किसान दिवस 23 दिसंबर को मनाया जाता है, यह चौधरी चरण सिंह की जयंती और किसानों के योगदान को समर्पित है।
कृषि क्षेत्र भारत की लगभग आधी आबादी को रोजगार देता है और अर्थव्यवस्था में 17.7 प्रतिशत योगदान करता है।
साल 2023-24 में भारत ने 33.22 करोड़ टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हासिल किया।
किसान जलवायु परिवर्तन, उचित मूल्य, जल संकट और आधुनिक तकनीक की कमी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
किसान दिवस किसानों के सम्मान, सशक्तिकरण, टिकाऊ कृषि और मजबूत ग्रामीण विकास की आवश्यकता पर जोर देता है।
भारत में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस, जिसे राष्ट्रीय किसान दिवस भी कहा जाता है, मनाया जाता है। यह दिन देश के किसानों के अतुलनीय योगदान को सम्मान देने के लिए समर्पित है। इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती भी मनाई जाती है। उन्होंने अपने पूरे जीवन में किसानों के अधिकारों, कल्याण और ग्रामीण विकास के लिए कार्य किया।
किसान दिवस का उद्देश्य केवल किसानों को सम्मान देना ही नहीं है, बल्कि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों, संभावनाओं और भविष्य की आवश्यकताओं पर भी ध्यान आकर्षित करना है। बदलते समय में जब जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और आर्थिक दबाव बढ़ रहे हैं, तब किसानों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
चौधरी चरण सिंह का योगदान
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को एक किसान परिवार में हुआ था। वे किसानों की समस्याओं को गहराई से समझते थे। प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भले ही 1979 से 1980 तक छोटा रहा, लेकिन इस दौरान उन्होंने भूमि सुधार, कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसान ऋण राहत जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए। इसी कारण उन्हें “किसानों का मसीहा” भी कहा जाता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व
भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, कृषि क्षेत्र देश की लगभग आधी आबादी को रोजगार प्रदान करता है। वित्त वर्ष 2023-24 में कृषि क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन में योगदान 17.7 फीसदी रहा, जो इसकी आर्थिक महत्ता को दर्शाता है।
भारत के कुल 32.87 करोड़ हेक्टेयर भू-भाग में से लगभग 54.8 फीसदी भूमि कृषि योग्य है। 2021-22 के भूमि उपयोग आंकड़ों के अनुसार, देश की फसल सघनता 155.4 फीसदी है, जो यह दर्शाती है कि किसान सीमित संसाधनों में भी अधिक उत्पादन करने का प्रयास कर रहे हैं।
रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन
वर्ष 2023-24 में भारत ने 33.22 करोड़ टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन किया, जो पिछले साल के 32.97 करोड़ टन से अधिक है। यह उपलब्धि भारतीय किसानों की मेहनत, सहनशक्ति और नवाचार का प्रमाण है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद किसान देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं और करोड़ों लोगों की आजीविका को संबल प्रदान कर रहे हैं।
किसानों के सामने चुनौतियां
किसान दिवस किसानों की समस्याओं पर विचार करने का भी अवसर है। आज किसान कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जैसे:
फसलों का उचित मूल्य न मिलना
जलवायु परिवर्तन का खेती पर प्रभाव
मिट्टी की उर्वरता में कमी
पानी की कमी
आधुनिक तकनीक और मशीनों की सीमित उपलब्धता
ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी
इन समस्याओं के कारण कई किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और उनका जीवन स्तर प्रभावित होता है।
सरकारी योजनाएं और सहायता
सरकार किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जैसे फसल बीमा योजना, कृषि सब्सिडी, किसान ऋण, और तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को जोखिम से बचाना, उनकी आय बढ़ाना और कृषि को अधिक टिकाऊ बनाना है।
किसान दिवस का संदेश
किसान दिवस हमें यह याद दिलाता है कि किसान केवल अन्न उपजाने वाले नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के शिल्पकार हैं। ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत की नींव किसानों के परिश्रम पर टिकी है। इसलिए आवश्यक है कि किसानों को उचित मूल्य, बेहतर सुविधाएं और सम्मानजनक जीवन प्रदान किया जाए।
किसान दिवस केवल एक दिवस का उत्सव नहीं, बल्कि किसानों के प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाने वाला अवसर है। चौधरी चरण सिंह के आदर्शों से प्रेरणा लेते हुए हमें ऐसी नीतियां और प्रयास करने चाहिए जो किसानों को सशक्त बनाएं। जब किसान समृद्ध होंगे, तभी भारत सशक्त और विकसित राष्ट्र बन सकेगा।