हैदराबाद के बाहरी इलाके में नेकनामपुर झील में एक तैरता हुआ द्वीप है, जिसमें झील मे आने वाले पानी को साफ करने के लिए कैना इंडिका पौधे लगे हुए हैं फोटो: प्रदीप कुमार मिश्रा, विवेक कुमार साह / सीएसई
जल

आवरण कथा: फिर से अस्तित्व में आई हैदराबाद की 450 साल पुरानी झील

कम लागत वाली तकनीक और पौधरोपण से शहरी झील को जल प्रदूषण और अतिक्रमण से छुटकारा मिला

Sushmita Sengupta, Swati Bhatia, Pradeep Kumar Mishra, Vivek Kumar Sah, Mehak Puri

एक समय पर नेकनामपुर झील तेजी से और अनियोजित शहरीकरण के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान का एक ज्वलंत उदाहरण थी। हैदराबाद के बाहरी इलाके मणिकोंडा नगर पालिका में स्थित 1 हेक्टेयर में फैली यह 450 साल पुरानी झील पूरी तरह खत्म हो चुकी थी।

यह मलबे और कचरे का डंपयार्ड और सीवेज का आउटलेट बन गई थी और जलकुंभी से भरी थी। जमीन कब्जाने वालों ने भी इसे अपना शिकार बना लिया था। सबसे खराब स्थिति में यह झील सिकुड़ कर अपने मूल आकार का केवल 20 प्रतिशत रह गई और इसकी जल-धारण क्षमता 70 प्रतिशत तक घट गई। इसके पानी की गुणवत्ता भी चिंता का विषय बन गई थी।

आज, नेकनामपुर झील झीलों के सफल जीर्णोद्धार का बेहतरीन उदाहरण बन चुकी है। यह परिवर्तन तब शुरू हुआ जब 2016 में हैदराबाद स्थित गैर-लाभकारी संस्था ध्रुवांश ने इस झील के पारिस्थितिक महत्व को बहाल करने के लिए इसे गोद लिया। हैदराबाद नगर विकास प्राधिकरण और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम ने भी इस परियोजना को सहायता दी।

पहला कदम गाद निकालने और मलबा हटाकर झील को साफ करना था। इसके बाद, इस गैर-लाभकारी संस्था ने झील में आने वाले पानी को साफ करने में मदद करने के लिए प्रत्येक 3 मीटर x 3 मीटर के 27 राफ्टों को एक साथ बांधकर एक तैरता हुआ द्वीप बनाया। इस खराब पानी से पोषक तत्वों को सोखने के लिए इन राफ्टों पर कैना इंडिका पौधे उगाए गए थे।

प्रमुख प्रभाव
पहले सड़े-दूषित पानी का स्रोत बन चुकी यह झील अब पक्षियों, सरीसृपों, उभयचरों और पौधों सहित 300 से अधिक प्रजातियों का घर है

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, 2018 और 2022 के बीच नेकनामपुर झील की जैविक ऑक्सीजन की मांग 26 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर 8.2 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई। केवल 4 वर्षों में यह कमी सराहनीय है और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) प्रयोगशाला के विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह जल्द ही सीपीसीबी के 5 मिलीग्राम प्रति लीटर के मानक को पूरा कर लेगी, जिससे यह स्नान के लिए उपयुक्त हो जाएगी। इस झील में कभी घुलनशील ऑक्सीजन (डीओ) लगभग शून्य था, लेकिन अब यहां डीओ का स्तर 1.2 मिलीग्राम प्रति लीटर दिखता है। परिणामस्वरूप, पूर्व में सड़े पानी का भंडार रही ये झील अब पक्षियों, सरीसृपों, उभयचरों और पौधों सहित 300 से अधिक प्रजातियों का घर है। इस झील को बेहतर करने और एक हरी-भरी माइक्रोईकोलॉजी बनाने के लिए इसके चारों ओर 1,00,000 से अधिक पौधे लगाए गए।

नेकनामपुर झील अब शहरी झील पुनरुद्धार के लिए एक मॉडल बन गई है। इसे हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट एजेंसी, पेगासिस्टम्स, कोफोर्ज इंडिया और क्राउडफंडिंग से वित्तीय सहायता मिली। इस जीर्णोद्धार पर लगभग 56 लाख रुपए खर्च हुए हैं।

नीति आयोग ने इस झील और इसके जीर्णोद्धार के प्रयासों को मान्यता दी है और इसे वाटरशेड विकास श्रेणी के तहत अपने “कंपेडियम ऑफ बेस्ट प्रैक्टिसेस- 3.0” में एक मॉडल के रूप में सूचीबद्ध किया है। ध्रुवांश के अध्यक्ष नीरज चौधरी कहते हैं, “इस झील में अब 2,000 से अधिक कछुए, 150 से अधिक प्रजाति के पक्षी और 25,000 से अधिक मछलियां हैं।” वह बताते हैं कि उन्होंने स्कूली बच्चों और कॉलेज के युवाओं की मदद से आस-पास के निवासियों को इन कार्यों में सहयोग देने के लिए एकजुट किया। ध्रुवांश अब हैदराबाद की अन्य झीलों के लिए इस जीर्णोद्धार के कार्य को दोहरा रहा है।