यह तकनीक दवा को केवल तभी और वहीं छोड़ती है, जब जहां उसकी जरूरत होती है, जैसे गठिया के दौरान सूजन वाले जोड़ों में। 
स्वास्थ्य

वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा जेल जो गठिया के दर्द को करेगा जड़ से खत्म

सूजन और पीएच बदलाव को पहचानने वाली नई स्मार्ट सामग्री से गठिया और अन्य बीमारियों का सटीक और सुरक्षित इलाज संभव।

Dayanidhi

  • यह सामग्री शरीर के सूजन वाले हिस्सों में होने वाले छोटे पीएच (अम्लीयता) में बदलाव को पहचानती है और उसी के अनुसार दवा छोड़ती है।

  • यह तकनीक दवा को केवल तभी और वहीं छोड़ती है, जब और जहां उसकी जरूरत होती है, जैसे गठिया के दौरान सूजन वाले जोड़ों में।

  • यह प्रणाली शरीर की अपनी रासायनिक भाषा (पीएच) से सक्रिय होती है। इसमें किसी तरह की रोशनी, गर्मी या मशीन की जरूरत नहीं होती।

  • दवा केवल जरूरी जगह और समय पर ही छोड़ी जाती है, इससे शरीर पर अनावश्यक दवाओं का प्रभाव कम होता है।

  • इस स्मार्ट सामग्री को कैंसर और अन्य सूजन संबंधी बीमारियों के इलाज में भी प्रयोग किया जा सकता है और यह लंबे समय तक असर देने वाली दवाएं भी ले जा सकती है।

गठिया (आर्थराइटिस) एक आम लेकिन गंभीर बीमारी है, जिससे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में करोड़ों लोग पीड़ित हैं। यह बीमारी जोड़ों में सूजन और दर्द का कारण बनती है और समय के साथ चलने-फिरने की क्षमता पर बुरा असर डाल सकती है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी सामग्री विकसित की है, जो शरीर के भीतर होने वाले छोटे-छोटे रासायनिक बदलावों को "महसूस" कर सकती है और उसी के अनुसार दवा छोड़ती है।

यह स्मार्ट सामग्री यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई है और इसका उपयोग विशेष रूप से गठिया जैसी सूजन वाली बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है। शोध जर्नल ऑफ दि अमेरिकन केमिकल सोसाइटी में प्रकाशित किया गया है।

कैसे काम करती है यह नई तकनीक?

जब शरीर में किसी जोड़ में सूजन होती है, जैसे कि गठिया (आर्थराइटिस) के समय, तो उस जगह का पीएच का स्तर यानी अम्लीयता थोड़ी बढ़ जाती है। सामान्य ऊतक की तुलना में सूजन वाली जगह थोड़ी अधिक अम्लीय हो जाती है। कैंब्रिज के वैज्ञानिकों ने इस विशेषता का उपयोग करते हुए एक नरम और स्पंजी सामग्री बनाई है जो इसी अम्लीयता के स्तर को पहचानकर दवा छोड़ती है।

इस सामग्री को शरीर के अंदर, खासकर जोड़ों में लगाया जा सकता है। जैसे ही जोड़ में सूजन होती है और पीएच का स्तर घटता है (यानि अम्लीयता बढ़ती है), यह सामग्री और भी नरम हो जाती है और अपने अंदर संग्रहित सूजन-रोधी दवाएं छोड़ देती है।

क्या है इस सामग्री की खास बात?

यह सामग्री बहुत छोटे पीएच के बदलावों को पहचान सकती है। यह बिलकुल उसी जगह और समय पर दवा छोड़ती है, जहां और जब उसकी जरूरत हो।इससे दवा की मात्रा कम लगती है और साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं। यह सामग्री बाहरी संकेत जैसे कि गर्मी, रोशनी या इलेक्ट्रिक करंट की जरूरत नहीं रखती। यह केवल शरीर की आंतरिक रासायनिक प्रतिक्रिया से सक्रिय होती है।

गठिया इलाज में संभावित लाभ

यदि इस सामग्री को कृत्रिम कार्टिलेज की तरह जोड़ों में लगाया जाए, तो यह गठिया के इलाज के लिए लगातार काम करती रहेगी। इससे रोगियों को बार-बार दवा लेने की जरूरत नहीं होगी। दवाएं लंबे समय तक (हफ्तों या महीनों तक) असर कर सकती हैं। दर्द और सूजन से राहत तेजी से और सही जगह पर मिल सकेगी।

शोध के शुरुआती परिणाम क्या हैं?

शुरुआती प्रयोगशाला परीक्षणों में इस सामग्री को एक फ्लोरेसेंट डाई के साथ इस्तेमाल किया गया, ताकि यह देखा जा सके कि दवा कैसे और कब छोड़ी जाती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जब इस सामग्री को सूजन वाले (अम्लीय) वातावरण में रखा गया, तो इसने ज्यादा मात्रा में दवा छोड़ी, जबकि सामान्य पीएच का स्तर पर दवा की मात्रा बहुत कम थी।

क्या केवल गठिया में ही उपयोग होगा?

नहीं, यह तकनीक सिर्फ गठिया के लिए सीमित नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सामग्री की रासायनिक संरचना को बदला जा सकता है, जिससे इसे अन्य बीमारियों जैसे कि कैंसर या पुरानी सूजन संबंधी रोगों में भी उपयोग किया जा सकता है।

यह सामग्री तेजी से काम करने वाली और धीरे-धीरे काम करने वाली दवाओं को एक साथ ले जाने में सक्षम हो सकती है। इस तरह एक ही उपचार कई दिनों, हफ्तों या महीनों तक असर कर सकता है।

अभी आगे क्या होगा?

फिलहाल यह शोध प्रयोगशाला स्तर पर सफल रहा है। अगला कदम है इसे जीवित प्राणियों पर परीक्षण करना। इसके लिए वैज्ञानिक यह जांच करेंगे कि यह शरीर में सुरक्षित है या नहीं। यह जोड़ों में लचीलेपन के साथ काम कर पाती है या नहीं। दवा छोड़ने की क्षमता कितनी स्थिर है।

यदि यह सभी परीक्षण सफल रहते हैं, तो यह तकनीक आने वाले सालों में चिरकालिक रोगों (क्रोनिक डिसीसेस) के लिए एक नया और सटीक इलाज बन सकती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज द्वारा विकसित यह नई स्मार्ट सामग्री भविष्य की चिकित्सा का एक उदाहरण है, जहां इलाज केवल रोग पर नहीं, बल्कि उसके समय और स्थान पर भी आधारित होगा। इससे न केवल मरीजों की तकलीफें कम होंगी, बल्कि इलाज की लागत और दुष्प्रभावों में भी भारी कमी लाई जा सकेगी।