अमेरिका में खसरे का तेज प्रकोप : साउथ कैरोलिना, यूटा और एरिजोना जैसे राज्यों में 100 से अधिक मामले दर्ज, स्थिति अमेरिका के “खसरा उन्मूलन” दर्जे को खतरे में डाल सकती है।
खसरा अत्यंत संक्रामक: एक संक्रमित व्यक्ति 12 से 18 लोगों तक संक्रमण फैला सकता है, टीकाकरण में कमी या विदेश से आए मामलों के कारण विकसित देशों में भी फैलाव की आशंका।
भारत-अमेरिका यात्रियों के लिए दो-तरफा खतरा: अधूरा टीकाकरण या कमजोर प्रतिरक्षा वाले यात्री वायरस को अमेरिका से भारत या भारत से अमेरिका ले जा सकते हैं।
भारत में संवेदनशील क्षेत्र मौजूद : देश में टीकाकरण कवरेज बढ़ा है, लेकिन कुछ ग्रामीण और कम-सेवा वाले क्षेत्रों में आयातित मामलों से फैलाव का खतरा अधिक रहता है।
टीकाकरण ही सबसे प्रभावी सुरक्षा: डब्ल्यूएचओ और सीडीसी दोनों की सलाह: दो खुराकें एमएमआर अनिवार्य, यात्रा से पहले टीकाकरण की पुष्टि, लक्षण दिखने पर तुरंत आइसोलेशन और जांच।
आज दुनिया एक-दूसरे से पहले से कहीं ज्यादा जुड़ी हुई है। लोग पढ़ाई, नौकरी, परिवार से मिलने या घूमने-फिरने के लिए महाद्वीप पार करते हैं। ऐसे में किसी भी देश या राज्य में फैलने वाला संक्रमण केवल स्थानीय समस्या नहीं रह जाता।
अमेरिका के दक्षिणी राज्य साउथ कैरोलिना में हाल ही में बढ़ रहे खसरे के मामले इसका ताजा उदाहरण हैं। यह प्रकोप न केवल अमेरिका के लिए चिंता का विषय है, बल्कि भारत व अमेरिका के बीच यात्रा करने वाले लाखों लोगों के लिए भी एक वैश्विक चेतावनी है।
खसरा अभी भी क्यों खतरनाक है?
खसरा दुनिया की सबसे संक्रामक बीमारियों में से एक है। यह वायरस हवा के माध्यम से फैलता है और संक्रमित व्यक्ति के कमरे से जाने के बाद भी कई घंटे तक हवा में मौजूद रह सकता है। यदि किसी समुदाय में टीकाकरण दर कम हो जाए या विदेश से आए मामले समय पर पकड़ में न आएं, तो विकसित देशों में भी तेजी से फैलाव हो सकता है।
एक संक्रमित व्यक्ति औसतन 12 से 18 लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए थोड़ी-सी लापरवाही भी बड़े प्रकोप में बदल सकती है।
अक्टूबर की शुरुआत में साउथ कैरोलिना में शुरू हुआ खसरे का प्रकोप अभी भी थमता दिखाई नहीं दे रहा है। हाल के दिनों में दर्ज किए गए नए मामलों के बाद कुल संख्या 100 से अधिक हो गई है। इसी तरह, यूटा और एरिजोना जैसे अन्य राज्यों में भी सैकड़ों मामलों की पुष्टि हुई है। यदि यह प्रसार लंबे समय तक जारी रहता है, तो अमेरिका अपने उस “खसरा उन्मूलन” दर्जे को खो सकता है, जो उसे साल 2000 में मिला था।
भारत-अमेरिका यात्रा और प्रवासी परिवार: दो-तरफा जोखिम
भारत और अमेरिका के बीच हर साल लाखों लोग यात्रा करते हैं, छात्र, आईटी या स्वास्थ्य-सेवा क्षेत्र के पेशेवर, पर्यटक, परिवार से मिलने वाले रिश्तेदार और लंबे समय से बसे प्रवासी। इन यात्राओं के कारण संक्रमण का जोखिम भी दोनों दिशाओं में मौजूद रहता है।
1. भारतीय यात्रियों के लिए खतरा
यदि कोई भारतीय नागरिक अमेरिका जाता है और उसकी मीजल्स - मम्प्स-रूबेला (एमएमआर) वैक्सीन की दोनों खुराकें पूरी नहीं हैं, या दस्तावेज स्पष्ट नहीं हैं, तो वह खसरे का शिकार हो सकता है। संक्रमण की पहचान कभी-कभी देर से होती है, जिससे व्यक्ति अनजाने में भारत वापस जाते समय या भारत पहुंचकर दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है।
2. विदेश में बसे परिवार भारत लौटते समय
कई प्रवासी परिवार अपने बच्चों के साथ भारत आते हैं। यदि किसी बच्चे या वयस्क में प्रतिरक्षा कमजोर है या टीकाकरण अधूरा है, तो वह वायरस लेकर आ सकता है। भीड़भाड़ वाले घरों, समारोहों और यात्रा के दौरान संक्रमण तेजी से फैल सकता है।
3. भारत में मौजूद संवेदनशील क्षेत्र
हालांकि भारत में टीकाकरण कवरेज पिछले वर्षों में बेहतर हुआ है, फिर भी कुछ क्षेत्रों, विशेषकर ग्रामीण और कम संसाधन वाले इलाकों में अभी भी टीकाकरण की कमी या स्वास्थ्य सुविधाओं की सीमित पहुंच देखने को मिलती है। किसी भी आयातित मामले से ऐसे क्षेत्र अधिक जोखिम में आ सकते हैं।
यात्रियों और परिवारों को क्या सावधानी रखनी चाहिए?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, एमएमआर की दोनों खुराकें राष्ट्रीय कार्यक्रम के अनुसार पूरी की जानी चाहिए। सामुदायिक स्तर पर 95 फीसदी या उससे अधिक टीकाकरण कवरेज बनाए रखने की जरूरत है। यात्रा से पहले टीकाकरण स्थिति की जांच की जानी चाहिए, एक भी खुराक छूट गई हो तो लगवा लेनी चाहिए।
यात्रा के बाद यदि बुखार, खांसी, लाल आंखें या दाने जैसे लक्षण दिखें, तो स्वयं को अलग रखें और जांच करवानी चाहिए। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, दो दस्तावेजी एमएमआर राकें या फिर प्रतिरक्षा का प्रमाण आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय यात्रा से दो से चार सप्ताह पहले टीकाकरण करवा लेना सबसे अच्छा है। प्रकोप वाले क्षेत्रों में भीड़भाड़ और खराब वेंटिलेशन वाली जगहों से बचना चाहिए। स्कूल या डे-केयर उम्र के बच्चों के टीकाकरण रिकॉर्ड की अवश्य जांच की जानी चाहिए।
क्यों किसी भी देश का खसरा प्रकोप पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है?
आज का विश्व पूरी तरह से परस्पर जुड़ा हुआ है। एक देश के हवाई अड्डे पर मिला कोई अजनबी दूसरे देश के किसी गांव तक संक्रमण पहुंचा सकता है। इसलिए जब अमेरिका या यूरोप जैसे विकसित देशों में खसरे का प्रकोप बढ़ता है, तो यह केवल उनका घरेलू मुद्दा नहीं रहता, यह हर उस देश के लिए चेतावनी है जो वैश्विक यात्रा और प्रवासन से जुड़ा हुआ है।
यात्रा करें, रिश्ते निभाएं, लेकिन सुरक्षा साथ लेकर चलें
भारत और अमेरिका के बीच यात्रा करने में कोई डरने की बात नहीं है, लेकिन टीकाकरण रिकॉर्ड उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना पासपोर्ट। एक छोटी-सी सावधानी दोनों एमएमआर खुराकें, लक्षणों पर ध्यान, और समय पर जांच आप और आपके परिवार को बड़े संक्रमण से बचा सकती है।
खसरा चुपचाप फैलता है - एक खांसी, एक छींक, या विमान में बैठा एक अनजान यात्री। लेकिन सही जानकारी और सतर्कता के साथ हम इसे अपने सफर का साथी बनने से रोक सकते हैं।