ब्राजील के अमेजन जंगल में खासकर आग के कारण, इसके क्षरण या तेजी से नष्ट होने से 2022 से 2024 तक पेड़ों के काटे जाने में हुई बहुत बड़ी कमी को ढक दिया है। बायोम की सुरक्षा में यह बुरा संतुलन जलवायु संकट से निपटने के उन अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों को खतरे में डालता है जो इस देश द्वारा ग्रहण किए गए हैं। ब्राजील इस साल संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप30) की मेजबानी कर रहा है।
ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जंगलों के काटे जाने से स्थानीय वनस्पति आवरण पूरी तरह से नष्ट हो जाता है, जबकि क्षरण से जंगल पूरी तरह नष्ट हुए बिना कमजोर पड़ जाते हैं, इसके पीछे चुनिंदा चीजों के काटे जाने से है।
अध्ययन के अनुसार, अमेजन में जंगलों के क्षरण का संकेत देने वाली चेतावनियां 2023-2024 तक 44 फीसदी बढ़ गई, जो 2022 की तुलना में 163 फीसदी की वृद्धि है। पिछले साल ही, 25,023 वर्ग किलोमीटर जंगल का क्षरण हुआ, जिसमें से लगभग 66 फीसदी पेड़ आग लगने से नष्ट हो गए।
इसके विपरीत जंगलों को काटे जाने से 27.5 से 54.2 फीसदी की गिरावट आई, जो पिछले दस सालों में सबसे कम वृद्धि है। आईएनपीई के ब्राजीलियाई अमेजन जंगल उपग्रह निगरानी कार्यक्रम (प्रोडेस) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 तक की अवधि में 5,816 वर्ग किलोमीटर जंगल का क्षरण हुआ।
ग्लोबल चेंज बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जंगलों के काटे जाने की तुलना में जंगलों के क्षरण की पहचान करना अधिक कठिन प्रक्रिया है क्योंकि यह तब होता है जब जंगल अभी भी मौजूद होते हैं। यह मुख्य रूप से आग के कारण होता है, जो पिछले दो सालों में अमेजन में सूखे की स्थिति के कारण और भी गंभीर हो गई है। इसके अलावा चुनिंदा पेड़ों को काटे जाने और सीमांत प्रभाव भी होते हैं। इन सबके कारण इन जंगलों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं कम हो जाती हैं।
साल 2023 और 2024 के बीच, अमेजन में भयंकर सूखा पड़ा, जिसमें प्रति माह 50 से 100 मिलीमीटर वर्षा की कमी, तीन डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में वृद्धि और वर्षा ऋतु में देरी हुई। इससे नदियां न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। जिसके कारण पिछले साल इस बायोम में 2007 के बाद से सबसे अधिक हॉटस्पॉट दर्ज किए गए, जिनकी संख्या कुल 140,328 है।
ब्राजील जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) में एक नया राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रस्तुत करने वाला पहला देश था। देश ने 2005 के स्तर (85 करोड़ से 1.05 अरब टन सीओ2 के बराबर) की तुलना में 2035 तक कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 59 फीसदी से 67 फीसदी तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई है।
एनडीसी पेरिस समझौते में निर्धारित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और औसत वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ने से रोकने के लिए प्रत्येक देश के लक्ष्य हैं। इन लक्ष्यों की समीक्षा नए कॉप 30 द्वारा किया जाना है, जो इस साल नवंबर में बेलेम में आयोजित किया जाएगा।
हालांकि यह मूल वनस्पति को पूरी तरह से नष्ट नहीं करता, लेकिन क्षरण "बचे" जंगलों को खराब कर देता है, जैव विविधता को प्रभावित करता है, कार्बन जमा करने और जल चक्र जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने की उनकी क्षमता को कम करता है। ये पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलेपन के लिए महत्वपूर्ण कार्य हैं।
पिछले शोधों से पहले ही पता चला है कि अमेजन के लगभग 40 फीसदी स्थायी जंगल आग, तटीय प्रभावों, अवैध तरीके से काटे जाने और अत्यधिक सूखे जैसे कारकों के कारण क्षीण हो रहे हैं। इस परिदृश्य में वनस्पति के धीरे-धीरे नष्ट होने के कारण जंगलों को काटे जाने से होने वाले उत्सर्जन के बराबर या उससे अधिक कार्बन उत्सर्जन हुआ।
वनस्पति के नष्ट होने की वजह से हर साल पांच से 20 करोड़ टन तक कार्बन उत्सर्जन हुआ, जबकि पेड़ों के काटे जाने के कारण सालाना छह से 21 करोड़ टन तक कार्बन उत्सर्जन हुआ।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से आग लगने के प्रबंधन में सुधार और बड़े पैमाने पर पुनर्स्थापन एवं पुनर्वनीकरण परियोजनाओं को लागू करने का सुझाव दिया है। एक अन्य नजरिए इन रणनीतियों को कार्बन क्रेडिट बाजारों के साथ जोड़ना है ताकि भूस्वामियों, कंपनियों और स्थानीय समुदायों को स्थायी प्रथाओं को अपनाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन मिल सके।
शोधकर्ताओं ने क्षरण की निगरानी में सुधार और जिम्मेवार लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए तंत्र बनाने की चुनौतियों की ओर भी इशारा किया है।