कर्नाटक में कचरा संकट गहराता जा रहा है, जहां हर दिन 13,269 टन कचरा उत्पन्न होता है, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता केवल 10,702 टन है।
इस कारण 2,567 टन कचरा बिना उपचार के रह जाता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रेटर बेंगलुरु क्षेत्र में नौ बड़े डंपसाइट की पहचान हुई है, जिनमें कुल 97.82 लाख मीट्रिक टन पुराना कचरा जमा है, जिसे वैज्ञानिक तरीके से निपटाने की जरूरत है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कर्नाटक में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन के लिए कुल 926 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई हैं।
इनमें से 21 परियोजना रिपोर्ट ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी के लिए हैं, जबकि बाकी 905 डीपीआर शहरी निकायों से जुड़ी हैं
कर्नाटक में हर दिन 13,269 टन कचरा पैदा हो रहा है, जबकि प्रोसेसिंग क्षमता महज 10,702 टन प्रतिदिन है। यानी 2,567 टन प्रतिदिन का बड़ा अंतर अभी भी मौजूद है। इस प्रोसेसिंग में गीले कचरे में 971 टन और सूखे कचरे में 1,596 टन प्रतिदिन की कमी शामिल है। यह अंतर सभी शहरी निकायों, खासकर ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (जीबीए) के लिए चुनौती बना हुआ है।
यह जानकारी कर्नाटक के मुख्य सचिव ने 15 नवंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष प्रस्तुत एक विस्तृत रिपोर्ट में दी है। इस रिपोर्ट में कर्नाटक में ठोस कचरा प्रबंधन की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
पुराना कचरा + धीमी प्रगति = बड़ी चुनौती
लम्बे समय से जमा पुराने कचरे के मामले में रिपोर्ट में जानकारी दी है कि कर्नाटक के 223 शहरी निकायों में 231 डंपसाइट मौजूद हैं, जहां करीब 176.08 लाख मीट्रिक टन पुराना कचरा जमा है। अब तक इसमें से 78.24 लाख मीट्रिक टन कचरे का उपचार किया जा चुका है।
ग्रेटर बेंगलुरु क्षेत्र में नौ बड़े डंपसाइट की पहचान हुई है, जिनमें कुल 97.82 लाख मीट्रिक टन पुराना कचरा जमा है।
इनमें से बेल्लाहल्ली और मित्तगनहल्ली में 42.44 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे को वैज्ञानिक तरीके से ढंका जा चुका है, जबकि बेंगलुरु में 4.43 लाख मीट्रिक टन कचरे का उपचार पूरा किया गया है। बाकी साइटों का काम चल रहा है और सरकार ने दावा किया है कि सभी साइटें अगस्त 2027 तक पूरी तरह तैयार हो जाएंगी।
कचरा प्रबंधन के लिए तैयार की गई हैं 926 परियोजना रिपोर्ट
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कर्नाटक में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन के लिए कुल 926 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई हैं। इनमें से 21 परियोजना रिपोर्ट ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी के लिए हैं, जबकि बाकी 905 डीपीआर शहरी निकायों से जुड़ी हैं। इन 905 परियोजना रिपोर्टों में से 637 ठोस कचरा प्रबंधन और 268 तरल कचरा प्रबंधन से जुड़ी हैं।
रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि कर्नाटक ने सभी 637 परियोजना रिपोर्टों को अंतिम रूप दे दिया है, जो 310 शहरी निकायों में सूखे, गीले, पुराने और निर्माण एवं विध्वंस संबंधी कचरे के प्रबंधन से जुड़े हैं।
सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) से संबंधित 268 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में से फिलहाल 109 तैयार हो रहे हैं। सरकार ने एनजीटी को जानकारी दी है कि ये डीपीआर दिसंबर 2026 तक तैयार हो जाएंगे और इनके आधार पर होने वाला निर्माण कार्य दिसंबर 2027 तक पूरा कर लिया जाएगा।
कुल मिलाकर, रिपोर्ट यह दर्शाती है कि कर्नाटक में कचरा प्रबंधन की दिशा में काम हो रहा है, लेकिन कचरे की भारी मात्रा के मुकाबले यह रफ्तार अभी भी धीमी है और आने वाले वर्षों में कई बड़े प्रोजेक्ट ही पूरे हो पाएंगे।