खेती में पिसा हुआ कैल्शियम कार्बोनेट (चूना पत्थर) डालने से वातावरण से टनों सीओ2 हटाई जा सकती है, साथ ही कृषि उपज में भी बढ़ोतरी होती है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, टोनी वेबस्टर
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खेती की जमीन में चूना पत्थर डालना कार्बन हटाने व फसल पैदावार दोनों में सहायक: अध्ययन

कैल्शियम कार्बोनेट से कार्बन अवशोषण बढ़ेगा, मिट्टी की गुणवत्ता सुधरेगी और किसानों को फायदा मिलेगा

Dayanidhi

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि खेती की जमीन में चूना पत्थर से न केवल फसल की पैदावार और मिट्टी की सेहत को सुधारता है, बल्कि यह कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) को लंबे समय तक महासागरों में संग्रहित कर जलवायु परिवर्तन और महासागर अम्लीकरण दोनों समस्याओं से एक साथ निपटने में मदद करता है।

येल विश्वविद्यालय की अगुवाई में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि खेती की जमीन में पिसा हुआ कैल्शियम कार्बोनेट या चूना पत्थर डालने से हर साल वातावरण से टनों कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) हट सकती है और फसल की पैदावार में भी सुधार हो सकता है

वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसें 2024 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचकर 420 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम) से भी अधिक हो गई। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद के लिए कार्बन निष्कासन को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर तापमान वृद्धि को सीमित करने के एक प्रमुख उपकरण के रूप में पहचाना है। इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, हर साल वातावरण से 15 अरब टन कार्बन हटाना होगा।

अध्ययन में कहा गया है कि इस बात पर वैज्ञानिक सहमति बढ़ रही है कि कार्बन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वायुमंडल से कार्बन को हटाना जरूरी है। इस समय, उत्सर्जन को रोकना काफी नहीं होगा।

वैज्ञानिकों की एक टीम ने खेतों में पिसे हुए कैल्शियम कार्बोनेट के प्रयोग पर काम किया, जो एक प्राकृतिक तरीके से कार्बन निकालने की प्रक्रिया है। उन्होंने पाया कि चूना पत्थर कार्बन अवशोषण को बढ़ाते हुए कृषि उपज को भी बढ़ा सकता है।

कैल्शियम कार्बोनेट आमतौर पर समुद्री जीवन के जीवाश्म अवशेषों से बने चूना पत्थर से प्राप्त होता है। हालांकि इसे अक्सर खेतों में उगते पौधों को पोषण देने और मिट्टी के पीएच को कम करने वाले नाइट्रोजन उर्वरकों के प्रभाव को संतुलित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कार्बन भंडारण की इसकी क्षमता इसे जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने में भी एक अहम उपकरण बनाती है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि जब चूना पत्थर की मिट्टी के साथ क्रिया से बना बाइकार्बोनेट खेतों से बहकर नदियों और महासागरों में पहुंचता है, तो इसमें सहस्राब्दियों तक कार्बन जमा करने की क्षमता होती है।

नेचर वाटर में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, प्रति एकड़ कई टन चूना पत्थर डालने से सदी के अंत तक अरबों टन कार्बन डाइऑक्साइड को हटाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि चूना पत्थर के संशोधनों का उपयोग सिलिकेट चट्टानों और कार्बनिक संशोधनों सहित अन्य मिट्टी से संबंधित संशोधनों के साथ मिलकर किया जा सकता है, ताकि खेती की जमीन को कार्बन के प्रमुख स्रोत से कार्बन जमा करने में बदला जा सके।

कृषि सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाले क्षेत्रों में से एक है। चूना, जो नाइट्रोजन उर्वरक के साथ प्रतिक्रिया करके कार्बन उत्सर्जित कर सकता है, को आईपीसीसी द्वारा कार्बन स्रोत के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि नाइट्रोजन उर्वरक से उत्पन्न अम्ल ही वास्तविक समस्या है और अधिकांश मामलों में, मिट्टी के स्तर में सुधार के लिए पर्याप्त चूना पत्थर डालने से समय के साथ सीओ2 का उत्सर्जन कम हो जाएगा।

अध्ययन में कहा गया है कि चूना डालने के कुछ अतिरिक्त फायदे भी हैं। खेती चूना से निकलने वाला बाइकार्बोनेट, जो बहकर महासागरों में पहुंच जाता है, महासागरों के पीएच मान को बढ़ा सकता है और आवरण निर्माण में सहायक हो सकता है।

अध्ययन में अध्ययनकर्ता ने कहा कि महासागरों का अम्लीकरण उतनी ही गंभीर समस्या है जितनी कि वायुमंडलीय सीओ2 का स्तर। कार्बन डाइऑक्साइड हटाने के अन्य तरीके हमेशा महासागरों की समस्या का समाधान नहीं करते, लेकिन चूना डालने से ऐसा होता है।

लेकिन सबसे पहले और सबसे जरूरी, चूना डालने के तरीकों में बदलाव कार्बन हटाने का एक ऐसा तरीका है जिससे किसानों को मदद मिलती है। इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

अध्ययन के मुख्य बिंदु:

  • येल विश्वविद्यालय की अगुवाई में अध्ययन: खेती में पिसा हुआ कैल्शियम कार्बोनेट (चूना पत्थर) डालने से वातावरण से टनों सीओ2 हटाई जा सकती है।

  • ग्रीनहाउस गैस स्तर 2024 में 420 पीपीएम से ऊपर, तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए हर साल 15 अरब टन कार्बन हटाना जरूरी।

  • चूना पत्थर मिट्टी का पीएच संतुलित कर उपज बढ़ाता है और बाइकार्बोनेट के रूप में कार्बन को सहस्राब्दियों तक महासागरों में संग्रहित कर सकता है।

  • प्रति एकड़ कई टन चूना डालने से सदी के अंत तक अरबों टनसीओ2 हटाई जा सकती है।

  • यह तरीका सिलिकेट चट्टान और कार्बनिक संशोधनों के साथ मिलकर खेती को कार्बन उत्सर्जक से कार्बन संचितक में बदल सकता है।

  • महासागरों का पीच बढ़ाकर अम्लीकरण कम करने में भी मददगार।

  • शोधकर्ताओं के अनुसार, चूना डालने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि इससे किसानों और जलवायु दोनों को लाभ मिलता है।