पेद्दापल्ली गांव के तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक और सांसद निधि से धन मिला, कोलार जिले के ग्रामीण विकास विभाग ने तकनीकी सहायता मुहैया कराई और मनरेगा के तहत इस काम को अंजाम दिया गया फोटो सौजन्य: पी विष्णु
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आवरण कथा: कर्नाटक के इस गांव में रंग लाईं एकजुट होकर की गईं कोशिशें

सरकार और निजी संस्थाओं की मदद से मिले पैसे से हुआ तालाब का पुनरुद्धार

Sushmita Sengupta, Swati Bhatia, Pradeep Kumar Mishra, Vivek Kumar Sah, Mehak Puri

कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित पेद्दापल्ली गांव में सिंचाई के लिए किसान वहां मौजूद कुएं पर ही पूरी तरह से निर्भर थे। पेद्दापल्ली में 2 दशक पहले पानी का स्तर कम होने लगा। 2010 तक वह कुआं भी लगभग सूख गया। और इसकी वजह थी गांव के तालाब में हुआ अतिक्रमण, जिससे वह कुआं भी हर बारिश के बाद रिचार्ज हो जाता था।

अतिक्रमण की वजह से तालाब की भंडारण क्षमता 3.64 हेक्टेयर से घटकर 1.23 हेक्टेयर रह गई। इतना ही नहीं, उस तालाब में इतना कचरा फेंका गया कि वह डंपिंग साइट में तब्दील हो गया। तालाब में पानी कम हुआ तो भूजल पर निर्भरता बढ़ गई। ऐसे में पानी की किल्लत और भी ज्यादा बढ़ गई।

2015-16 तक हालात बदतर होते चले गए। पानी की किल्लत के कारण गांव के 75 फीसदी लोगों कोलार और बेंगलुरु जैसे नजदीकी शहरों में पलायन करना पड़ा। आखिर में ब्लॉक के अधिकारियों को यह बात समझ आई कि बिना उनके दखल के हालात नहीं सुधरेंगे, तब 2023 में उन्होंने गांव के तालाब को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई।

उसी साल मार्च में काम शुरू हुआ और अगस्त में पूरा भी हो गया। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कुल 92 लाख रुपए की मदद मिली। जिसमें से 60 लाख रुपए भारतीय स्टेट बैंक ने अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कोष यानी सीएसआर फंड से दिए। 2 लाख रुपए एमपीलैड (सांसद निधि) यानी सांसद स्‍थानीय क्षेत्र विकास योजना से मिले, जबकि बाकी धन मनरेगा के तहत खर्च किया गया।

कोलार जिले के ग्रामीण विकास विभाग से तकनीकी मदद मिली, तो मनरेगा के तहत मजदूरों की व्यवस्था की गई। इस तरह, गांव के 100 लोगों को तालाब के पुनरुद्धार के काम में लगाया गया। ग्राम पंचायत ने 500 मीटर लंबे बांध की मरम्मत के साथ यह प्रोजेक्ट शुरू किया। गाद निकालकर तालाब की सफाई की गई।

तालाब में पानी आने-जाने के स्रोतों को सुधारा गया। तालाब का नियमित तौर पर रखरखाव होता रहे, इसके लिए ग्राम पंचायत ने 10 सदस्यों की एक समिति का गठन किया। पेद्दापल्ली समग्र केरे अभिरुद्धि संघ नाम की इस समिति में 6 पुरुष और 4 महिलाओं को शामिल कर उन्हें तालाब की नियमित निगरानी का काम सौंपा गया।

प्रमुख प्रभाव
तालाब के पुनरुद्धार के बाद पहले माॅनसून सीजन में ही गांव का भूजल स्तर 4 मीटर बढ़ गया

तालाब के पुनरुद्धार के नतीजे उत्साहजनक रहे। 2023 के मॉनसून में पेद्दापल्ली गांव का तालाब पानी से लबालब भर गया। इससे आसपास के कुओं और ट्यूबवेलों में भी सुधार हुआ। सिर्फ एक मॉनसून में ही गांव में भूजल स्तर 4 मीटर तक बढ़ गया। इतना ही नहीं, बोरवेल खुदाई में सफलता की दर भी बढ़कर दोगुनी तक हो गई। पहले 300 मीटर की गहराई पर पानी मिलने की उम्मीद सिर्फ 40 से 50 प्रतिशत तक होती थी, जो बढ़कर 80 फीसदी तक पहुंच गई है।

पेद्दापल्ली गांव के गणेश कहते हैं, “तालाब के पुनरुद्धार से पहले खेती करना बहुत मुश्किल हो गया था, हम साल भर में एक फसल भी नहीं ले पाते थे। भूजल स्तर बहुत ज्यादा गिर गया था। मेरे घर में लगा बोरवेल भी सूख चुका था।

रोज की जरूरतें पूरी करने के लिए हमें पानी का टैंकर खरीदना पड़ता था, जिसमें हर महीने 8,000 से 10,000 रुपए तक खर्च हो जाते थे।” वह कहते हैं, “अब मेरा बोरवेल रिचार्ज हो गया है, इसलिए टैंकर का पानी खरीदने की जरूरत भी नहीं पड़ती। अब हम आसानी से साल में दो-दो फसलें उगा सकते हैं। जिससे गांव में फसलों की पैदावार भी बढ़ गई है।”

यहां तक कि अब ग्राम पंचायत की कमाई भी सालाना ढाई लाख रुपए बढ़ गई है। यह अतिरिक्त कमाई गांव की सामुदायिक भूमि पर हो रही फलों की पैदावार से हो रही है। और, ऐसा सिर्फ सिंचाई की क्षमता में सुधार की वजह से संभव हो पाया है।