एच5एन1 बर्ड फ्लू वर्षों से पक्षियों में फैला है और सीमित मानव संक्रमणों के बावजूद महामारी का खतरा बना है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2003 से अब तक 25 देशों में लगभग आधे संक्रमित मरीजों की मृत्यु हुई है
अमेरिका और भारत सहित कई देशों में पक्षियों पशुओं और कुछ इंसानों में एच5एन1 संक्रमण के मामले सामने आए हैं
भारतीय वैज्ञानिकों के अध्ययन में कंप्यूटर सिमुलेशन से दिखाया गया कि शुरुआती निगरानी और तेज प्रतिक्रिया महामारी रोक सकती है
विशेषज्ञ मानते हैं कि अभी खतरा कम है लेकिन इंसान से इंसान में फैलाव सबसे बड़ा जोखिम बन सकता है
पिछले कई सालों से वैज्ञानिक चेतावनी देते आ रहे हैं कि बर्ड फ्लू, जिसे एच5एन1 कहा जाता है, कभी भी पक्षियों से इंसानों में फैलकर एक बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है। अभी तक यह बीमारी मुख्य रूप से पक्षियों तक सीमित रही है, लेकिन इसके इंसानों में फैलने की आशंका ने दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।
बर्ड फ्लू एक प्रकार का इन्फ्लुएंजा वायरस है, जो दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में लंबे समय से मौजूद है। यह पहली बार 1990 के दशक के अंत में चीन में सामने आया था। इसके बाद से यह कई देशों में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, साल 2003 से अगस्त 2025 तक 25 देशों में एच5एन1 के 990 मानव मामले सामने आए हैं, जिनमें 475 लोगों की मौत हुई। इसका मतलब है कि इस वायरस से संक्रमित लगभग 48 प्रतिशत लोगों की जान चली गई, जो इसे बेहद खतरनाक बनाता है।
अमेरिका में स्थिति भी चिंताजनक रही है। वहां अब तक 18 राज्यों में 1,000 से ज्यादा डेयरी फार्म इस वायरस से प्रभावित हुए हैं। 18 करोड़ से अधिक पक्षी इसकी चपेट में आ चुके हैं। इसके अलावा, कम से कम 70 लोग, जिनमें अधिकतर खेतों और पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले मजदूर थे, संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और एक व्यक्ति की मौत भी हुई।
यह वायरस केवल पक्षियों और इंसानों तक ही सीमित नहीं है। जनवरी में भारत के नागपुर शहर में एक वन्यजीव बचाव केंद्र में तीन बाघों और एक तेंदुए की मौत एच5एन1 संक्रमण से हो गई। इससे यह साफ हो गया कि यह वायरस अलग-अलग प्रजातियों को भी प्रभावित कर सकता है।
इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण आमतौर पर गंभीर फ्लू जैसे होते हैं। इनमें तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द और थकान शामिल हैं। कुछ मामलों में आंखों में सूजन (कंजंक्टिवाइटिस) भी देखी गई है। हालांकि कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं भी दिखाई देते। अभी तक इंसानों के लिए इसका खतरा कम माना जा रहा है, लेकिन वैज्ञानिक इस बात पर नजर बनाए हुए हैं कि कहीं यह वायरस इंसान से इंसान में आसानी से फैलने लायक न बन जाए।
इसी चिंता के कारण भारत के अशोका विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नया अध्ययन किया है। यह अध्ययन बीएमसी पब्लिक हेल्थ नामक वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें उन्होंने यह समझने की कोशिश की है कि अगर एच5एन1 इंसानों में फैलना शुरू कर दे तो महामारी कैसे आगे बढ़ सकती है और शुरुआती कदम उठाकर इसे कैसे रोका जा सकता है।
इस अध्ययन में कंप्यूटर मॉडल और वास्तविक आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। शोधकर्ताओं ने “भारतसिम” नाम के एक ओपन-सोर्स सिमुलेशन प्लेटफॉर्म का उपयोग किया, जिसे पहले कोविड-19 के दौरान संक्रमण फैलने के पैटर्न को समझने के लिए बनाया गया था। यह प्लेटफॉर्म अलग-अलग बीमारियों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
शोध के अनुसार, बर्ड फ्लू की महामारी की शुरुआत बहुत शांत तरीके से हो सकती है। संभव है कि एक संक्रमित पक्षी किसी इंसान को वायरस दे दे। यह इंसान आमतौर पर कोई किसान, पोल्ट्री मार्केट में काम करने वाला व्यक्ति या मुर्गियों को संभालने वाला मजदूर हो सकता है। असली खतरा इस पहले संक्रमण से नहीं, बल्कि इसके बाद शुरू होने वाले इंसान से इंसान में फैलाव से पैदा होता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि वास्तविक जीवन में किसी भी नई बीमारी के शुरुआती चरण में आंकड़े अधूरे और अव्यवस्थित होते हैं। ऐसे में सिमुलेशन मॉडल यह समझने में मदद करते हैं कि अलग-अलग परिस्थितियों में वायरस कैसे फैल सकता है और कौन से कदम सबसे प्रभावी हो सकते हैं।
प्रोफेसर गौतम मेनन ने कहा कि इंसानों में एच5एन1 की महामारी का खतरा वास्तविक है, लेकिन बेहतर निगरानी और तेज़ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया से इसे रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि संक्रमित मामलों की जल्दी पहचान हो, संक्रमित लोगों को अलग रखा जाए और स्वास्थ्य व्यवस्था तुरंत सक्रिय हो।
कुल मिलाकर, बर्ड फ्लू अभी एक खतरा है, न कि तत्काल संकट। लेकिन इतिहास बताता है कि अगर समय रहते तैयारी न की जाए, तो छोटी सी चूक भी बड़ी महामारी में बदल सकती है। इसलिए वैज्ञानिक, सरकारें और स्वास्थ्य एजेंसियां इस वायरस पर लगातार नजर रखे हुए हैं, ताकि किसी भी खतरे से पहले ही निपटा जा सके।