उत्सर्जन में वृद्धि: दुनिया के जंगलों और भूमि में लगने वाली आग से होने वाला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अब तक के अनुमान से लगभग 70 फीसदी अधिक है।
अक्सर दर्ज न की गई छोटी आग लगने की घटनाएं कुल उत्सर्जन में बड़ी भूमिका निभाती हैं।
उपग्रह के आंकड़ों से नई 20×20 मीटर उपग्रह तकनीक से आगों का सटीक रिकॉर्डिंग संभव हुआ।
जंगल की आग और नुकसान: जंगलों की आग कम मात्रा में उत्सर्जन करती हैं, लेकिन पर्यावरण और मानव जीवन पर सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती हैं।
वायु गुणवत्ता पर प्रभाव: अधिक आग और उत्सर्जन से सूक्ष्म कण वायुमंडल में बढ़ते हैं, जिससे वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य खतरे बढ़ते हैं।
हाल ही में किए गए एक शोध के अनुसार, दुनिया के जंगलों और अन्य प्राकृतिक क्षेत्रों में लगी आग से होने वाले ग्रीनहाउस गैस और वायुमंडलीय कणों का उत्सर्जन अब तक अनुमानित मात्रा से लगभग 70 फीसदी अधिक है। यह अध्ययन वागेनिंगन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च, नासा, जीरो कार्बन और अमेरिका की मेरीलैंड और अर्विन विश्वविद्यालयों के सहयोग से किया गया।
छोटी आग भी बड़ी समस्या
शोधकर्ताओं ने पाया कि दुनिया भर में बहुत अधिक छोटी आगें होती हैं, जिन्हें पहले पर्याप्त रूप से रिकॉर्ड नहीं किया गया था। इसका मुख्य कारण यह है कि पुराने उपग्रह डेटा इन छोटी आगों को ठीक से नहीं पकड़ पाते थे। उपग्रह डेटा इस बात का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण होते हैं कि आग कितनी बड़ी है और कितनी वनस्पति नष्ट हुई है। नई तकनीकों और आंकड़ों के कारण अब हमें एक नया चित्र दिखाई दे रहा है, जिसमें छोटी आग लगने की भी शामिल हैं।
आग लगने की छोटी घटनाएं और भारी उत्सर्जन
ये नई रिकॉर्ड की गई आगें मुख्य रूप से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में होती हैं। इसका मतलब यह है कि इन आग का वायु गुणवत्ता पर प्रभाव पहले से कहीं अधिक है। ये आगें न केवल ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती हैं, बल्कि कई क्षेत्रों में वायुमंडलीय कणों का भी मुख्य स्रोत हैं। नई रिकॉर्डिंग के अनुसार, इतनी सारी आग लगने की छोटी घटनाएं दुनिया भर में उत्सर्जन में एक बड़ी भूमिका निभाती हैं।
जंगल, घास के मैदान और कृषि भूमि पर असर
शोधकर्ताओं ने यह भी अध्ययन किया कि आग लगने की घटनाएं केवल जंगलों तक सीमित नहीं हैं। ये घास के मैदानों और कृषि भूमि में भी होती हैं। इसके आधार पर ग्लोबल फायर एमिशन डेटाबेस (जीएफईडी) का नया संस्करण जारी किया गया है। इस नए संस्करण में आग लगने की जगह और उनके उत्सर्जन का विस्तृत आंकड़े उपलब्ध है। यह आंकड़े वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जलवायु मॉडल और वायु गुणवत्ता अनुसंधान में काम आता है।
उन्नत उपग्रह डेटा का महत्व
साइंटिफिक डेटा नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि उत्सर्जन के अनुमान पहले कभी इतनी तेजी से नहीं बदले हैं। पुराने आंकड़ों में दुनिया को 500×500 मीटर के ब्लॉकों में विभाजित किया जाता था, जबकि अब कुछ स्थानों पर यह 20×20 मीटर तक छोटा किया गया है। इसका मतलब है कि आग लगने की छोटी घटनाओं को भी सही तरीके से रिकॉर्ड किया जा सकता है।
जंगल की आग का नुकसान
यद्यपि जंगलों की आग कुल भूमि में आग लगने की तुलना में उत्सर्जन का छोटा हिस्सा हैं, फिर भी यह सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। नए आंकड़ों में जंगलों की आग से होने वाले उत्सर्जन पुराने आंकड़ों के समान हैं, क्योंकि ये आग लगने की घटनाएं पहले से अच्छी तरह रिकॉर्ड की गई थीं। लेकिन शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि समय के साथ जंगलों की आग अधिक बार और अधिक तीव्र हुई हैं। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन को मुख्य कारण माना जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन और आगों का संबंध
जीएफईडी के आंकड़ों का उपयोग अक्सर जलवायु मॉडल और वायु गुणवत्ता अनुसंधान में किया जाता है। यह देखना अभी बाकी है कि नए आंकड़े जलवायु परिवर्तन और जंगलों की आग के बीच संबंध को कैसे प्रभावित करेंगे। हालांकि पहले ही यह स्पष्ट हो चुका है कि अधिक उत्सर्जन का वायु गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अधिक मात्रा में सूक्ष्म कण वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां अधिक लोग रहते हैं।
इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि छोटी और बड़ी दोनों प्रकार की आग की घटनाओं का पर्यावरण और मानव जीवन पर बड़ा असर होता है। नई तकनीक और बेहतर उपग्रह आंकड़ों से अब हमें आग और उनके उत्सर्जन का अधिक सटीक जानकारी मिल रही है। यह न केवल जलवायु अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वायु गुणवत्ता सुधार और सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत आवश्यक है।
भविष्य में इन नए आंकड़ों के आधार पर नीतियां और तैयारी अधिक प्रभावी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, जंगलों और कृषि भूमि में आग की निगरानी, समय पर आग रोकने की तकनीकें और वायु गुणवत्ता सुधारने के उपाय। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य की भी सुरक्षा होगी।
इस प्रकार, यह शोध हमें चेतावनी देता है कि दुनिया भर में जंगलों और भूमि पर आग लगने की घटनाएं अब तक समझे गए से कहीं अधिक गंभीर हैं। हमें इनके प्रभाव को कम करने और उनके प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।