भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की लगभग 14 से 26 फीसदी मौतें निमोनिया के कारण होती हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की 26 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेवार है निमोनिया

विश्व निमोनिया दिवस: रोकथाम, टीकाकरण, स्वच्छता और जागरूकता से हर बच्चे की सांस बचाई जा सकती है।

Dayanidhi

  • विश्व में बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण: निमोनिया पांच साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा जान लेने वाला संक्रामक रोग है।

  • भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की लगभग 14 से 26 फीसदी मौतें निमोनिया के कारण होती हैं।

  • रोकथाम संभव: टीकाकरण, स्वच्छता, पौष्टिक आहार और समय पर इलाज से निमोनिया को रोका और ठीक किया जा सकता है।

  • नींद और प्रतिरक्षा: पर्याप्त नींद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करती है, जिससे संक्रमण से बचाव होता है।

  • सामूहिक जिम्मेदारी: परिवार, समाज और स्वास्थ्य प्रणाली मिलकर जागरूकता फैलाकर और उपचार सुनिश्चित करके बच्चों और बुजुर्गों की रक्षा कर सकते हैं।

हर साल 12 नवंबर को दुनिया भर में विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भले ही हम तकनीक और चिकित्सा के युग में जी रहे हों, फिर भी निमोनिया आज भी दुनिया में सबसे ज्यादा जान लेने वाला संक्रामक रोग बना हुआ है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, यह रोग पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। इसके साथ ही यह बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए भी गंभीर खतरा बना हुआ है, खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में।

भारत में निमोनिया की स्थिति

भारत में निमोनिया का बोझ बहुत अधिक है। द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार, भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की कुल मृत्यु में से लगभग 14 से 26 प्रतिशत मौतें निमोनिया के कारण होती हैं

एक अन्य विश्लेषण बताता है कि देश में इस आयु वर्ग के लगभग 14.9 फीसदी बच्चों की मौत का कारण निमोनिया है। कुछ आंकड़ों में यह अनुपात 18 फीसदी तक पाया गया है। यह आंकड़े वास्तव में चिंताजनक हैं।

भारत में कम्युनिटी-एक्वायर्ड निमोनिया, यानी समुदाय से फैलने वाला निमोनिया दुनिया के कुल मामलों का लगभग 23 फीसदी है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। जब किसी व्यक्ति को निमोनिया होता है, तो उसके फेफड़ों के वायुकोष में सूजन आ जाती है और उनमें तरल पदार्थ या पस भर जाती है।

इसके कारण खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह बीमारी हल्की भी हो सकती है और गंभीर भी और अगर समय पर इलाज न मिले तो जानलेवा साबित हो सकती है।

निमोनिया कैसे फैलता है?

निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस (फफूंदी) से होने वाला फेफड़ों का संक्रमण है। यह बीमारी तब फैलती है जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, और उसके सूक्ष्म कण हवा में फैलकर किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति दूषित सतहों को छूने के बाद अपने चेहरे, नाक या मुंह को छू ले, तो संक्रमण फैलने के आसार बढ़ जाते हैं।

निमोनिया से बचाव के आसान उपाय

निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जिससे हम थोड़ी सावधानी और जागरूकता से खुद को और अपने परिवार को बचा सकते हैं। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं:

  • टीकाकरण: बच्चों और बुजुर्गों को निमोनिया और फ्लू के टीके जरूर लगवाएं जाने चाइए। ये टीके संक्रमण से बचाने में बहुत प्रभावी हैं।

  • सफाई और हाथ धोना: नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं, खासकर बाहर से आने के बाद या भोजन करने से पहले।

  • संपर्क से बचाव: बीमार व्यक्ति के बहुत पास जाने से बचें और खांसते-छींकते समय मुंह ढकें।

  • पोषण पर ध्यान दें: संतुलित आहार लें, ताकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे।

  • स्वच्छ हवा और धूम्रपान से दूरी: घर के अंदर धुआं और प्रदूषण से बचें। बच्चों और बुजुर्गों को धूम्रपान के धुएं से दूर रखें।

  • समय पर इलाज: अगर खांसी, बुखार या सांस फूलने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज से यह बीमारी पूरी तरह ठीक की जा सकती है।

नींद और रोग प्रतिरोधक क्षमता का संबंध

हम अक्सर सोचते हैं कि नींद केवल आराम के लिए है, लेकिन वास्तव में नींद शरीर की मरम्मत और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया है। गहरी नींद के दौरान शरीर साइटोकाइन नामक प्रोटीन बनाता है, जो संक्रमण और सूजन से लड़ने में मदद करते हैं।

अगर किसी व्यक्ति को पर्याप्त नींद नहीं मिलती, तो उसका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है और वह बीमारियों, खासकर निमोनिया जैसी संक्रमणों, के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।

शोध बताते हैं कि जो लोग सात घंटे से कम नींद लेते हैं, उनमें सर्दी, खांसी और संक्रमण होने की आशंका अधिक होती है। इसलिए कहा जा सकता है कि “अच्छी नींद, अच्छी सेहत की कुंजी” है।

एक साझा जिम्मेदारी

निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो रोकथाम योग्य और उपचार योग्य दोनों है। फिर भी हर साल हजारों बच्चे और वयस्क इसकी वजह से अपनी जान गंवाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है जागरूकता की कमी और समय पर इलाज न मिल पाना।

हमें यह समझना होगा कि स्वास्थ्य केवल दवाओं या अस्पतालों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि हमारी जीवनशैली, आदतों और सामुदायिक जिम्मेदारी पर भी निर्भर करता है।

अगर हम सभी मिलकर स्वच्छता का पालन करें, टीकाकरण करवाएं, पौष्टिक आहार लें, और पर्याप्त नींद लें, तो हम न केवल खुद को बल्कि अपने परिवार और समाज को भी निमोनिया से बचा सकते हैं।

विश्व निमोनिया दिवस हमें यह संदेश देता है कि स्वास्थ्य कोई विलासिता नहीं, बल्कि एक बुनियादी अधिकार है। इस दिन “छोटी और बड़ी” दोनों बातों पर ध्यान देना जरूरी है, एक तरफ बच्चों की हंसी, परिवार का पोषण और दूसरी ओर मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था जो हर जरूरतमंद तक पहुंचे।