हर बच्चा जन्म से ही सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पाने का हकदार है।  प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

हर साल 10 लाख नवजातों की जान बचाने के लिए सुरक्षित देखभाल जरूरी

विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2025 के उद्देश्य: जागरूकता, भागीदारी और अनुसंधान से सुरक्षित देखभाल सुनिश्चित करना

Dayanidhi

  • थीम 2025: “हर नवजात और हर बच्चे के लिए सुरक्षित देखभाल”, स्लोगन “शुरुआत से ही रोगी सुरक्षा”

  • 50 फीसदी मरीजों में हानि रोकी जा सकती है, सही प्रबंधन और सुरक्षा उपायों से बच्चों की जान बचाई जा सकती है।

  • हर साल 10 लाख नवजात बच सकते हैं – गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने से यह संभव है।

  • परिवार की भागीदारी से 15 फीसदी तक हानि में कमी, माता-पिता और देखभालकर्ताओं की जागरूकता जरूरी।

  • कमजोर स्वास्थ्य ढांचा सबसे बड़ा खतरा, साफ पानी, जीवाणुरहित (स्टरल) उपकरण और प्रशिक्षित स्टाफ की कमी बच्चों की सुरक्षा के लिए जोखिम।

हर साल 17 सितम्बर को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस (वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे) मनाया जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाने का अवसर देता है कि स्वास्थ्य सेवाओं में रोगियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। अस्पताल और क्लीनिक ऐसे स्थान हैं जहां छोटी सी चूक भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। कभी दवा देने में गलती, कभी संक्रमण का खतरा, तो कभी डॉक्टर और मरीज के बीच संवाद की कमी, ये सभी कारण गंभीर परिणाम ला सकते हैं।

इसीलिए रोगी सुरक्षा को लेकर वैश्विक स्तर पर जागरूकता और कार्रवाई की जरूरत है। चिकित्सा विज्ञान का मूल सिद्धांत भी यही कहता है, “सबसे पहले, नुकसान न हो।”

बच्चों और नवजात शिशुओं की विशेष संवेदनशीलता

हर बच्चा जन्म से ही सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पाने का हकदार है। लेकिन सच्चाई यह है कि नवजात और बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। उनका शरीर तेजी से विकसित हो रहा होता है, उनकी बीमारियां वयस्कों से अलग होती हैं और उन्हें देखभाल की विशेष जरूरत होती है।

अध्ययनों से पता चला है कि नवजात और बच्चों में रोगी सुरक्षा से जुड़ी समस्याएं हर स्तर की स्वास्थ्य सेवा में सामने आती हैं। विशेष रूप से नवजात गहन चिकित्सा इकाइयों में यह जोखिम और भी अधिक होता है। इसीलिए इस साल 2025 का थीम “हर नवजात और हर बच्चे के लिए सुरक्षित देखभाल”, रखी गई है और स्लोगन “शुरुआत से ही रोगी सुरक्षा” है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस दिन को मनाकर चार बड़े उद्देश्यों को पूरा करना चाहती हैं:

  • नवजात और बच्चों की देखभाल में मौजूद सुरक्षा जोखिमों पर वैश्विक जागरूकता बढ़ाना।

  • सरकारों, अस्पतालों और समाज को स्थायी रणनीतियां अपनाने के लिए प्रेरित करना।

  • माता-पिता, परिवार और बच्चों को जागरूक बनाना ताकि वे देखभाल में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।

  • इस क्षेत्र में अनुसंधान और नई नीतियों को प्रोत्साहित करना।

क्या हो सकते हैं असुरक्षित देखभाल के खतरे?

अगर रोगी सुरक्षा पर ध्यान न दिया जाए तो इसके गहरे और लंबे समय तक असर देखने को मिलते हैं। बच्चों को तुरंत नुकसान या बीमारी बढ़ सकती है। कई मामलों में जीवनभर की विकलांगता भी हो सकती है। अस्पताल में लंबे समय तक भर्ती रहना पड़ता है जिससे परिवार पर आर्थिक और मानसिक बोझ बढ़ता है। स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

विशेषकर गरीब और संसाधन की कमी वाले क्षेत्रों में स्थिति और भी कठिन हो जाती है। जहां साफ पानी, स्टरलाइज्ड उपकरण और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध नहीं हैं, वहां छोटे-छोटे सुरक्षा चूक भी जानलेवा साबित हो सकती हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 50 फीसदी रोगी के नुकसान को पूरी तरह रोका जा सकता है। गुणवत्तापूर्ण देखभाल से हर साल 10 लाख नवजातों की जान बचाई जा सकती है। अगर परिवार और मरीज को देखभाल में शामिल किया जाए तो हानि में 15 फीसदी तक की कमी हो सकती है।

सुरक्षित देखभाल से इलाज की लागत घटती है और अस्पताल में रहने का समय भी कम होता है। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि रोगी सुरक्षा में निवेश करना सिर्फ एक नैतिक कर्तव्य नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता भी है।

वैश्विक प्रयास और एसडीजी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल पेशेंट सेफ्टी एक्शन प्लान 2021 से 2030 में बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिक क्षेत्र माना है। इसका सीधा संबंध संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी -3: अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण) से है।

यदि शुरुआती जीवन में बच्चों को सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं, तो न केवल मृत्यु दर घटती है बल्कि पूरी स्वास्थ्य प्रणाली भी मजबूत होती है। यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ समाज की नींव रखता है।

विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2025 हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने बच्चों और नवजातों को वास्तव में सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं दे पा रहे हैं। हर परिवार, हर अस्पताल और हर सरकार की यह जिम्मेदारी है कि बच्चे की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, संक्रमण रोकथाम, सही दवा प्रबंधन,और परिवार की भागीदारी जैसे छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं।

आखिरकार रोगी सुरक्षा केवल स्वास्थ्य नीति का विषय नहीं है, यह मानवता का दायित्व है। बच्चों की सुरक्षा में निवेश करना जीवन बचाने के साथ-साथ मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली बनाने और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।