हर साल 28 मई को विश्व भूख दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
ऐसा नहीं है कि हमारे पास भोजन की आपूर्ति की कमी है, हम सभी के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन करते हैं। फिर भी, 10 फीसदी से अधिक आबादी भूखे पेट सोती है। यह विशेष रूप से निराशाजनक है कि अधिक आय वाले देशों में 40 फीसदी भोजन बर्बाद हो जाता है, जहां जरूरत से दोगुना भोजन उत्पादित होता है।
भोजन की बर्बादी को कम करने से भूख को काफी हद तक कम किया जा सकता है। शादियों, रिसेप्शन और समारोहों के दौरान बर्बादी को कम करने के सरल कार्य बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
भूख मिटाने के लिए शांति जरूरी है। संघर्ष वाले क्षेत्रों में अक्सर भूख का स्तर सबसे अधिक होता है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां इन क्षेत्रों में भोजन पहुंचाने की कोशिश करती हैं, लेकिन अक्सर यह असंभव होता है। 2012 में, संयुक्त राष्ट्र ने जीरो हंगर कार्यक्रम शुरू किया, जिसका लक्ष्य 2030 तक दुनिया को भूख से मुक्त करना है।
हालांकि प्राकृतिक आपदाएं और चरम मौसम की स्थिति भी लोगों को भुखमरी की ओर धकेलती हैं। इन त्रासदियों से पूरी तरह से बचा नहीं जा सकता है, लेकिन हर परिवार जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन में योगदान दे सकता है।
एक्शन अगेंस्ट हंगर के मुताबिक, 50 फीसदी बच्चों की मौत भूख के कारण हो जाती है। दुनिया भर में लगभग 11 में से एक व्यक्ति हर रात भूखा सोता है, यह संकट मुख्यतः संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और लंबे समय से जारी असमानता के कारण उत्पन्न हुई है।
साल 2024 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर रहा। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 27.3 के स्कोर के साथ, भारत में भूख का स्तर गंभीर माना गया था।