समुद्र में अम्लीकरण बढ़ने से शार्क के दांत कमजोर हो सकते हैं, जिन पर दरारें और छिद्र बनने लगते हैं।
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।
कमजोर दांत शार्क की शिकार करने की क्षमता को घटा देंगे, जिससे उनकी ऊर्जा जरूरतें पूरी करना कठिन होगा।
अम्लीकरण का असर केवल दांतों तक सीमित नहीं रहेगा, यह शार्क की घ्राण शक्ति और अंडों के फूटने पर भी असर डाल सकता है।
शार्क समुद्री पारिस्थितिकी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इनके कमजोर पड़ने से पूरा खाद्य जाल और समुद्र का संतुलन बिगड़ सकता है।
शार्क समुद्र की सबसे खतरनाक और अद्भुत जीवों में गिनी जाती हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत है उनके तेज, धारदार और लगातार उगने वाले दांत। इंसानों के दांत टूट जाएं तो डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाना पड़ता है, लेकिन शार्क के पास प्रकृति का दिया हुआ अद्भुत “दांत बदलने की प्रणाली” है। जब एक दांत गिरता है, तो तुरंत उसकी जगह नया दांत उग आता है। यही कारण है कि शार्क लाखों वर्षों से समुद्र में सबसे बड़ी शिकारी बनी हुई हैं।
लेकिन हालिया शोध बता रहा है कि भविष्य में यह ताकतवर दांत भी कमजोर पड़ सकते हैं। कारण है समुद्री अम्लीकरण (ओसियन एसिडिफिकेशन)। यह स्थिति इंसानों द्वारा वातावरण में छोड़े जा रहे कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के कारण और भी गंभीर हो रही है।
समुद्र क्यों हो रहे हैं खट्टे?
धरती का वातावरण लगातार गर्म हो रहा है और उसमें कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। यह गैस केवल हवा में ही नहीं रुकती, बल्कि उसका लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा समुद्र भी सोख लेते हैं। जब यह कार्बन डाइऑक्साइड पानी से मिलती है तो पानी में हाइड्रोजन आयन की मात्रा बढ़ जाती है और उसका पीएच स्तर गिरने लगता है। यही प्रक्रिया समुद्री अम्लीकरण कहलाती है।
वर्तमान में औसतन समुद्र का पीएच लगभग 8.1 है, जो बेकिंग सोडा जितना क्षारीय होता है। लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि साल 2300 तक यह घटकर 7.3 तक आ सकता है। यह आज की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा अम्लीय स्थिति होगी।
समुद्री जीवन पर असर
समुद्री अम्लीकरण के कारण सबसे पहले उन जीवों पर असर पड़ता है जिनका शरीर या खोल कैल्शियम कार्बोनेट से बना होता है, जैसे शंख, सीप, प्रवाल और समुद्री अर्चिन। लेकिन अब शोध से यह भी सामने आ रहा है कि इसका असर शार्क जैसी मछलियों पर भी पड़ सकता है।
शार्क के शरीर पर छोटे-छोटे दंतकण (डर्मल डेंटिकल्स) होते हैं, जो उनके स्केल की तरह काम करते हैं। ये दंतकण और उनके दांत खनिजयुक्त फॉस्फेट से बने होते हैं। अम्लीकरण बढ़ने पर इनकी सतह पर दरारें और छिद्र बनने लगते हैं।
क्या कहता है शोध?
फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस में प्रकाशित शोध में जर्मनी की हेनरिक हाइने यूनिवर्सिटी के जीव वैज्ञानिकों की टीम ने इस विषय पर दिलचस्प प्रयोग किया। उन्होंने जर्मनी के एक्वेरियम से ब्लैकटिप रीफ शार्क के 600 से अधिक गिरे हुए दांत एकत्र किए। इन दांतों को उन्होंने कृत्रिम समुद्री पानी में अलग-अलग पीएच स्तर पर रखा।
एक टैंक में पानी का पीएच 8.2 रखा गया, जो वर्तमान स्थिति जैसा है। दूसरे टैंक में पीएच 7.3 रखा गया, जो भविष्य की अनुमानित स्थिति को दर्शाता है।
कुछ हफ्तों बाद नतीजे चौंकाने वाले थे। जिन दांतों को अधिक अम्लीय पानी में रखा गया था, उनमें दरारें, छिद्र और सतह की टूट-फूट साफ दिखाई दी। दांत की नोक, जड़ और धारदार किनारे सब प्रभावित हुए।
दिलचस्प बात यह रही कि इन दांतों का औसत आकार थोड़ा बड़ा दिखा। वैज्ञानिकों के अनुसार यह वास्तव में फैलाव नहीं था, बल्कि सतह पर बनी अनियमितताओं के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था।
शार्क के लिए खतरे
पहली नजर में लगता है कि दांतों पर बनी ये अनियमितताएं शार्क को काटने में और मदद कर सकती हैं, क्योंकि ज्यादा दांतेदारपन से शिकार को चीरना आसान हो सकता है। लेकिन हकीकत यह है कि ऐसे दांत कमजोर और जल्दी टूटने वाले होते हैं।
शार्क को लगातार नए दांत मिलते रहते हैं, लेकिन अगर हर नए दांत की क्वालिटी ही गिर जाए, तो उनकी शिकारी क्षमता पर सीधा असर पड़ेगा। कमजोर दांतों के कारण शार्क शिकार पकड़ने में दिक्कत झेलेंगी, जिससे उनकी ऊर्जा जरूरतें पूरी नहीं होंगी।
इसके अलावा, अम्लीकरण का असर केवल दांतों तक सीमित नहीं रहेगा। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि अम्लीय समुद्र में शार्क के अंडों का फूटना कम हो सकता है और उनकी घ्राण शक्ति (सूघने की क्षमता) भी प्रभावित हो सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो शार्क को शिकार ढूंढने में कठिनाई होगी।
समुद्र के संतुलन पर असर
शार्क केवल डरावने शिकारी नहीं हैं, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी का अहम हिस्सा हैं। वे छोटी मछलियों और कमजोर जीवों को खाकर समुद्र में संतुलन बनाए रखती हैं। अगर शार्क कमजोर पड़ गई, तो पूरा खाद्य जाल बिगड़ सकता है। इससे प्रवाल भित्तियों से लेकर छोटी मछलियों और अंततः इंसानों तक पर असर पड़ेगा।
आज तक किसी ने “शार्क के लिए डेंचर” बनाने के बारे में नहीं सोचा था, क्योंकि उनकी प्रकृति ने उन्हें दांत बदलने की अनोखी क्षमता दी है। लेकिन अगर समुद्री अम्लीकरण बढ़ता रहा, तो भविष्य में वैज्ञानिकों को ऐसे अनोखे विचारों पर भी काम करना पड़ सकता है।
असल समाधान है कार्बन उत्सर्जन को कम करना और समुद्र को और ज्यादा खट्टा होने से बचाना। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए, तो शार्क जैसे शक्तिशाली जीव भी अपने सबसे बड़े हथियार दांत से वंचित हो सकते हैं।
यह शोध हमें याद दिलाता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव केवल तापमान या मौसम तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पूरी खाद्य श्रृंखला और समुद्री जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए समुद्र और धरती दोनों को बचाने के लिए इंसानों को अपनी जिम्मेदारी निभानी ही होगी।