फोटो : सीएसई 
विकास

मनरेगा: श्रमिकों की डिजिटल हाजिरी में गड़बड़ी, मैनुअल सत्यापन का आदेश

मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर एनएमएमएस निगरानी सेल बनाएं, रोजाना उपस्थिति डेटा की जांच कर अनियमितताओं को चिह्नित करें

Himanshu Nitnaware

पारदर्शिता के लिए डिजिटल-फर्स्ट उपस्थिति प्रणाली को बढ़ावा देने के बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अब चुपचाप इससे पीछे हटते हुए राज्यों से उस डिजिटल डेटा को मैन्युअली सत्यापित करने को कहा है, जिसे स्वचालित रूप से संभालने के लिए इसकी मोबाइल एप्लिकेशन शुरू की गई थी। दुरुपयोग और हेरफेर के कई मामले सामने आने के बाद मंत्रालय ने यह कदम उठाया है।

8 जुलाई 2025 को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत डिजिटल उपस्थिति रिकॉर्ड की मैन्युअल रूप से जांच करने का निर्देश दिया।

इस निर्देश के तहत राज्य जिला और ब्लॉक स्तर पर निगरानी सेल बनाने को कहा गया है। इन सेल में मौजूदा स्टाफ को लगाकर रोजाना नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सेंटर (एनएमएमएस) ऐप के जरिए अपलोड किए गए डेटा की जांच, फोटो वेरिफिकेशन और गड़बड़ियों की रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी दी गई है।

2021 में लॉन्च और 2022 में अनिवार्य बना एनएमएमएस मोबाइल एप्लिकेशन को श्रमिकों की उपस्थिति फोटो सहित रिकॉर्ड करने के लिए डिजाइन किया गया था। लेकिन चार साल बाद मंत्रालय ने कम से कम सात ऐसे तरीके पहचाने हैं, जिनसे इस प्रणाली का “दुरुपयोग या हेरफेर” किया जा रहा है।

डाउन टू अर्थ को प्राप्त एक पत्र में बताया गया कि मंत्रालय ने कई अनियमितताओं का उल्लेख किया है, जो डिजिटल उपस्थिति प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर कर रही हैं और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की संभावना बढ़ा रही हैं।

इनमें, असंबंधित तस्वीरें अपलोड करना, वास्तविक समय की बजाय पहले से ली गई तस्वीरों का उपयोग, कार्य स्थल पर दर्ज संख्या और वास्तविक श्रमिकों की संख्या में अंतर, गलत लिंग जानकारी, एक जैसी तस्वीरें कई मस्टर रोल्स में दोहराई जाना और सुबह और दोपहर की तस्वीरों में मेल नहीं होना, दोपहर की तस्वीर अपलोड न करना जैसी विसंगतियां शामिल हैं।

इस ऐप की खामियों को लेकर 2023 से ही श्रमिकों का विरोध शुरू हो गया था। दिल्ली के जंतर मंतर पर हुए प्रदर्शनों में इसे हटाने की मांग की गई थी। मंत्रालय के पत्र के अनुसार, ये अनियमितताएं राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर निगरानी और जवाबदेही की भारी कमी को दर्शाती हैं, जिससे योजना की पारदर्शिता और ईमानदारी प्रभावित हो रही है और वित्तीय अनियमितताओं व भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ गई है।

पारदर्शिता और जवाबदेही बहाल करने के लिए मंत्रालय ने कहा है कि अब सभी अपलोड की गई तस्वीरों और उपस्थिति रिकॉर्ड का 100 प्रतिशत सत्यापन किया जाएगा और यह सत्यापन कई स्तरों पर किया जाएगा। साथ ही, जानबूझकर गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात भी कही गई है।

दोपहर की उपस्थिति लेने के संदर्भ में मंत्रालय ने बताया कि एमएमएमएस ऐप सुबह और दोपहर दोनों समय की तस्वीरें लेने की अनुमति देता है, लेकिन कई उपयोगकर्ता इसे बायपास करने के लिए ऐप को अनइंस्टॉल और रीइंस्टॉल कर रहे हैं।

पत्र के अनुसार, “चूंकि यह ऐप तब तक अगली तारीख की उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति नहीं देता जब तक पिछली तारीख की दोपहर की तस्वीर अपलोड नहीं की गई हो, ऐसे में यह दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय है और संबंधित फील्ड कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई जरूरी है।”

मंत्रालय अब एक नया प्रावधान लागू कर रहा है जिसके अनुसार तब तक वेतन सूची नहीं बनेगी जब तक सुबह और दोपहर दोनों की तस्वीरें नियमानुसार अपलोड नहीं की जातीं। साथ ही, अब ई-मस्टर रोल सीधे अधिकारियों के लॉगिन से तैयार किया जाएगा, और नरेगासोफ्ट सिस्टम पर अपलोड की गई जियो-टैग की गई तस्वीरों के आधार पर वेतन की गणना होगी।

अगर केवल एक तस्वीर (या तो सुबह या दोपहर) अपलोड होती है तो केवल आधे दिन का वेतन दिया जाएगा। यदि कोई तस्वीर अपलोड नहीं की गई, तो वेतन नहीं दिया जाएगा। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि दुरुपयोग या हेरफेर के मामलों में कोई ढील नहीं दी जाएगी और जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी।