आधे लोग अनजान: 44 फीसदी मधुमेह रोगियों को पता ही नहीं कि वे इस बीमारी से पीड़ित हैं।
खामोश नुकसान: बिना लक्षण दिखाए यह बीमारी दिल, किडनी, आंखों और नसों को धीरे-धीरे खराब करती है।
लक्षण पहचानें: बार-बार पेशाब आना, ज्यादा प्यास, थकान, धुंधली नजर, घाव का देर से भरना आदि ये संकेत हो सकते हैं।
जांच जरूरी: फास्टिंग ब्लड शुगर, ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट और एचबीए1सी जांच से मधुमेह का पता लगाया जा सकता है।
बचाव के कदम: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, वजन नियंत्रण और समय-समय पर जांच ही मधुमेह से सुरक्षा का सबसे अच्छे उपाय हैं।
लाखों लोग मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित हैं उन्हें इस बात की भनक तक नहीं है। हाल ही में आई एक वैश्विक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला सच सामने रखा है, जिसमें कहा गया है कि 15 साल से अधिक उम्र के लगभग 44 फीसदी लोग मधुमेह से पीड़ित हैं लेकिन उन्हें अपनी बीमारी का पता ही नहीं है।
यह खामोश बीमारी धीरे-धीरे दिल, किडनी, आंखों और नसों को नुकसान पहुंचाती रहती है। जब तक मरीज को इसका एहसास होता है, तब तक शरीर को पहले ही गहरी चोट लग चुकी होती है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
दुनिया भर के आंकड़े बताते हैं कि मधुमेह की समस्या लगातार बढ़ रही है। द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी में छपे अध्ययन के मुताबिक 44 फीसदी लोग अपनी बीमारी से अनजान हैं। जिनको पता चलता है, उनमें से 91 फीसदी लोग दवा लेते हैं, लेकिन केवल 42 फीसदी ही शुगर को नियंत्रित रख पाते हैं।
इसका अर्थ है कि दुनिया भर में सिर्फ 21 फीसदी मरीज ही वास्तव में नियंत्रण में हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि साल 2050 तक मधुमेह के मरीजों की संख्या 1.3 अरब तक पहुंच जाएगी। गंभीर बात यह है कि गरीब और विकासशील देशों में यह संकट और भी बड़ा है। जहां जांच की सुविधा कम है, वहां केवल 20 फीसदी से भी कम लोग अपनी बीमारी से वाकिफ हो पाते हैं। इसके विपरीत विकसित देशों में जागरूकता और जांच दोनों अधिक हैं।
डायबिटीज या मधुमेह क्या है?
मधुमेह एक लंबे समय की (क्रॉनिक) बीमारी है जिसमें शरीर में शुगर का स्तर लगातार अधिक रहता है। इसका मुख्य कारण है शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी या उसका सही ढंग से काम न करना है।
टाइप-1 मधुमेह: इसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। टाइप-2 मधुमेह: सबसे आम प्रकार, जिसमें इंसुलिन कम बनता है या शरीर उसे प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता। गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल): गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव की वजह से होने वाला अस्थायी मधुमेह। अगर इलाज न हो तो यह बीमारी दिल के दौरे, स्ट्रोक, गुर्दे की खराबी, अंधापन, नसों को नुकसान पहुंचाने और समय से पहले मृत्यु तक का कारण बन सकती है।
बिना पता चले क्यों है अधिक खतरनाक?
शुगर का स्तर बढ़ने से दिल, किडनी, आंख और नसों को धीरे-धीरे नुकसान होता है और अक्सर यह बिना लक्षण के चलता रहता है। जितना देर से बीमारी का पता चलता है, उसे नियंत्रित करना उतना ही कठिन हो जाता है। अगर शुरुआती दौर में बीमारी का पता चल जाए, तो दवा और जीवनशैली बदलकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
शुरुआती संकेत जिन्हें अनदेखा न करें
मधुमेह के लक्षण कई बार इतने हल्के होते हैं कि लोग उन्हें सामान्य थकान या उम्र बढ़ने का असर मान लेते हैं। लेकिन ये संकेत जीवन बचाने वाले अलार्म साबित हो सकते हैं। बार-बार पेशाब आना और ज्यादा प्यास लगना, लगातार थकान या कमजोरी महसूस होना, आंखों में धुंधलापन, घाव या चोट का देर से भरना, खासकर पैरों में, बिना कारण वजन कम होना, पैरों या हाथों में झुनझुनी, भूख अधिक लगना अगर ये लक्षण लगातार बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
डायबिटीज का पता लगाने के लिए डॉक्टर ये जांचें कर सकते हैं, फास्टिंग ब्लड शुगर की जांच - खाली पेट खून में शुगर मापी जाती है। ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट – ग्लूकोज पीने के बाद शरीर की प्रतिक्रिया देखी जाती है। एचबीए1सी जांच – पिछले दो से तीन महीनों की औसत शुगर जांचने का सबसे सटीक तरीका है।
बचाव और जीवनशैली में बदलाव
मधुमेह का अभी तक स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करना संभव है। इसके लिए दवाइयों के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव जरूरी है। संतुलित आहार जिसमें ज्यादा सब्जियां, दालें, साबुत अनाज और मीठे का उपयोग कम करना।
हर रोज कम से कम 30 मिनट पैदल चलना या हल्की कसरत करना। वजन नियंत्रित रखना। धूम्रपान और शराब से दूरी बनानी चाहिए तथा नियमित स्वास्थ्य की जांच करवानी चाहिए। ये छोटे-छोटे कदम न केवल मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करेंगे बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएंगे।
मधुमेह आज केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक “खामोश महामारी” बन चुकी है। इसकी सबसे खतरनाक बात यही है कि आधे से ज्यादा मरीजों को इसका पता ही नहीं होता। इसलिए जागरूकता, शुरुआती जांच और समय पर इलाज ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।
अगर आप खतरे वाले समूह में आते हैं या ऊपर बताए गए लक्षणों को महसूस करते हैं, तो इंतजार न करें। एक साधारण खून की जांच आपके जीवन को बचा सकती है।