हिसार जिले की क्यामसर झील में सीवेज और गंदे पानी से फैलते प्रदूषण पर एनजीटी ने सख्ती दिखाते हुए कई विभागों से जवाब मांगा है।
आरोप है कि क्यामसर झील हांसी के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और नगर परिषद द्वारा गंदा पानी और सीवेज छोड़े जाने से दूषित हो रही है।
अदालत ने सीपीसीबी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की संयुक्त समिति गठित कर झील की स्थिति की जांच व सुधार के निर्देश दिए हैं। अब प्रशासनिक कार्रवाई पर सबकी नजर है।
28 नवंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हांसी स्थित क्यामसर झील प्रदूषण मामले में अधिकारियों से जवाब तलब किया है। यह झील हरियाणा के हिसार जिले में है।
इस मामले में ट्रिब्यूनल ने हरियाणा के पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग, हिसार के जिला मजिस्ट्रेट, हांसी नगर परिषद, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग, हांसी और हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण को अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
संयुक्त समिति का गठन
अदालत ने झील की वास्तविक स्थिति की जांच और सुधार से जुड़ी कार्रवाई के लिए एक संयुक्त समिति के गठन के भी निर्देश दिए हैं। इस समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हिसार के जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समिति को तथ्यात्मक और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट जमा करनी होगी।
कचरे और गंदे पानी से प्रदूषित झील: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता जगदीश चंद्र सैनी का आरोप है कि क्यामसर झील हांसी के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और नगर परिषद द्वारा गंदा पानी और सीवेज छोड़े जाने से प्रदूषित हो रही है।
उनके मुताबिक, हांसी का सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और नगर परिषद शहर की नालियों और सीवर से निकलने वाले गंदे, ठहरे हुए पानी और कचरे को बिना किसी उपचार के सीधे झील में छोड़ रहे हैं। यहां तक कि नगर परिषद ने शहर के नालों का गंदा पानी सीधे झील में पहुंचाने के लिए एक कंक्रीट की नाली तक बना दी है।
अब गेंद प्रशासन के पाले में है, देखना होगा कि जांच समिति की रिपोर्ट के बाद हालात सुधारने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।
आंध्र प्रदेश: चूना पत्थर के अति खनन से घट रहा भूजल, एनजीटी ने अल्ट्राटेक से मांगा जवाब
28 नवंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अल्ट्राटेक सीमेंट को नोटिस जारी करते हुए चूना पत्थर की अत्यधिक खुदाई और प्रदूषण की शिकायत पर जवाब देने को कहा है।
मामला आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कडप्पा जिले का है, जहां चूना पत्थर के भारी मात्रा में हो रहे खनन की शिकायत सामने आई है। याचिकाकर्ता वाई सुब्बा रेड्डी का कहना है कि इस खनन से इलाके का भूजल स्तर बेहद तेजी से नीचे चला गया है।
एनजीटी ने इस मामले में आंध्र प्रदेश के पर्यावरण, वन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, वाईएसआर कडप्पा जिले के कलेक्टर और आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी एक महीने के भीतर अपना जवाब देने को कहा है। यह जवाब एनजीटी की दक्षिणी पीठ में दाखिल करने होंगें।