लंबे समय तक तनाव और डिप्रेशन में रीलिन का स्तर घट जाता है, जिससे गट और दिमाग दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

रीलिन प्रोटीन: आंत और डिप्रेशन के इलाज की नई उम्मीद

रीलिन प्रोटीन आंत और दिमाग के बीच संबंध को मजबूत कर डिप्रेशन और छिद्रयुक्त आंत के इलाज की नई दिशा दिखाता है

Dayanidhi

  • रीलिन प्रोटीन तनाव के कारण कमजोर हुई आंत की परत को मजबूत कर छिद्रयुक्त आंत या लीकी गट की समस्या कम करने में मदद करता है

  • लंबे समय तक तनाव और डिप्रेशन में रीलिन का स्तर घट जाता है, जिससे गट और दिमाग दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है

  • अध्ययन में पाया गया कि रीलिन का एक इंजेक्शन गट में इसके स्तर को सामान्य स्थिति में वापस ला सकता है

  • रीलिन आंत की अंदरूनी परत के नवीकरण में मदद करता है, जो हर चार से पांच दिन में स्वाभाविक रूप से बनती है

  • आंत की सेहत सुधारकर रीलिन सूजन कम करता है और डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ने से रोकने में सहायक हो सकता है

हाल के वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि रीलिन नामक एक प्रोटीन भविष्य में 'छिद्रयुक्त आंत' (लीकी गट) और गंभीर डिप्रेशन दोनों के इलाज में मदद कर सकता है। यह शोध कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ विक्टोरिया के वैज्ञानिकों ने किया है और इसे क्रोनिक स्ट्रेस नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है

आंत (गट) क्या है और यह क्यों जरूरी है?

हमारा जठरांत्र प्रणाली (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम) जिसे आम भाषा में आंत कहा जाता है, पेट, आंतों और कोलन से मिलकर बना होता है। इसका काम यह तय करना है कि कौन-से पोषक तत्व शरीर में जाएं और कौन-सी हानिकारक चीजें बाहर ही रहें।

सामान्य स्थिति में गट की दीवार एक मजबूत सुरक्षा परत की तरह काम करती है। लेकिन जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक तनाव (क्रोनिक स्ट्रेस) में रहता है या भारी अवसादग्रस्तता विकार जैसी समस्या से जूझता है, तो यह सुरक्षा परत कमजोर हो सकती है।

'छिद्रयुक्त आंत' या लीकी गट क्या होता है?

जब आंत की दीवार कमजोर हो जाती है, तो उसे “छिद्रयुक्त आंत” कहा जाता है। इस स्थिति में बैक्टीरिया और जहरीले पदार्थ खून में प्रवेश कर सकते हैं। शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र सक्रिय हो जाती है, सूजन (इन्फ्लेमेशन) बढ़ती है।

यह सूजन दिमाग पर असर डाल सकती है और डिप्रेशन के लक्षणों को और गंभीर बना सकती है। इस कारण वैज्ञानिक ऐसे इलाज खोज रहे हैं जो गट की दीवार को फिर से मजबूत बना सकें।

रीलिन प्रोटीन क्या है?

रीलिन एक विशेष प्रकार का ग्लाइकोप्रोटीन है जो हमारे शरीर के कई हिस्सों में पाया जाता है, जैसे: दिमाग, खून, लिवर, आंतें आदि।

पहले के अध्ययनों से पता चला है कि डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के दिमाग में रीलिन की मात्रा कम होती है। इसी तरह, लंबे समय तक तनाव में रहने वाले जानवरों में भी रीलिन का स्तर घट जाता है।

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह जानने की कोशिश की कि रीलिन आंत में क्या भूमिका निभाता है, खासकर तनाव की स्थिति में।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • लंबे समय तक तनाव से आंतों में रीलिन की मात्रा कम हो जाती है

  • रीलिन का सिर्फ एक इंजेक्शन (3 माइक्रोग्राम) देने से इसका स्तर सामान्य हो गया

  • रीलिन आंत की अंदरूनी परत को नया बनने में मदद करता है

आंत और दिमाग का क्या संबंध है?

वैज्ञानिक आजकल “गट-ब्रेन एक्सिस” पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। इसका मतलब है कि आंत और दिमाग आपस में जुड़े हुए हैं।आंत की खराबी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। मानसिक तनाव आंत को नुकसान पहुंचा सकता है।

अध्ययन के अनुसार, आंत की अंदरूनी परत हर चार से पांच दिन में नई बनती है। यह बहुत जरूरी है क्योंकि गट लगातार हानिकारक चीजों के संपर्क में रहता है। रीलिन इस प्रक्रिया में मदद करता है।

डिप्रेशन के इलाज में रीलिन की भूमिका

रीलिन आंत की दीवार को मजबूत बनाता है, लीकी गट को रोकता है, सूजन को कम करता है। यह डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है। खासकर उन लोगों के लिए यह ज्यादा उपयोगी हो सकता है जिन्हें डिप्रेशन के साथ पेट या आंतों की समस्या भी होती है।

भविष्य की उम्मीद

हालांकि यह शोध अभी शुरुआती चरण में है और इंसानों पर इलाज के लिए और अध्ययन जरूरी हैं, फिर भी यह खोज बहुत अहम है। रीलिन को भविष्य में ऐसा इलाज माना जा रहा है जो दिमाग और आंत दोनों पर काम करे, सिर्फ लक्षण नहीं, बल्कि बीमारी की जड़ पर असर डाले।

रीलिन प्रोटीन पर किया गया यह शोध हमें यह समझने में मदद करता है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर आगे के अध्ययन सफल होते हैं, तो रीलिन डिप्रेशन और लीकी गट दोनों के इलाज में एक नई और प्रभावी उम्मीद बन सकता है।