भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य की गुणवत्ता पर असर रोकने के लिए लॉन्ग कोविड की जांच और इलाज में मासिक धर्म समस्याओं को शामिल करना जरूरी। फोटो साभार: आईस्टॉक
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लॉन्ग कोविड: महिलाओं के मासिक धर्म पर असर, असामान्य रक्तस्राव बनी समस्या

अध्ययन के मुताबिक, लॉन्ग कोविड से पीड़ित महिलाओं में भारी रक्तस्राव और पीरियड्स की अवधि 8 दिन से अधिक पाई गई

Dayanidhi

  • लॉन्ग कोविड और पीरियड्स का संबंध: शोध में पाया गया कि लॉन्ग कोविड से जुड़ी महिलाओं में असामान्य मासिक धर्म, रक्तस्राव अधिक देखा गया।

  • भारी और लंबे पीरियड्स: पीरियड्स का फ्लो ज्यादा, अवधि 8 दिन से अधिक और बीच-बीच में खून आने की समस्या आम रही।

  • अंडाशय की कार्यप्रणाली सुरक्षित: एस्ट्राडियोल, प्रोजेस्टेरोन और अन्य प्रजनन हार्मोन में बदलाव नहीं, पर एंड्रोजन और सूजन में फर्क पाया गया।

  • सूजन और हार्मोनल असंतुलन: खून में टीएनएफ का स्तर बढ़ा और गर्भाशय की परत में इम्यून कोशिकाओं के समूह मिले, जो समस्या का कारण हो सकते हैं।

  • भारत को लेकर महत्व: महिलाओं के स्वास्थ्य की गुणवत्ता पर असर रोकने के लिए लॉन्ग कोविड की जांच और इलाज में मासिक धर्म समस्याओं को शामिल करना जरूरी।

कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को बुरी तरह से प्रभावित किया है। संक्रमण से लेकर वैक्सीन तक, इसके असर जीवन के हर पहलू पर देखे गए हैं। लेकिन अब शोध यह दिखा रहे हैं कि कोविड संक्रमण के लंबे समय बाद भी बने रहने वाले लक्षण (लॉन्ग कोविड) का असर महिलाओं के मासिक धर्म (पीरियड्स) पर भी पड़ सकता है।

हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के सेंटर फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ का एक अध्ययन जो नेचर कम्युनिकेशन्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया कि लॉन्ग कोविड से जुड़ी महिलाएं असामान्य मासिक धर्म रक्तस्राव का अनुभव कर रही हैं।

महामारी से पहले की स्थिति

महिलाओं में असामान्य मासिक धर्म पहले से ही एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या रही है। महामारी से पहले भी लगभग हर तीन में से एक महिला ने अत्यधिक मासिक रक्तस्राव की शिकायत की थी। रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के करीब पहुंचने वाली महिलाओं में यह संख्या और बढ़कर हर दो में से एक तक हो जाती है। केवल ब्रिटेन में ही हर साल करीब आठ लाख महिलाएं भारी मासिक धर्म की वजह से इलाज कराती हैं।

शोध के मुताबिक, अमेरिका में मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से जुड़े अप्रत्यक्ष खर्चे लगभग 12 अरब डॉलर तक पहुंच चुके हैं। यानी यह समस्या पहले से बोझिल थी, लेकिन महामारी ने इसे और भयावह बना दिया है।

महामारी और मासिक धर्म में बदलाव

कोविड-19 संक्रमण, टीकाकरण और तनाव – तीनों का असर महिलाओं के मासिक धर्म चक्र पर देखा गया। टीकाकरण के बाद हल्के और अस्थायी बदलाव पाए गए, जैसे कि पीरियड्स के आने-जाने के दिनों में हल्की देरी या जल्दी होना।

लेकिन कोविड संक्रमण के बाद बदलाव अधिक गंभीर पाए गए। लॉन्ग कोविड, जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है, अब मासिक धर्म पर खास असर डालता दिख रहा है।

कैसे किया गया शोध?

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कई तरीकों से आंकड़े इकट्ठे किए, ऑनलाइन सर्वेक्षण: इसमें 12,187 महिलाएं शामिल हुई। इनमें 9,423 को कभी कोविड नहीं हुआ था, 1,716 को पहले संक्रमण हुआ और 1,048 महिलाएं लॉन्ग कोविड से प्रभावित पाई गई।

मोबाइल ऐप आधारित आंकड़े: 54 महिलाओं ने, जो नियमित चक्र से गुजर रही थीं और लॉन्ग कोविड से प्रभावित थीं, अपने पीरियड्स और लक्षण रोजाना दर्ज किए।

जैविक परीक्षण : 10 महिलाओं से खून के सैंपल लिए गए और सात महिलाओं से गर्भाशय की एंडोमेट्रियल बायोप्सी ली गई। इनकी तुलना महामारी से पहले लिए गए कंट्रोल सैंपल से की गई।

क्या बताते है निष्कर्ष?

मासिक धर्म से जुड़ी शिकायतें लॉन्ग कोविड वाली महिलाओं में पीरियड्स ज्यादा भारी पाए गए। मासिक धर्म की अवधि कई बार आठ दिन से भी ज्यादा लंबी रही। मासिक धर्म के बीच में भी खून आना अधिक पाया गया। कई महिलाओं में पीरियड्स मिस होना या रुक जाना भी देखा गया। हालांकि पीरियड्स की फ्रीक्वेंसी और नियमितता में खास फर्क नहीं पाया गया।

लक्षणों की तीव्रता

थकान और अन्य लक्षणों की तीव्रता मासिक धर्म के लेट सीक्रेटरी या मेंस्ट्रुअल फेज और प्रोलाइफरेटिव फेज में ज्यादा देखी गई। हार्मोन और सूजन से जुड़े बदलाव देखे गए, अंडाशय का सामान्य कार्य बना रहा। एस्ट्राडियोल, प्रोजेस्टेरोन और एंटी-मुलेरियन हार्मोन में कोई खास अंतर नहीं देखा गया।

लेकिन एंड्रोजन हार्मोन से जुड़े बदलाव पाए गए। लॉन्ग कोविड वाली महिलाओं में 5अल्फा-डाइहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक देखा गया। गर्भाशय की परत में एंड्रोजन रिसेप्टर कम सक्रिय पाए गए। मासिक धर्म के दौरान खून में ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर का स्तर बढ़ा हुआ था, जो सूजन का संकेत है। एंडोमेट्रियम में इम्यून कोशिकाओं के समूह भी पाए गए।

अध्ययन में यह साफ हुआ कि लॉन्ग कोविड और महिलाओं में असामान्य मासिक धर्म रक्तस्राव के बीच संबंध है। अंडाशय की कार्यप्रणाली सुरक्षित है, यानी समस्या का कारण हार्मोनल कमी नहीं बल्कि एंड्रोजन नियमन और सूजन संबंधी बदलाव हैं। इस वजह से शोधकर्ताओं का मानना है कि उपचार विकसित करते समय मासिक धर्म चक्र के अलग-अलग चरणों पर गौर करना बेहद जरूरी है।

भारत को लेकर क्या है महत्व?

भारत जैसे देश में, जहां पहले से ही महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित है, यह शोध बेहद अहम है। बहुत सी महिलाएं मासिक धर्म की समस्याओं को सामान्य मानकर इलाज नहीं कराती हैं।

कोविड के बाद अगर ऐसी दिक्कतें बढ़ रही हैं तो यह महिलाओं की जीवन गुणवत्ता पर गंभीर असर डाल सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में लॉन्ग कोविड की स्क्रीनिंग और उपचार में महिलाओं के मासिक धर्म को भी शामिल किया जाए।

लॉन्ग कोविड सिर्फ थकान, सांस लेने की दिक्कत या याददाश्त पर असर करने वाली समस्या नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के मासिक धर्म को भी प्रभावित कर सकती है। भारी रक्तस्राव, लंबे समय तक चलने वाले पीरियड्स और बीच-बीच में खून आना, ये सब ऐसे संकेत हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

भविष्य में जरूरत है कि चिकित्सक और शोधकर्ता मिलकर योजनाबद्ध इलाज तैयार करें ताकि महिलाएं लॉन्ग कोविड के इस छिपे हुए बोझ से मुक्त हो सकें।