विश्वव्यापी बढ़ती महामारी: मधुमेह प्रभावित लोगों की संख्या 1990 में 20 करोड़ से बढ़कर 2022 में 83 करोड़ हो गई है।
प्रकार और कारण: मुख्य प्रकार हैं – टाइप-वन, टाइप-टू और गर्भकालीन मधुमेह, जो इंसुलिन की कमी या उपयोग की समस्या से उत्पन्न होते हैं।
प्रभाव और रोकथाम: यह अंधापन, किडनी फेलियर, हृदयाघात जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली और इलाज से रोकथाम संभव है।
जीवन के हर चरण में देखभाल: बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को समेकित देखभाल, समर्थन और स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता होती है।
हर साल 14 नवंबर को दुनिया भर में विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों में मधुमेह या डायबिटीज के प्रति जागरूकता बढ़ाना, इसके रोकथाम और प्रबंधन के तरीकों के बारे में जानकारी देना और मधुमेह से प्रभावित लोगों का समर्थन करना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि मधुमेह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 1990 में दुनिया में मधुमेह से प्रभावित लोगों की संख्या 20 करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर 83 करोड़ हो गई। भारत को अक्सर विश्व का मधुमेह राजधानी कहा जाता है, क्योंकि यहां मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या बहुत अधिक है।
वैश्विक आंकड़ों पर नजर डालें तो 1980 में 10.8 करोड़ वयस्क मधुमेह से पीड़ित थे, जबकि 2014 में यह संख्या बढ़कर 42.2 करोड़ हो गई। इसके साथ ही, वयस्कों में मधुमेह की दर 4.7 फीसदी से बढ़कर 8.5 फीसदी हो गई है। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण है वजन बढ़ना, अस्वस्थ जीवनशैली और शारीरिक गतिविधियों की कमी। पिछले दस सालों में, मधुमेह की दर कम और मध्यम आय वाले देशों में तेजी से बढ़ी है, जबकि उच्च आय वाले देशों में यह अपेक्षाकृत कम रही।
मधुमेह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। यह अंधापन, किडनी फेलियर, हृदयाघात, स्ट्रोक और पैर के अंगों को काटे जाने जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। लेकिन यदि समय पर सावधानी और उचित इलाज किया जाए, तो मधुमेह को नियंत्रित और प्रबंधित किया जा सकता है। इसके लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तम्बाकू से परहेज अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, दवाओं का नियमित सेवन, जांच और जटिलताओं का इलाज भी जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2007 में प्रस्ताव 61/225 को अपनाते हुए 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस के रूप में मान्यता दी। इस प्रस्ताव में सदस्यों से अनुरोध किया गया कि वे मधुमेह की रोकथाम, उपचार और देखभाल के लिए राष्ट्रीय नीतियां बनाएं। यह प्रस्ताव स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और सभी लोगों तक इलाज और शिक्षा पहुंचाने की आवश्यकता को सामने लाती है।
मधुमेह किसी भी उम्र में असर डाल सकता है। यह बचपन, प्रजनन आयु, कार्यशील उम्र और वृद्धावस्था सभी जीवन अवस्थाओं में हो सकता है। इस साल का डब्ल्यूएचओ विश्व मधुमेह दिवस का थीम “जीवन के हर चरण में मधुमेह है। इस थीम का उद्देश्य यह बताना है कि हर व्यक्ति को समेकित देखभाल, सहयोगी वातावरण और ऐसी नीतियाँ मिलनी चाहिए जो स्वास्थ्य, सम्मान और आत्म-प्रबंधन को बढ़ावा दें।
मधुमेह एक लंबे समय का रोग है, जो तब होता है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता, या शरीर उस इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता। इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है (हाइपरग्लाइसीमिया)।
मुख्य प्रकार के मधुमेह
प्रकार एक मधुमेह (टाइप-वन): इसे पहले इंसुलिन-निर्भर या बचपन में होने वाला मधुमेह कहा जाता था। इसमें शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता।
प्रकार दो मधुमेह (टाइप-टू): इसे पहले बिना-इंसुलिन-निर्भर मधुमेह कहा जाता था। यह तब होता है जब शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता। इसके लिए मुख्य कारण अधिक वजन और शारीरिक गतिविधि की कमी हैं।
गर्भकालीन मधुमेह यह गर्भावस्था के दौरान पहली बार पहचान में आने वाला उच्च रक्त शर्करा स्तर होता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मधुमेह से प्रभावित बच्चों को घर और स्कूल में समय पर और विशेष देखभाल की जरूरत होती है। गर्भवती महिलाओं को उचित प्रबंधन की आवश्यकता होती है ताकि उनकी और उनके शिशु की सेहत बनी रहे। वहीं, वृद्ध लोग लगातार मार्गदर्शन पाएं ताकि गंभीर जटिलताओं से बचा जा सके।
आज, जब दुनिया में मधुमेह तेजी से बढ़ रहा है, यह आवश्यक है कि हम संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वास्थ्य शिक्षा को अपनाएं। विश्व मधुमेह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हर जीवन अवस्था में मधुमेह से सुरक्षा और देखभाल की आवश्यकता है। यदि हम जागरूक हों और समय पर कदम उठाएं, तो मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है और इसके गंभीर परिणामों को टाला जा सकता है।
विश्व मधुमेह दिवस केवल जागरूकता का दिन नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, देखभाल और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रतीक भी है। जीवन के हर चरण में मधुमेह के प्रति सचेत रहना और उसका सही प्रबंधन करना हमारे और हमारे समाज के लिए बहुत जरूरी है।